Chhaava Movie: छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की कमान संभालने के बाद मुगल शासक औरंगजेब को कड़ी टक्कर दी थी। इसी वीर योद्धा की कहानी को विक्की कौशल, निर्देशक लक्ष्मण उतेकर और निर्माता दिनेश विजान ने फिल्म ‘छावा’ के जरिए दर्शकों के सामने पेश किया है। अगर आप यह फिल्म देखने जा रहे हैं, तो पहले इसका रिव्यू पढ़ लीजिए।
क्या है ‘छावा’ की कहानी?
यह फिल्म लेखक शिवाजी सावंत की प्रसिद्ध किताब ‘छावा’ पर आधारित है। छत्रपति शिवाजी महाराज के निधन के बाद मुगल सम्राट औरंगजेब ने मराठा साम्राज्य पर कब्जा करने की कोशिश की, लेकिन संभाजी महाराज ने अपने पराक्रम से यह साफ कर दिया कि भले ही शेर (शिवाजी) नहीं रहा, लेकिन उसका ‘छावा’ (संभाजी) अब भी जिंदा है और स्वराज का सपना टूटने नहीं देगा। संभाजी महाराज निडर योद्धा थे, लेकिन उनका जीवन संघर्षों और दर्द से भरा रहा, जिसे निर्देशक लक्ष्मण उतेकर ने बड़े पर्दे पर दिखाने का प्रयास किया है।
विक्की कौशल ने संभाजी महाराज के रूप में मचाया धमाल
फिल्म की शुरुआत एक भव्य युद्ध दृश्य से होती है, जहां विक्की कौशल पहली बार छत्रपति संभाजी महाराज के रूप में नजर आते हैं। उनकी आंखों में जोश, चौड़ी छाती और दमदार आवाज के साथ वे जब युद्ध में उतरते हैं, तो दर्शक उनके शौर्य को महसूस कर सकते हैं।
लेकिन युद्ध के मैदान में पराक्रमी योद्धा दिखने वाले संभाजी, निजी जीवन में संवेदनशील और भावुक व्यक्ति भी थे। वे अपनी मां को खोने के दर्द से जूझते हैं और अक्सर सपनों में उनसे मिलने की कोशिश करते हैं, लेकिन हर बार उन्हें पिता शिवाजी की ही आवाज सुनाई देती है।
विक्की कौशल ने इस किरदार में जान डाल दी है। उन्होंने पहले ही बताया था कि निर्देशक लक्ष्मण उतेकर ने उनसे “शेर जैसा दिखने” को कहा था और विक्की इसमें पूरी तरह सफल रहे हैं। युद्ध के दृश्यों में उनकी ऊर्जा देखते ही बनती है।
एक दृश्य में जब वे अकेले मुगलों की विशाल सेना से भिड़ते हैं, तो उनकी ताकत और हौसले को देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यहां तक कि जब उन्हें बेड़ियों में जकड़ दिया जाता है, तब भी दुश्मन उनके करीब जाने से घबराते हैं। इस किरदार में विक्की कौशल ने अपनी बेहतरीन एक्टिंग से दर्शकों को बांधकर रखा है।
अक्षय खन्ना ने औरंगजेब के रूप में किया चौंका देने वाला प्रदर्शन
फिल्म में औरंगजेब के रूप में अक्षय खन्ना को पहचान पाना मुश्किल है। डीए मेकअप लैब द्वारा किए गए बेहतरीन प्रॉस्थेटिक्स और उनकी दमदार एक्टिंग ने इस किरदार को जीवंत बना दिया है। बूढ़े औरंगजेब के भीतर की जलन, गुस्सा और भारत को जीतने की लालसा को अक्षय ने बखूबी दिखाया है। उनकी आंखों में नफरत और क्रूरता झलकती है, जो दर्शकों को डराने में सफल रहती है। शांत लेकिन निर्दयी शासक के रूप में उनका किरदार प्रभावशाली है।
सपोर्टिंग कास्ट का प्रदर्शन
रश्मिका मंदाना ने संभाजी महाराज की पत्नी येशुबाई की भूमिका निभाई है। वे एक रानी के रूप में अच्छी लगी हैं, लेकिन उनका संवाद अदायगी (एक्सेंट) उनकी परफॉर्मेंस को कमजोर बनाता है।
विनीत कुमार सिंह ने संभाजी के मित्र और कवि कवि कलश की भूमिका को बेहतरीन तरीके से निभाया है। उनकी संवाद अदायगी और कविताएं फिल्म में जान डालती हैं।
दिव्या दत्ता, डायना पेंटी, आशुतोष राणा, अनिल जॉर्ज जैसे शानदार कलाकार भी फिल्म का हिस्सा हैं, लेकिन उन्हें ज्यादा स्क्रीन टाइम नहीं दिया गया है।
फिल्म की कमजोरियां
धीमी गति (Slow Pacing): फिल्म की सबसे बड़ी समस्या इसकी स्लो एडिटिंग है। कई जगहों पर फिल्म खिंची हुई लगती है, जिससे दर्शक बोर हो सकते हैं।
डायलॉग्स में कमी: फिल्म में कई जोशीले डायलॉग्स हैं, लेकिन कोई भी ऐसा नहीं जो दर्शकों के दिमाग में लंबे समय तक रहे।
अत्यधिक युद्ध दृश्य: युद्ध के दृश्य शानदार हैं, लेकिन बार-बार इन्हें दिखाने से कहानी थोड़ी धीमी और दोहराव वाली लगने लगती है।
संगीत प्रभावशाली नहीं: फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है, लेकिन गाने खास असर नहीं छोड़ते।
क्या आपको ‘छावा’ देखनी चाहिए?
अगर आपको ऐतिहासिक युद्ध गाथाएं पसंद हैं और आप संभाजी महाराज की वीरता को बड़े पर्दे पर देखना चाहते हैं, तो यह फिल्म जरूर देखें। विक्की कौशल का दमदार अभिनय, अक्षय खन्ना का खौफनाक अवतार और बेहतरीन युद्ध दृश्य इसे देखने लायक बनाते हैं। हालांकि, धीमी गति और कमजोर डायलॉग्स कुछ दर्शकों को निराश कर सकते हैं।