Poetry (मारक व्यंग्य): जब उनको बैठाया था अपने कंधों पर Parijat Tripathi 1 month ago चार पंक्तियां नेता पर हमने जब बैठाया था उनको अपने कंधों पर तब पता न था कि हाथ उनके हमारे गले पर होंगे और पांव हमारे पेट पर !! (सुनील सरहद, भोपाल)