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तुम्हीं को है ओढ़ा तुम्हीं को सीया है!!

ये अधरों की लाली विनीत-नत लोचन,उर-उपवन का शृंगार तुमसे किया है !

बिसरा के सब ध्यान तुम्हारा किया है
तुम्हीं की मैंने हर क्षण जिया है !!

वैचारिक सुधा का अमृत पीया है
तुम्हीं को ओढ़ा तुम्हीं को सीया है !!

है अभिलाषा मेरी वही जो तुम्हारी
हूँ मैं वही जो तुम्हारी प्रिया है !!

प्रकाशित प्रभाकर सुधाकर नखत हैं
दमकने का आभास तुमने दिया है !!

परिवर्तन समर्पण संशोधन अर्पण
ये अद्भुत चमत्कार तुमने किया है !!

लिया कुछ नहीं दिया ही दिया है
प्रणय का ये संसार तुमने दिया है !!

ये अधरों की लाली विनीत-नत लोचन
उर-उपवन का शृंगार तुमसे किया है !!

तुम्हीं को है ओढ़ा तुम्हीं को सीया है

अंजू डोकानिया (काठमांडू,नेपाल)

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