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डर (Story by Anju Dokania)

                                      डर

हर व्यक्ति के जीवन में किसी ना किसी बात का डर होता है . डर किसीका पीछा नहीं छोड़ता. जितना उससे भागो वो आपसे तेज़ दौड़ता है और आपके सामने रावण की भाँति अट्टहास करता हुआ खड़ा हो जाता है.उसके लंबे-लंबे दांत और नाखून बहुत ही भयानक और..और जब वो दबोचने के लिए आगे बढ़ते हैं तो अचानक..अचानक पाखी की नींद टूट जाती है . चेहरे पर पसीना..भय मिश्रित आँखें और एक चीख के साथ वो पलंग पर उठ कर बैठ जाती है.

घबरा कर चारों ओर देखती है वहाँ कोई नहीं था. पसरा हुआ था तो बस सन्नाटा. झींगुर की आवाज़ और सनसनाती पवन का शोर वातावरण को और भी डरावना बना रहे थे. पाखी का गला सूख रहा था. उसके गले की नसें ऊपर-नीचे की ओर तांडव कर रही थी . साँसों का तेज़ शोर और उसकी घबराहट उसे बेचैन कर रहे थे उसने हाथ बढ़ा कर साइड टेबल पर रखी पानी की बोतल उठाई और एक साँस में पी गई . कुछ क्षणों के पश्चात वो शांत हुई.उसे ये विश्वास हो गया था कि उसने एक बहुत भयंकर स्वप्न देखा था. कुछ देर बिस्तर पर करवटें बदलते रहने के बाद वो उठ खड़ी हुई . 

बारिश होने लगी थी . पाखी ने coffee-maker में कॉफ़ी बनाई और कुर्सी पर बैठ गई जिस पर बैठ कर प्रायः वो पढ़ा करती है.कॉफ़ी की चुस्कियाँ लेते हुए वो सोचने लगी कि आख़िर उसे इतने डरावने सपने क्यूँ आते है? वो जानती थी कि  बचपन से ही डर का साया उस पर मंडराता रहा है.

एक भोली-मासूम-सी लड़की जो बात-बात में डर जाया करती थी. बचपन में mom की डांट का डर, विद्यालय में अध्यापिका की मोटी छड़ी का डर, होम-वर्क पूरा ना होने पर कक्षा में अध्यापिका के अनगिनत प्रश्नों की जवाबदेही का डर, परीक्षा के ख़ौफ़ से बुख़ार आ जाता था उसे,,,,,जब यौवन की चौखट पर पाँव रखा तो आते-जाते मंचलों की निगाहों और उनके द्वारा कसे जाने वाले फिकरों का डर, घर पर किसी भी रिश्तेदार के आने पर अपने कमरे में दुबक कर पढ़ाई करने का स्वाँग करना ताकि किसी के सामने ना  जाना पड़े. पाखी को नहीं पता कि वो ऐसा क्यों करती थी मगर पाखी ऐसी ही थी .

बहुत गुणी थी पाखी,,, अपनी माँ की तरह सुंदर,,, पढ़ाई में अव्वल, चित्रकारी और रंग से उसका गहरा नाता रहा ,तितलियों के पीछे भागना, स्वर-कोकिला और लेखन में रुचि रखने वाली पाखी सबके बीच रह कर भी बहुत अकेली थी.

सोचने का समय ही नहीं मिला और कब उसका विवाह हो गया  वो समझ ही नहीं पाई.

विवाह पूर्व  बचपन से ही डरते रहने के कारण पाखी थोड़ी सहमी-सहमी रहती थी कि इस नये परिवेश में उसके लिए सब नया है और उससे कोई भूल ना हो जाये इसलिए वो और भी भयभीत रहने लगी थी.

पाखी खुश  तो थी कि सौमेन के रूप में एक अच्छा जीवन-साथी मिला. माता-पिता की पसंद पर पूरा विश्वास था उसे.कुछ दिन पति के साथ ससुराल में रही . शादी का घर होने के कारण मेहमानों से घर भरा पड़ा था. इतनी भीड़-भाड़ में उसे कुछ भी समझ पाने का अवसर ही नहीं मिला. सौमेन न्यूयार्क में एक बड़ी कंपनी में सीनियर सॉफ्टवेर इंजीनियर था.कुछ ही दिनों में पाखी और सौमेन न्यूयार्क आ गये. दो-चार दिन तो ठीक बीते. 

सौमेन ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था. पाखी जल्दी-से उसका breakfast ले कर आई और उसके पास बैठ गई.सौमेन ने नाश्ता करते हुए अपना ब्रीफकेस माँगा. पाखी ब्रीफकेस ले कर आयी और फिर से उसके पास बैठ  गई. जलपान ख़त्म करते हुए सौमेन ने सरसरी निगाह से पाखी की ओर देखा और कहा- “ अब जूते क्या तुम्हारा बाप ले कर आएगा?” एकबारगी पाखी को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ कि ऐसा सौमेन उसे कह रहा है. उसने सौमेन की ओर देखा जैसे सवाल कर रही हो क्या ये तुम थे जिसने मुझसे अभी इतने बुरे तरीक़े से बात की?

सौमेन ने जैसे उसकी बातों को भाँप लिया था और तेज़ लहजे में कहा-“ओ महारानी साहिबा मैं तुम्हीं से कह रहा हूँ , कहा हैं मेरे जूते? ले कर आओ.”

पाखी सकपका गई,,,,हड़बड़ा कर उठी और जूते ला कर उसके पैरों के पास रख दिये और कमरे में जाने लगी तभी आवाज़ आयी-“ जूते क्या तुम्हारी अम्मा पहनायेगी?” पाखी को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि जो सौमेन उस पर जान छिड़क रहा था अचानक उसके सुर कैसे बदल गये.सौमेन ने उसकी ओर ध्यान दिये बग़ैर घर से दनदनाते हुए निकल गया.

पाखी को कुछ समझ नहीं आया कि ये सब क्या हुआ,,,,क्यूँ हुआ,,,,आख़िर उससे क्या भूल हो गई. काफ़ी देर तक वो आंसू बहाती रही और फिर उठ कर घर के काम निपटाने लगी . काम करते-२ वह गीत सुनने लगी “ जब कोई बात बिगड़ जाए , तुम देना साथ मेरा,,,,” पाखी सोचने लगी शायद कोई टेंशन होगी इसीलिए सौमेन ने ऐसे बात की होगी. सोचा सौमेन का पसंदीदा खाना बनाऊँगी तो उसका ग़ुस्सा शांत हो जाएगा .

शाम को सौमेन घर लौटा. जितनी देर में सौमेन change करके आया पाखीं ने डिनर लगा दिया. सौमेन का खाना लगा कर जब पाखी अपनी थाली परोसने लगी तो सौमेन ने उसे हाथ के इशारे से रोक दिया. खाना खाते हुए वो कहने लगा -“ भारतीय स्त्री के लिये उसका पति परमेश्वर होता है तो उसके खाना खा लेने के बाद उसकी जूठी थाली में ही वो अपना खाना परोसे और खाये.उसके पहले नहीं खा सकती .पाखी  ये सुन कर भौंचक्की रह गई.उसको सौमेन से इस तरह की सोच और ऐसे व्यवहार की आशा नहीं थी. उसके पैरों तले ज़मीन निकल गई. उसके आंसू बहते रहे और सौमेन खाना खा कर उठ कर चला गया कमरे में. 

अब हर दिन कुछ ना कुछ नया रवैया होता सौमेन का पाखी के प्रति. बात-बात पर घबरा जाने वाली पाखी अब और भी ज़्यादा डरी-डरी रहने लगी.कहीं सवेरे उठने में देर ना हो जाये, कहीं खाना और नाश्ता लगाने में उसे विलंब ना हो जाये, उसके ब्रेकफास्ट ख़त्म करने से पहले जूते पॉलिश हो कर आ जाने चाहिए.ऐसा सौमेन ने पाखी को आदेश दिया था. 

अब पाखी इतना डरने लगी थी कि सौमेन की आवाज़ से ही सहम जाती थी. अमानवीयता की पराकाष्ठा तब हुई जब सौमेन ने अपने दफ़्तर के स्टाफ के सामने पाखी को अपमानित किया और उस पर हाथ भी उठाया.

जितनी सुंदर थी पाखी उतना ही कुरूप था उसका वैवाहिक जीवन. अब वो सौमेन से बात करने में भी डरने लगी. उसने सौमेन के साथ बाहर आना-जाना छोड़ दिया. 

कितने सपने देखे थे उसने अपने भावी जीवन को ले कर सब बदरंग हो गये. दर्पण में मुख देखना छोड़ दिया उसने जब भी अपना मुखड़ा दर्पण में देखती तो आईना हँसता था उस पर. पाखी बचपन से ही एक संवेदनशील और डरपोक लड़की थी. उसमें सौमेन के अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ उठाने का साहस भी नहीं था. बहुत सोच कर उसने निर्णय लिया कि वो अपनी जान दे देगी क्योंकि माता-पिता को बताएगी तो उन पर क्या बीतेगी. अगर मायके जा कर बैठी तो लोग हज़ार बातें करेंगे,,, छोटी का ब्याह कैसे होगा ?फिर.अब उसके पास दो ही रास्ते थे या तो जुल्मों के आगे घुटने टेक  दे या फिर आत्महत्या,,,,,,,

बचपन से ही जिन छोटी-छोटी बातों और परिस्थितियों से डर कर वो भागती रही थी आज वही डर एक विशाल राक्षस का रूप धर कर चुनौती बन कर उसके आगे मुँह फाड़ कर खड़ा हो गया था. उसे कुछ नहीं सूझ रहा था कि वो क्या करे.

सौमेन ने बताया था कि उसे ऑफिस कांफ्रेंस के लिए सैन्फ़्रेंसिस्को जाना है तीन फिन बाद लौटेगा. पाखी ने भी ये तय कर लिया कि उसे इन तीन दिनों में अपने लिए कोई ऐसा रास्ता निकालना है ताकि उसे इस डर और बुरी ज़िंदगी से छुटकारा मिले.

अगली सुबह सौमेन सैन्फ़्रेंसिस्को के लिए निकल पड़ा. 

पाखी ने एकबारगी चैन की साँस ली.

वो चहलक़दमी करते हुए अभी सोच ही रही थी कि उसे क्या करना चाहिए तभी फ़ोन की घंटी बजी ट्रिंग,,,ट्रिंग,,,ट्रिंग,,, ट्रिंग . पाखी फ़ोन उठाती है -“हेलो ,,, हाँ कौन,,, उधर से आवाज़ आई “ अरे क्या कौन-कौन , मैं बोल रहा हूँ तेरा पक्कम-पक्का classmate,,, नवीन,,, तेरा दोस्त गुट्टू. गु,,गु,,गु,,,गु,,,गुट्टू ,,, तू?त,,,त,,तूने कैसे कॉल किया और तुझे मेरा नंबर कैसे मिला बोल,,, बोल ना,,?उधर से आवाज़ आदि -“ क्या,,? तू ये बात हरफ़नमौला गुट्टू the greattt को पूछ रही है? मुझे,,,? जिसने तुझे स्कूल में हमेशा टीचर की डाँट से बचाया, तेरी प्रॉब्लम solve की,,,, हा,,हा,,,,हा,,,हा,,,हा

पाखी को विश्वास नहीं हो रहा था कि फ़ोन पर नवीन है .

उसने ख़ुद को सम्भाला और ज़रा गंभीर होते हुए पूछा -“गुट्टू   तूने यहाँ कैसे कॉल किया “- बता ?

गुट्टू यानी नवीन भी अब हँसते-हंसते थोड़ा गंभीर हो गया और बोला तेरे लिए किया कॉल पाखु.मेरे लिये,,,?

हाँ तेरे लिये,,, अब ये मत कहना कि मेरे लिये फ़ोन करने की तुझे क्या क्या पड़ी है. अरे यार Obviously तेरे लिये ही किया है. तो फिर बताओ क्या हाल-चाल हैं तुम्हारे पाखी ने गुट्टू से कहा.

“अरे मैडम जी तुम्हारे शहर की उड़ती हवाओं की ख़ुशबू ने ये संदेश दिया है कि आप यहाँ बिल्कुल भी खुश नहीं हैं.”

“किसने कहा तुझसे?”

“कहेगा कौन बस मुझे पता है जी” इतना कहकर नवीन चुप हो गया.पाखी उसकी बातों का विरोध ना कर सकी .उसने सच ही तो कहा था. 

परंतु वो फिर भी ये सोच रही थी कि यदि गुट्टू का सब कुछ पता चल गया है तो वो कैसे? ,,, और किसने बताया?

नवीन ने कहा -“ तू चुप क्यूँ हो गई पाखु.,,, तू सुन रही है ना?,,,,  बोल,,, बोल ना पाखु.,,, Be A Strong Girl paakhu . Hey Come on paakhu,,,,

पाखी के आंसू बहे जा रहे थे. वो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी. सुन पाखु मेरी बात, ये रोना बंद कर,,, अपना चेहरा कितने दिनों से नहीं देखा दर्पण में तूने बोल,,, पाखी ने सुबकते हुए कहा-“ याद ही नहीं नवीन”

“हाँ!! मैं जानता था , अब मेरी बात सुन दर्पण में जा कर अपना चेहरा देख और उसमें जो शख़्स तुझे दिखाई दे ना बस वही तेरी मदद कर सकता है.”

“लेकिन मैं कैसे नवीन? यहाँ से निकलना इतना आसान नहीं और तुमको मेरी इस हालत के बारे में किसने बताया”?

“ तू वो सब छोड़ पाखु “

“ नहीं please बताओ मुझे”

“ हमारी common friend और तेरी पक्की सहेली रीमा ने जिससे तूने कुछ बातें शेयर की थीं”

“ लेकिन मैंने उसको मना किया था गुट्टू”

“ हाँ तो क्या वो तुझे इस नरक में सड़ने देगी? बोल,,,,”

“ पाखु तुझे यहाँ से निकलना है या नहीं?”

“ हाँ नवीन मैं बहुत दुखी हूँ. सौमेन मुझसे बहुत  बुरा बर्ताव करता है”.

“ तो तू एक पाँव तो बढ़ा सौ रास्ते खुल जाएँगे.”

“पाखु कोलकाता में मेरी मासी(पिशी माँ) की बड़ी कंपनी है Chartered Accountancy की . तूने CA किया हुआ है. मैंने तेरे जॉब के लिये बात कर दी है वहाँ. बस तू वहाँ किसी भी तरह पहुँच जा. तेरा रहने का इंतज़ाम भी मासी करवा देगी.हाँ बस  यहाँ से निकलने की हिम्मत तुझे ख़ुद दिखानी होगी”

“नवीन,,,,, म,,,म,,, मैं,,,, कैसे?अगर सौमेन को पता चला तो?,,,,

“कुछ पता नहीं चलेगा उसे, तू बस अपने पासपोर्ट की कॉपी मुझे भेज दे मैं यहीं से टिकट बनवा देता हूँ . तू किसी भी तरह बस वहाँ से निकल कर एयरपोर्ट पहुँच जा. वहाँ मेरा आदमी मिलेगा और कुछ documents और कैश देगा तुझे जिससे तू कोलकाता में अपना जीवन फिर से शुरू कर सकती है.

पाखी नवीन की सारी बातें सुन रही थी . उसके हाथ-पैर ठंडे हो रहे थे. आज तक अकेले उसने घर से अग़ल-बग़ल जाने के लिए भी साहस नहीं किया था और आज नवीन उसे जो करने कह रहा था वो उसके लिए बहुत बड़ी  बात थी.

वो ये सब सोच ही रही थी कि उधर से फिर आवाज़ आयी-“पाखु अगर तूने अब कुछ नहीं किया तो कभी नहीं कर पाएगी,,, ज़्यादा सोच मत,,, निकल जा इस नर्क से,,,,All the very besttttt Paakhu “

All the very best Paakhu- यही शब्द पाखी के कानों में गूंज रहे थे.वो आईने के सामने जा कर खड़ी हो गई . अपने चेहरे को निहारा. उसे अपना चेहरा साफ़ दिखाई नहीं दे रहा था. अपने दुपट्टे से रगड़-रगड़ कर शीशे को साफ़ किया मगर उसे वो हंसती-मुस्कुराती पाखी कहीं नज़र नहीं आयी. बस अंतरात्मा ने कहा -“ अभी नहीं तो कभी नहीं पाखु,,, कभी नहीं,,,”

पाखी ने आनन-फ़ानन नवीन को अपने पासपोर्ट की कॉपी भेजी ह्वाट्सऐप पर . कुछ ही देर में उसकी टिकट confirmation का मेसेज आ गया और टिकट भी. आज रात को ही निकलना था.

पाखी ने सारी पैकिंग कर ली थी . रात बारह बजे की फ्लाइट थी और एयरपोर्ट जाने में २ घंटे लगते हैं. पाखी जैसे ही निकालने का सोच रही थी की सौमेन के ऑफिस से एक स्टाफ आ गया जो अक्सर सौमेन की उपस्थिति में आता-जाता रहता था ऑफिस के काम से. उसे देख कर पाखी के पसीने छूट गये. 

“अरे भाभीजी नमस्ते. क्या आप कहीं जा रही हैं? जल्दी में लग रही हैं और परेशान भी. सब ठीक तो हैं ना?”

“उसके प्रश्नों की झड़ी से पाखी थोड़ा सहम गई आदतानुसार मगर फिर उसने ख़ुद को सम्भाला और कहा-“ हाँ यहाँ पास जो हनुमान temple है मैंने उनके लिए एक छोटी-सी पूजा रखवायी है . वही जा रही हूँ. बताइए कैसे आना हुआ?”

“ ओके,,, जी सौमेन Sir ने कहा था कि इन papers पर आपके सिग्नेचर घर आ कर ले लूँ. ज़रूरी थे इसलिए आया. चलिए मैं आपको छोड़ देता हूँ,,,,   हनुमान मंदिर”

“नहीं,,,,उसकी बात ख़त्म होते ही लपक कर कहा पाखी ने,,,, फिर संभल कर बोली,,, जी,,, मेरा मतलब है,, पास ही तो है मंदिर और मेरी पड़ोसन मिसेज़. मित्तल भी मेरे साथ जायेंगी तो आप चलिए प्लीज़. मैं चली जाऊँगी.”

कहते-कहते पाखी को पसीने आ रहे थे और वो बार-बार अपने दुपट्टे से अपना चेहरा और माथा पोंछ रही थी.

ऑफिस का स्टाफ उसे बड़े गौर से देखता रहा फिर कहा -“ ठीक है भाभीजी आप इन पेपर्स पर सिग्नेचर कर दीजिए फिर मैं निकलता हूँ”.

काँपते हाथों से पाखी ने दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किए 

वो व्यक्ति चला गया. पाखी ने लंबी साँस ली और पास रखा पानी का ग्लास एक साँस में पी गई .उसने घड़ी की तरफ़ देखा 6:30 बज रहे थे शाम के. उसने cab बुक की फ़ोन से airport के लिए और ज्यों ही अपना बैग रूम से बाहर निकालने के लिए मुड़ी तभी पीछे से आवाज़ आयी -“ भाभीजी!!!!,,,, “पाखी की साँस गले में ही अटक गई.

मुड़ कर देखा तो वही ऑफिस का स्टाफ था.

“जी कहिए,,,”

“Sorry मेरा पेन यहाँ छूट गया था वही लेने आया था”

“जी अभी देती हूँ”

पाखी टेबल की तरफ़ मुड़ी उसका पेन वहाँ रखा था. उसने उसे पेन दे दिया.

“ जी थैंक You मैडम”

पाखी ना चाहते हुए मुस्कुरायी और वो पलट कर दरवाज़े की तरफ़ बढ़ गया . उसके जाने के पाँच मिनट बाद Cab भी आ गई . पाखी ने अपना बैग डिक्की में रखवाया और एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गई.फ्लाइट बोर्ड करते समय भी वो बहुत डरी हुई थी . बार-बार लग रहा था उसे कि कहीं कोई उसका पीछा तो नहीं कर रहा. कहीं किसी ने उसे पकड़ लिया तो?ये उसके भीतर का डर था जो उसे लगातार डराता रहा उसे जब तक उसकी फ्लाइट कोलकाता लैंड नहीं हुई.

नवीन की मौसी का स्टाफ एयरपोर्ट आ गया था. नवीन की मौसी ने उसके रहने के लिए एक one BHK flat तैयार करवा दिया था अपने घर के पास ही.पहले पाखी नवीन की मौसी सुलक्षणा जी से जा कर उनके घर पर मिली। . चाय-नाश्ते के बाद  सुलक्षणा ने उसे उसके फ्लैट पर भेज दिया.

दूसरे दिन से पाखी ने ऑफिस जॉइन कर लिया. सब कुछ एक सपना-सा लग रहा था पाखी को.क्या वास्तव में उसने नये जीवन की शुरुआत कर दी है?क्या ये साहस उसने स्वयं दिखाया? कैसे वो न्यूयार्क से कोलकाता इतना रिस्क उठा कर अकेले चली आयी? उसे विश्वास नहीं हो रहा था मगर यही सच था . उसने अपने माता-पिता को फ़ोन पर सारी बात बताई और किसी से भी इस विषय में  चर्चा करने से मना कर दिया. नवीन से फ़ोन पर बात हुई पाखी की. उसने पाखी से कहा कि अब उसे जीवन में किसी से डरने की आवश्यकता नहीं. अब वह अपनी शर्तों पर बिना भय के   किए और अपने निर्णय ख़ुद ले और जीवन में आगे बढ़े.

पाखी खुश थी मगर कभी-कभी पिछले जीवन की यादें उसके सपने में एक भयानक दानव का रूप ले कर आती और उसे डरा जाती थी जैसे कि आज रात को हुआ था. 

कॉफ़ी ख़त्म हो चुकी थी और कप ख़ाली.,,, सवेरे के सात बज रहे थे.पाखी ने नवीन को कॉल किया  और बीते रात के स्वप्न के बारे में बताया. सुन कर नवीन कहने लगा.

“अरे मैं इतना डर गई हूँ नवीन आर तुमि हाँश्चो?”

“ तो और क्या करूँ? हा,,हा,,हा,, you are now an independent big girl. “

“तो क्या बड़े लोग डरते नहीं?”

“सुनो मेरी बात ये तुम्हारे भीतर का डरावना रावण है जो तुमको सपनों में आ कर डराता रहता है . आज विजयदशमी है ,,, रावण दहन दिवस

अपने भीतर छुपे इस डर वाले रावण को आज रामलीला मैदान में जला कर आना.देखना डरना भूल जाओगी”

“शक्ति?(सच)।  “

“हाँ बाबा बिल्कुल सच”

“ ठीक आछे(ठीक है)”

“ आमी पीशी माँ के बोले दिबो . वें हर वर्ष रामलीला मैदान जाती हैं.  ईश्वर अतिथि के रूप में उनको वहाँ आमंत्रित किया जाता है जहां रावण-दहन उनके शुभ हाथ से ही होता है. मासी तुमको अपने साथ लें जायेंगी.”

“ ठीक है नवीन तुम सचमुच मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो- My Bestie”

“ वो तो हूँ,,,, लेकिन तुम बिल्कुल झल्ली हो,,,,, हा,,, हा,,,, हा,,,”

पाखी नवीन की इस बात पर ज़ोर से हंस पड़ी.

“ बस हमेशा यूँ ही मुस्कुराती रहो पाखी”

“हाँ एक बात और पाखी-डर से जीतना  है तो उससे भागो मत ,,,,, संघर्ष करो,,,,,,”

और नवीन ने फ़ोन रख दिया.

पाखी मुस्कुराते हुए नवीन के बारे में और उसके फ़ोन पर कहे गये अंतिम वाक्य को मन ही मन दोहराती रही ,,,,देर तक सोचती रही.

अचानक उसका मोबाइल बजा नवीन की मासी का फ़ोन था. शाम को पाखी को रामलीला मैदान साथ चलने को कहा.

पाखी ने सिल्क की लाल साड़ी पहनी थी. मासी ने उसे देखा तो कहा-“ खूब शूँदौर(बहुत सुंदर लग रही हो). आँखों से काजल निकाल  कर पाखी के कानों के पीछे लगा कर कहा -“ किसी की नज़र ना लगे तुमको”

पाखी ने शरमा कर नज़रें झुका लीं.

दोनों रामलीला मैदान पहुँचे. कार्यक्रम शुरू होने वाला था. मासी और पाखी दोनों chief Guest की सीट पर जा कर बैठ गये. रामायण के कुछ विशेष दृश्यों का नाटकीय रूपांतरण प्रस्तुत किया गया मंच पर और अंत में  रावण-दहन की बेला आई. सुलक्षणा मासी से निवेदन किया गया कि वे रावण-दहन करने हेतु आगे आयें . मासी उठी और अचानक पाखी का हाथ पकड़ लिया . पाखी घबराकर मासी की ओर देखने लगी. मासी ने इशारे से उसे अपने साथ चलने को कहा. ना चाहते हुए भी पाखी मासी के साथ चल पड़ी. अभी वे लोग रावण के पुतले के पास पहुँचे ही थे कि किसी ने पाखी का नाम ले कर ज़ोर से आवाज़ दी. पाखी ने चौंक कर पीछे मुड़ कर देखा तो सौमैंने खड़ा था और क्रोधित लाल-लाल आँखों से पाखी को घूर रहा था. पाखी घबरा कर मासी की पीठ के पीछे छुप गई. मासी को समझते देर ना लगी कि ये उसका पति सौमेन है. पाखी की आँखों में आँसू आ गए और वो भय से काँप रही थी .सौमेन चिल्लाते हुए पाखी को आदेश दे रहा था कि -“ पाखी चलो मेरे साथ. एक बार तुम चलो तो सही फिर देखो मैं तुम्हारा क्या हाल करता हूँ. घर से बाहर पैर निकालना भूल जाओगी”. पाखी लगातार रोये जा रही थी और कह रही थी -“मासी मुझे नहीं जाना इनके साथ. ये मुझे मार डालेगा. मैं जीना चाहती हूँ.,,,, मैं जीना चाहती हूँ”.

तभी सौमेन आगे बढ़ा पाखी की तरफ़ और उसका हाथ पकड़ कर खींचने लगा.पाखी ख़ुद को छुड़ाने का प्रयास करने लगी. वो चीख रही थी “ आमा के छेड़े दाओ सौमेन. आमी तोमार सोंगे जाबो ना,,,, छेड़े दाओ,,,छेड़े दाओ आमा के,,,,,,” 

सौमेन उसे घसीटने लगा. पाखी लगातार उससे विनती कर रही थी कि सौमेन उसे छोड़ दे. 

तभी मासी की ज़ोरदार आवाज़ हवाओं में गूंज उठी. उसने पाखी से कहा-“ पाखी यदि तुम्हें ज़िंदा रहना है. अपनी शर्तों पे जीना है. अपने जीवन को एक नयी दिशा देना चाहती हो तो आज तुमको साहस दिखाना होगा. आज तुम्हारे भीतर के डर -रूपी रावण को तुम्हें जलाना होगा . उसका दहन करना होगा. डरो मत ,,,, हिम्मत रखो और पूरे साहस के साथ इस रावण का अंत करो. डरो मत पाखी,,,, डरो मत,,,,,,,.

इधर सौमेन पाखी को बुरी तरह घसीट रहा था. पाखी स्वयं को बचाने के लिए इधर-उधर देखने लगी. तभी उसकी दृष्टि एक लंबे बांस पर पड़ी. पाखी ने ज़ोर से हाथ झटक कर अपना हाथ छुड़ाया और लपक कर बांस उठा लिया. इससे पहले कि सौमेन कुछ समझ पाता पाखी ने उसके सर पर वो बांस दे मारा . सौमेन को कमज़ोर और डरपोक पाखी से ये उम्मीद नहीं थी. वो आँखें फाड़-फाड़ कर पाखी की ओर देखता ही रह गया. फिर बोला-“तेरी ये हिम्मत अभी बताता हूँ” ज्यों ही सौमेन फिर से पाखी की ओर बढ़ा पाखी ने फिर से उस पर प्रहार किया जिससे सौमेन  का सर फट गया और रक्त की मोटी धारा बहने लगी.सौमेन घबरा कर पीछे हटने लगा और पाखी माँ दुर्गा की भाँति निर्भय हो कर उस रावण रूपी सौमेन की ओर बढ़ने लगी. उसकी रक्त-रंजित क्रोधाग्नि से जलती आँखें सौमेन को घूर रही थी. सौमेन के पास पहुँच कर उसने उसका हाथ पकड़ कर ज़मीन पर धकेल दिया . सौमेन डर कर क्षमा-याचना करने लगा पाखी से. उसने पाखी का ऐसा रुद्र रूप कभी नहीं देखा था. उधर मासी ने रावण के पुतले को अग्नि दे दी थी और रावण धूं-धूं कर जलने लगा. ऊँची-ऊँची लपटें उठने लगी और इधर पाखी सौमेन के सीने पर एक पैर रख कर क्रोध में हुंकार भरती हुई उसे घूर रही थी. सौमेन क्षमा माँगता रहा पर उसका क्रोध शांत नहीं हो रहा था. तभी रामलीला मैदान में पुलिस पहुँच गई और सौमेन को गिरफ़्तार कर के ले गई .

मासी पाखी के पास पहुँची और उसे गले से लगा लिया. पाखी का क्रोध शांत हो चुका था और वो मासी के गले लग कर फूट-फूट कर रोने लगी. 

आज पाखी का वो डर जो बचपन से उसके भीतर था निकल चुका था. आज उसने उस डर रूपी रावण से आँख मिला कर बात की.. संघर्ष किया और जीती भी .

सही कहा था नवीन ने.. डर से जीतना  है तो उससे भागो मत.. संघर्ष करो..

(अंजू डोकानिया)

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