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Mahakumbh: आसान नहीं होता महिला नागा साध्वी बनना – अत्यंत जटिल प्रक्रिया से हो कर गुजरना पड़ता है!

महिला नागा साध्वी

महिला नागा साध्वी

 

 

महिला नागा साध्वी बनने की प्रक्रिया बेहद कठिन और रहस्यमयी होती है, जो गहरी साधना, त्याग, और परंपराओं के पालन पर आधारित है। यह प्रक्रिया प्राचीन सनातन परंपराओं और अखाड़ों की परंपराओं से जुड़ी होती है। इसे समझने के लिए इसे चरणबद्ध तरीके से जानना ज़रूरी है.

 

1. नागा साध्वी बनने की प्रक्रिया

नागा साध्वी बनने की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:

a. गुरु की खोज और दीक्षा:

इच्छुक महिला साध्वी को किसी प्रतिष्ठित अखाड़े या गुरु के पास जाना होता है।

गुरु उन्हें पहले ब्रह्मचारी जीवन जीने और अपने सांसारिक जीवन का त्याग करने के लिए तैयार करते हैं।

दीक्षा से पहले साधिका को “अखंड ब्रह्मचर्य” का पालन करना होता है और स्वयं को तपस्या और साधना में समर्पित करना होता है।

b. सांसारिक संबंधों का त्याग:

साध्वी को अपने परिवार, धन, और सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त होना पड़ता है।

बाल, श्रृंगार और पहचान के अन्य प्रतीकों का त्याग किया जाता है।

उन्हें चिता-भस्म (अस्थियों की राख) का प्रयोग करना सिखाया जाता है।

c. कठिन तपस्या और साधना:

उन्हें कठोर योगाभ्यास, ध्यान, और मंत्र साधना में प्रशिक्षित किया जाता है।

यह अवधि कई वर्षों तक चल सकती है, जिसमें वे पूर्णत: अखाड़े की परंपराओं और नियमों का पालन करती हैं।

d. नागा दीक्षा:

महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में उन्हें दीक्षा दी जाती है।

दीक्षा के दौरान नग्न अवस्था में, केवल शरीर पर भस्म और गेरुआ वस्त्र धारण कर, ईश्वर और अपने गुरु को समर्पित होकर नागा साध्वी का रूप धारण करती हैं।

यह एक पवित्र और आध्यात्मिक संस्कार है, जिसमें मंत्रोच्चार और अग्नि के समक्ष संकल्प लिया जाता है।

 

2. महिला नागा साध्वी और मासिक धर्म

नागा साध्वियों के मासिक धर्म को आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाता है। इसे शरीर का एक सामान्य प्राकृतिक कार्य माना जाता है, और इससे उनकी साधना या स्नान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

कुंभ स्नान के समय, अगर कोई साध्वी मासिक धर्म में होती हैं, तो वे अपने अखाड़े के नियमों का पालन करती हैं।

अधिकतर अखाड़ों में, मासिक धर्म के दौरान स्नान की अनुमति होती है, लेकिन विशेष रूप से पवित्रता और स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है।

 

3. महिला नागा साध्वियों के नाम

महिला नागा साध्वियों के नाम बहुत कम सार्वजनिक किए जाते हैं, क्योंकि वे प्रचार से दूर रहकर साधना में लीन रहती हैं। फिर भी, कुछ प्रसिद्ध नागा साध्वियों में:

प्रमिला गिरि: जूना अखाड़े की एक प्रतिष्ठित नागा साध्वी हैं।

कंता गिरि: नागा साध्वियों में उनका नाम प्रमुख है।

साध्वी आस्था मां: यह नाम भी समय-समय पर सामने आता है।

 

4. महाकुंभ और नागा साध्वियों का रहस्योद्घाटन

महाकुंभ के दौरान नागा साध्वियों की उपस्थिति विशेष आकर्षण का केंद्र होती है।

a. कुंभ स्नान:

नागा साध्वी और नागा साधु सबसे पहले कुंभ स्नान करते हैं।

वे अपनी अखाड़े की ध्वज-वाहिनी के साथ भव्य जुलूस में शामिल होती हैं।

स्नान को आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है।

b. समाज से दूर जीवन:

नागा साध्वियां समाज से दूर जंगलों, गुफाओं, और अखाड़ों में रहती हैं।

उनका जीवन एक रहस्य की तरह होता है, क्योंकि वे सांसारिक बंधनों और भौतिक सुखों से परे होती हैं।

c. शक्ति और साधना का प्रतीक:

महिला नागा साध्वियां शक्ति और त्याग का प्रतीक होती हैं।

वे समाज को यह सिखाती हैं कि आध्यात्मिक यात्रा में स्त्री और पुरुष में कोई भेद नहीं होता।

 

5. रहस्य और महत्व

महिला नागा साध्वियों का जीवन पूरी तरह से त्याग, अनुशासन, और तपस्या पर आधारित होता है।

उनका जीवन हमें यह संदेश देता है कि आत्मज्ञान और आध्यात्मिक उत्थान के लिए शरीर, लिंग, और सांसारिक बंधन बाधा नहीं हैं।

यह प्रक्रिया इतनी कठिन और रहस्यमयी है कि इसे केवल वही पूरा कर पाते हैं, जो पूर्ण समर्पण और त्याग के लिए तैयार होते हैं।

(आचार्य अनिल वत्स जी के सोशल मीडिया पृष्ठ से)

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