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“आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान” द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय में संस्कृत साधकों का सम्मान

यह आयोजन संस्कृत भाषा को एक समृद्ध और समकालीन संदर्भ में प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण कदम था.इसके माध्यम से संस्कृत के क्षेत्र में किए गए योगदानों को सम्मानित करने के साथ-साथ, हम आगे बढ़ने और इसे आने वाली पीढ़ियों तक सहेजने का संकल्प लेते हैं.संस्कृत न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है, बल्कि यह हमारे ज्ञान की समृद्ध परंपरा का भी प्रतीक है.

दिनांक: 01.12.2024
स्थान: दिल्ली विश्वविद्यालय, संस्कृत विभाग

दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग और बिहार संस्कृत संजीवन समाज द्वारा आयोजित “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान” के तहत डॉ. मिथिलेश कुमार मिश्र वर्य के जयन्त्यवसर पर एक विशिष्ट संस्कृत साधक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य संस्कृत भाषा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देना था, जिसमें संस्कृत के प्रमुख विद्वानों और साधकों को उनके अद्वितीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का विवरण

प्रथम सत्र (11:00 AM – 1:00 PM):

कार्यक्रम की शुरुआत दीपप्रज्वलन और मंगलाचरण से की गई, इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलगीत और संस्कृत स्वागतगीत प्रस्तुत किए गए। इस सत्र में स्वागत भाषण प्रो. रणजीत बेहरा द्वारा दिया गया, और उद्घाटन भाषण डॉ. मुकेश कुमार ओझा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान” द्वारा दिया गया। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. धर्मेन्द्रपति त्रिपाठी (संयुक्त निदेशक, पेंशन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार) और मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. भारतेन्दु पाण्डेय (संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने संबोधित किया। इसके बाद प्रो. ओमनाथ बिमली (अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने अध्यक्षीय उद्बोधन दिया।

इस सत्र में संस्कृत साधकों ने अपने अनुभव साझा किए, जिनमें डॉ. महेश केवट, सुश्री अदिति चोला, श्री महेश मिश्र, तनुजा कुमारी, उपासना आर्या, और प्रेमलता शामिल थे। मंच संचालन मनीष कुमार और उपासना आर्या द्वारा किया गया।

भोजन (1:00 PM – 2:00 PM):

पहले सत्र के बाद, कार्यक्रम में सम्मिलित सभी अतिथियों और प्रतिभागियों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई।

द्वितीय सत्र (2:30 PM – 4:00 PM):

इस सत्र की शुरुआत संस्कृत गीत से हुई, जिसे डॉ. लीना चौहान (उपाध्यक्ष, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान”) ने प्रस्तुत किया। इसके बाद डॉ. धर्मेन्द्रपति त्रिपाठी और प्रो. दयाशंकर तिवारी (संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने प्रमुख भाषण दिए। द्वितीय सत्र में संस्कृत साधकों को सम्मानित किया गया, और प्रमुख अतिथियों द्वारा सम्मान प्रदान किया गया। इस सत्र में प्रो. सत्यपाल सिंह (संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने सह अध्यक्षीय उद्बोधन दिया, और डॉ. मुकेश कुमार ओझा (महासचिव, बिहार संस्कृत संजीवन समाज) ने अध्यक्षीय उद्बोधन प्रस्तुत किया।

इसके बाद, प्रेमलता और सुजाता घोष (सदस्य, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान”) द्वारा संस्कृत गीत प्रस्तुत किया गया। अंत में, धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शैलेन्द्र सिंह (संरक्षक, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान”) द्वारा दिया गया। सत्र का समापन ऐक्यमंत्र और राष्ट्रगान से हुआ। मंच संचालन पिंटू कुमार और सौरभ शर्मा द्वारा किया गया।

कार्यक्रम का उद्देश्य:

यह आयोजन संस्कृत भाषा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित था। इस कार्यक्रम में उन विद्वानों और साधकों को सम्मानित किया गया जिन्होंने संस्कृत के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया। कार्यक्रम का उद्देश्य संस्कृत के प्रति जागरूकता बढ़ाना, उसकी महत्ता को समझाना और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना था। इस कार्यक्रम के माध्यम से हम संस्कृत को एक जीवंत और समृद्ध भाषा के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह आयोजन संस्कृत के प्रचार-प्रसार को और अधिक सशक्त बनाने का एक अभूतपूर्व कदम था।

सम्मानित सदस्य:

सर्वश्रेष्ठ-शिविर-पुरस्कार:
सुश्री उपासना आर्या
उपाध्यक्ष, बिहार प्रांत, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान”

सर्वश्रेष्ठ-सक्रिय-पुरस्कार:
श्री पिंटू कुमार
राष्ट्रीय संयोजक, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान”

सक्रिय योगदान पुरस्कार:
डॉ. लीना चौहान
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान”

स्वर्ण-पदक-पुरस्कार:
सुश्री अदिति चोला
सह संयोजिका, उत्तर प्रदेश शासन, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान”

डॉ. मिथिलेश कुमार मिश्र संस्कृत साधक सम्मान:

श्री धर्मेन्द्रपति त्रिपाठी
संयुक्त , पेंशन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार
संरक्षक, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान”

प्रो. ओमनाथ बिमली
अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय

प्रो. भारतेन्दु पाण्डेय
आचार्य, संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय

प्रो. दयाशंकर तिवारी
आचार्य, संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय

प्रो. रणजीत बेहरा
आचार्य, संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय

प्रो. सत्यपाल सिंह
आचार्य, संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय

श्री शैलेन्द्र कुमार सिन्हा
संरक्षक, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान”

डॉ. राघव कुमार झा
राष्ट्रीय प्रचार सचिव, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान”

श्री पारिजात त्रिपाठी
राष्ट्रीय प्रचार सचिव, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान”

श्री महेश मिश्र

संरक्षक, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान”

डॉ. लीना चौहान
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान”

सुश्री सुजाता घोष
सह संयोजिका, असम प्रांत, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान”

डॉ. सत्येन्द्र सत्यार्थी
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान”

डॉ. रामनिवास सिंह
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान”

डॉ. नारायण दत्त मिश्र
राष्ट्रीय प्रचार सचिव, “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान”

समारोह का प्रभाव:

यह आयोजन संस्कृत भाषा को एक समृद्ध और समकालीन संदर्भ में प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण कदम था। इसके माध्यम से संस्कृत के क्षेत्र में किए गए योगदानों को सम्मानित करने के साथ-साथ, हम आगे बढ़ने और इसे आने वाली पीढ़ियों तक सहेजने का संकल्प लेते हैं। संस्कृत न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है, बल्कि यह हमारे ज्ञान की समृद्ध परंपरा का भी प्रतीक है। आज के इस आयोजन ने इस तथ्य को और अधिक प्रबल किया है कि संस्कृत केवल अतीत का हिस्सा नहीं, बल्कि यह आधुनिक शिक्षा और समाज की धारा में भी अपनी उपस्थिति बनाए रखती है।

इस समारोह में सम्मिलित सभी प्रमुख व्यक्तित्वों ने संस्कृत के प्रचार-प्रसार में अपनी भूमिका निभाई है। उन्होंने इस बात को साबित किया है कि संस्कृत न केवल शास्त्रों की भाषा है, बल्कि यह समकालीन जीवन की समस्याओं के समाधान की कुंजी भी हो सकती है। इस आयोजन ने संस्कृत को एक नई दिशा दी है और आगामी पीढ़ियों के लिए इसे सशक्त बनाने की दिशा में एक नया अध्याय जोड़ा है।

कार्यक्रम का समापन:

कार्यक्रम का समापन ऐक्यमंत्र और राष्ट्रगान से हुआ। सभी प्रतिभागियों ने एकजुट होकर इस समर्पण के प्रति अपनी भावना व्यक्त की। कार्यक्रम के माध्यम से, हम सभी ने संस्कृत की महिमा को पहचाना और इसे हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए ठान लिया। “आधुनिक भव संस्कृतं वद अभियान” का यह आयोजन न केवल संस्कृत के प्रचार-प्रसार का एक मंच है, बल्कि यह संस्कृत के प्रति समर्पण और आदर का प्रतीक भी है

डॉ. मुकेश कुमार ओझा

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