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Poetry (मारक व्यंग्य): जब उनको बैठाया था अपने कंधों पर

चार पंक्तियां नेता पर

चार पंक्तियां नेता पर

हमने जब बैठाया था
उनको अपने कंधों पर
तब पता न था
कि हाथ उनके
हमारे गले पर होंगे
और पांव हमारे पेट पर !!
(सुनील सरहद, भोपाल)
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