Sunday, December 14, 2025
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Family Reunion: 40 साल बाद मिला बिछड़ा प्यार – अधूरा प्रेम, गोद दी गई बेटी

Family Reunion: चार दशकों बाद पूरी हुई ज़िंदगी की सबसे बड़ी तलाश - लगता था अब दुनिया में नहीं होंगे -भाग्य ने इस तरह मिलाया कब के बिछुड़ों को..

Family Reunion: चार दशकों बाद पूरी हुई ज़िंदगी की सबसे बड़ी तलाश – लगता था अब दुनिया में नहीं होंगे -भाग्य ने इस तरह मिलाया कब के बिछुड़ों को..

प्रेम, जुदाई और चार दशक बाद अपनी बेटी को दोबारा पाने की यह कहानी किसी फ़िल्मी पटकथा जैसी लग सकती है, लेकिन यह पूरी तरह सच्ची है और असल ज़िंदगी से जुड़ी हुई है। यह कहानी है केविन कैरोल और डेबी वेबर की, जिनकी ज़िंदगियां समय, हालात और समाज की बंदिशों के चलते अलग-अलग दिशाओं में चली गईं, लेकिन नियति ने उन्हें फिर से एक-दूसरे के पास ला खड़ा किया।

एक पुरानी तस्वीर में केविन कैरोल और डेबी वेबर सांता क्लॉज़ की गोद में बैठे दिखाई देते हैं। दोनों कैमरे की ओर मुस्कुरा रहे हैं, जैसे उस मासूम मुस्कान में आने वाले जीवन की तमाम पीड़ाएं और संघर्ष छिपे हों। यह तस्वीर उनके निजी संग्रह से है और 7 दिसंबर 2025 की तारीख़ के साथ उनकी ज़िंदगी के सबसे भावुक अध्याय की याद दिलाती है।

कहानी की शुरुआत साल 1967 से होती है। उस समय केविन और डेबी दोनों ही किशोर उम्र में थे और अपने-अपने स्कूलों के थिएटर ग्रुप से जुड़े हुए थे। केविन लड़कों के एक स्कूल में पढ़ते थे, जबकि डेबी लड़कियों के स्कूल की छात्रा थीं। एक संयुक्त ऑडिशन के दौरान दोनों पहली बार एक ही ऑडिटोरियम में मौजूद थे।

केविन ने बाद में मीडिया के समक्ष साक्षात्कार के एक कार्यक्रम में बताया कि उसी दिन उनकी नज़र डेबी पर पड़ी और उन्होंने अपने दोस्त से कहा था कि वह लड़की उन्हें स्कूल डांस में साथ लेकर जाएंगे। वहीं दूसरी ओर, डेबी भी उस दिन अकेली बैठी थीं, क्योंकि वे दूसरे स्कूलों से आई लड़कियों को नहीं जानती थीं। जब उनकी नज़र केविन पर पड़ी, तो उन्हें लगा कि उन्होंने अब तक इतना प्यारा लड़का कभी नहीं देखा।

पहली मुलाक़ात सिर्फ़ डांस तक सीमित नहीं रही। दोनों के बीच नज़दीकियां बढ़ती गईं और जल्द ही वे एक-दूसरे के बिना रह पाने की कल्पना भी नहीं कर पाते थे। हालात यहां तक पहुंच गए कि दोनों ने मैरीलैंड भागकर शादी करने तक की योजना बना ली, क्योंकि वहां कम उम्र में विवाह संभव था।

लेकिन ज़िंदगी ने अचानक करवट ली। डेबी के गर्भवती होने की ख़बर सामने आई और समाज की सख़्त सोच ने उनके सारे सपनों को तोड़ दिया। यही वह मोड़ था, जिसने दोनों को अगले 40 वर्षों के लिए एक-दूसरे से अलग कर दिया।

जब डेबी के माता-पिता को उनकी गर्भावस्था के बारे में पता चला, तो उन्होंने भावनात्मक रूप से उनका साथ दिया। वे केविन को भी एक अच्छे इंसान के रूप में जानते थे। बावजूद इसके, उस दौर का समाज अविवाहित गर्भावस्था को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था। इसी वजह से तय हुआ कि डेबी को अविवाहित माताओं के लिए बने एक विशेष आश्रय गृह में भेजा जाएगा।

डेबी बताती हैं कि उनकी मां ने उन्हें यह छूट दी थी कि केविन उनसे मिलने आ सकते थे। दोनों साथ घूमते, कार में वक्त बिताते और एक साथ खाना खाते थे। इस पूरे समय दोनों को यही उम्मीद थी कि हालात सुधरेंगे और वे शादी करके अपने बच्चे को साथ पाल सकेंगे।

केविन इस उम्मीद को लेकर इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने अपनी मां को मना लिया कि 17 साल की उम्र में ही उन्हें अमेरिकी मरीन कोर में भर्ती करा दिया जाए। उनका मानना था कि सेना में शामिल होने से वे डेबी को आर्थिक मदद भेज सकेंगे और बच्चे की देखभाल संभव हो पाएगी।

लेकिन ट्रेनिंग के दौरान केविन को एक ऐसा पत्र मिला, जिसने उनकी दुनिया हिला दी। उस पत्र में लिखा था कि डेबी ने बच्चे को गोद देने का फ़ैसला कर लिया है। केविन के लिए यह पल बेहद दर्दनाक था। उन्होंने बताया कि मरीन ट्रेनिंग के दौरान भावनाएं दिखाना मना था, लेकिन भीतर से वे पूरी तरह टूट चुके थे।

इसके बाद ज़िंदगी ने दोनों को और दूर कर दिया। केविन को वियतनाम युद्ध में भेजा गया, जबकि डेबी अपने बच्चे को खोने के डर से जूझती रहीं। डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि एक ऐसा परिवार है, जो बच्चा गोद लेना चाहता है। अंततः डेबी ने एक बेटी को जन्म दिया, जो उनके मुताबिक बिल्कुल केविन जैसी दिखती थी।

बेटी को उस परिवार को सौंपने के बाद डेबी का परिवार नई शुरुआत के लिए कहीं और चला गया। उधर, वियतनाम युद्ध के दौरान केविन गंभीर रूप से घायल हो गए। कई सर्जरी, लंबा इलाज और असहनीय दर्द सहने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी।

इन सब वर्षों में दोनों ने अलग-अलग ज़िंदगियां जीं। डेबी ने कई शादियां कीं और उनकी तीन बेटियां हुईं। केविन ने भी शादी की, लेकिन पत्नी की मृत्यु के बाद वे अकेले रह गए। दोनों में से किसी को भी उस बेटी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई, जिसे कभी गोद दे दिया गया था।

कई साल बाद डेबी ने अपनी बेटियों को पूरी सच्चाई बताने का फ़ैसला किया। मदर्स डे के दिन उन्होंने रसोई में बैठकर अपनी ज़िंदगी की पूरी कहानी साझा की। उनकी एक बेटी ने अपनी खोई हुई बहन को ढूंढने की ठान ली।

थोड़ी-सी जानकारी और इंटरनेट की मदद से वह परिवार मिल गया, जिसने कभी उस बच्ची को गोद लिया था। एक दिन फ़ोन की घंटी बजी और दूसरी ओर वैल थी – ये वही बेटी थी, जिसे सालों पहले गोद दिया गया था। वैल ने साफ़ शब्दों में कहा कि उन्हें अपने जन्म से जुड़े फ़ैसले से कोई शिकायत नहीं है।

यह सुनकर डेबी के भीतर जमा सालों का अपराधबोध और शर्म एक पल में पिघल गया। उसी शाम मां-बेटी की मुलाक़ात हुई और एक नया सवाल सामने आया -वैल के पिता केविन कहां हैं?

काफ़ी खोजबीन के बाद केविन तक संपर्क सूत्र पहुंच गया। जब डेबी ने उन्हें बताया कि उन्होंने उनकी बेटी को ढूंढ लिया है, तो केविन का जवाब बिना किसी हिचक के ‘हां’ था। इसके बाद तीनों की मुलाक़ात हुई और वह पल भावनाओं से भरा हुआ था।

करीब 40 साल तक अलग रहने के बाद केविन और डेबी ने शादी कर ली। आज दोनों लगभग 70 वर्ष के हैं और एक-दूसरे की देखभाल करते हुए शांत और संतुष्ट जीवन जी रहे हैं। डेबी कहती हैं कि अब उन्हें ज़िंदगी से और कुछ नहीं चाहिए -बस साथ, प्यार और सुकून।

आज, चार दशक से ज़्यादा समय बीत जाने के बाद, केविन और डेबी फिर से साथ हैं। उनका कहना है कि अब वे उस प्रेम को सहेजकर जी रहे हैं, जिसे जवानी में पूरा जीने का अवसर नहीं मिला। हालांकि, इस मुकाम तक पहुंचने की राह किसी हॉलीवुड फ़िल्म से कम नाटकीय नहीं रही।

(प्रस्तुति -त्रिपाठी पारिजात)

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