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Dilkash Shayri & Poetry: मैंने तो सोचा था.. (4 पंक्तियाँ)

मैंने तो
सोचा था
अपनी सारी
उमर तुम्हें
दे दूंगा
इतनी दूर
मगर थी मंज़िल
चलते चलते
शाम हो गई !
(कैलाश वाजपेयी)
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