Ceasefire: एक राष्ट्रभक्त, देशप्रेमी द्वारा लिखा हुआ यह लघु-लेख पर्याप्त आकलन है इस युद्ध विराम के कारण का..
एक क्षण में नरेन्द्र मोदी व्यापारी, बनिया, कायर, कूटनीति समझने में विफल, पराजित और निकृष्ट हो गए। आश्चर्य नहीं, दुख का विषय है। जबकि यह ऑपरेशन पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर नौ हमलों के बाद ही समाप्त माना जा रहा था। वह तो पाकिस्तान ने पलट कर हमले किए और हमने उसे घुसकर मारा, अभूतपूर्व मारा तो खिंच गया। एक तरह से वह गिड़गिड़ाने लगा। अब आप उसे भी झुठला दीजिए जिस पर गरज गरज कर उछल रहे थे। सीजफायर हुआ तो मोदीजी हार गए। इंदिरा गांधी याद आने लगीं। जबकि इंदिरा गांधी ने 1971 के युद्ध में कुछ हासिल नहीं किया था। यही नरेन्द्र मोदी पाकिस्तान का परमानेंट इलाज करेंगे। उसका भी समय आएगा।
नात्मन: कामकारो हि पुरुषोयमनीश्वर:।
इतश्चेतरतश्चैनं कृतान्त: परिकर्षति।।
वाल्मीकि रामायण में श्रीराम भरत से कहते हैं कि मैं ईश्वर नहीं, जीव हूॅं। काल से बिद्ध। काल मुझे जिधर खींचता है, उधर चला जाता हूॅं।
राजनीति के एजेन्डेबाज महाविद्वानों या अति-उत्साही राष्ट्रवादियों को अगर यह भ्रम है कि मोदी कूटनीति की मेज पर कुछ गंवा कर भारत का अहित करेंगे तो यह भ्रम मात्र है। नरेन्द्र मोदी इंदिरा गांधी नहीं हैं। धैर्य रखिए साहब। अधिक से अधिक छह महीने या वर्ष। पाकिस्तान स्वयं अपने अंत की भूमिका लिखेगा। आपके उद्वेलित होकर जय-जय करने और आपकी इच्छा के प्रतिकूल होते ही गरियाने से नरेन्द्र मोदी का व्यक्तित्व छोटा नहीं होता। आप उस व्यक्ति को कभी नहीं समझ सके। एक दिन समझेंगे, वह दिन भी दूर नहीं।
अब मुझे एक हजार गालियां दे दो साहब और समय की प्रतीक्षा करो। उस दिन मैं प्रश्न पूछूंगा, उत्तर देना। पाकिस्तान सुधरने वाला नहीं है। जब विधि उसका समापन समारोह आयोजित करेगा, वह तभी होगा।
(राजेन्द्र खंडेलवाल)