Friday, August 8, 2025
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Mithun Chakraborty: जब बेवफाई ने दिया अमर गीतों को जन्म – किशोर कुमार, योगिता बाली & मिथुन का प्रेम त्रिकोण

Mithun Chakraborty हिन्दी सिनेमा के महान गायक किशोर कुमार का दिल उस समय टूट कर बिखर गया जब उनकी प्रियतमा योगिता बाली को मिथुन उड़ा ले गये..

Mithun Chakraborty हिन्दी सिनेमा के महान गायक किशोर कुमार का दिल उस समय टूट कर बिखर गया जब उनकी प्रियतमा योगिता बाली को मिथुन उड़ा ले गये..

किशोर कुमार—एक ऐसा नाम जो हिंदी फिल्म जगत में अमर है। जितनी बुलंदियां उन्होंने अपने करियर में हासिल कीं, उतने ही दर्द और धोखे उन्होंने निजी जीवन में सहे। उनकी ज़िंदगी का एक ऐसा अध्याय है जो न सिर्फ उनके दिल को चीर गया, बल्कि उसी पीड़ा से जन्मे वो गीत जो आज भी लोगों की रूह को छू जाते हैं।

एक रिश्ता, जो अधूरा रह गया

1976 में किशोर कुमार ने तीसरी शादी की खूबसूरत अभिनेत्री योगिता बाली से। शुरुआत में दोनों का रिश्ता बेहद मधुर और भरोसे से भरा रहा। किशोर दा ने योगिता को अपनी दुनिया माना, लेकिन यह रिश्ता ज़्यादा दिनों तक टिक न सका।

कुछ ही सालों में दोनों के बीच दूरियां आने लगीं। तभी योगिता की मुलाकात हुई युवा और उभरते अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती से। धीरे-धीरे यह दोस्ती मोहब्बत में बदल गई।

जब प्यार ने धोखे का रूप ले लिया

जब किशोर कुमार को योगिता और मिथुन के रिश्ते की भनक लगी, तो वह अंदर तक टूट गए। यह अहसास उन्हें बहुत गहरा आघात दे गया। कहा जाता है कि उन्होंने गुस्से और आहत भावनाओं में योगिता से साफ कह दिया—अब इस घर में उनके लिए कोई जगह नहीं।

1979 में योगिता ने किशोर कुमार से तलाक ले लिया और उसी साल मिथुन चक्रवर्ती से शादी कर ली। इस शादी ने मीडिया और इंडस्ट्री में काफी हलचल मचा दी थी।

जब टूटे दिल ने रचे बेजोड़ नगमे

किशोर कुमार ने अपने दर्द को कभी सार्वजनिक रूप से बयां नहीं किया। मगर, उनके गाए गानों में उस समय की तन्हाई, दर्द और दिल की गहराई साफ महसूस की जा सकती है। ये वही दौर था जब उनके गीतों में सच्चे जज़्बात और टूटे दिल की सच्चाई झलकती थी।

उन्होंने अपने जख्मों को अपनी कला में ढाल दिया और यही वजह है कि उनके दर्दभरे गीत आज भी अमर हैं।

नई शुरुआत और दो अधूरे रिश्ते

बाद में किशोर दा ने लीना चंदावरकर से शादी की, जो उनके जीवन के अंतिम क्षणों तक उनके साथ रहीं। वहीं, योगिता और मिथुन की शादी में भी कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन दोनों ने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा।

कुल मिला कर कह सकते हैं कि

किशोर कुमार की यह कहानी हमें सिखाती है कि ज़िंदगी में चाहे जितना भी दर्द हो, अगर उसे सही दिशा दी जाए तो वो कला, प्रेरणा और अमरता का रूप ले सकता है।

(प्रस्तुति -त्रिपाठी सुमन पारिजात)

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