Wednesday, January 22, 2025
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Immense Love Story:अमृता के इमरोज़

इमरोज़ ये सत्य जानते थे?

अमृता_के_इमरोज 97 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गये, अमृता जी की मृत्यु के लगभग 18 साल बाद। इमरोज के नाम के आगे लिखी तमाम उपमाएं उनके किरदार के आगे छोटी पड़ जाती हैं। इमरोज एक निःस्वार्थ प्रेमी थे वह जानते थे कि जिस लड़की पर वह दुनिया लुटा रहे हैं उसकी जिंदगी में कोई और (साहिर) है । फिर भी इमरोज जिंदगी भर एक ऐसे प्रेमी बने रहे जो इस बात से वाकिफ थे कि उनकी प्रेमिका तो किसी और से प्रेम करती है कितना मुश्किल होता होगा यह जानते हुये भी किसी को प्रेम करते रहना शायद इसी का नाम इश्क़ है। ऐसा ही इश्क़ इमरोज ने अमृता से किया था।

वो इमरोज़ की पीठ पर अपने प्रेमी का नाम लिखा करती थीं

एक इंटरव्यू में इमरोज बताते हैं कि अमृता की उंगलियां हमेशा कुछ न कुछ लिखा ही करती हैं फिर चाहे उनके हाथों में कलम हो या न हो, बहुत बार मैं स्कूटर चलता और अमृता पीछे बैठ कर मेरी पीठ पर कुछ लिखा करती हैं जो मुझे पता होता हैं कि साहिर का नाम लिखती, लेकिन क्या फर्क पड़ता है अमृता साहिर को चाहती हैं और मैं अमृता को। 2005 में अमृता ने जब इमरोज की बाहों में दम तोडा़ तो इमरोज ने लिखा- हम जीते हैं, ताकि हमें प्यार करना आ जाये, हम प्यार करते हैं ताकि हमें जीना आ जाये ‘ उसने सिर्फ जिश्म छोडा़ है मेरा साथ नहीं ‘।

अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिबअभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जायें हमदोनों

उनदोनों ने विवाह क्यों नहीं किया?

अमृता और इमरोज लगभग 40 की उम्र में तब मिले जब अमृता को साहिर के नाम अंतिम ख़त लिखकर उसमें स्कैच बनवाना था और फिर मिले तो क्या ही मिले कि अंतिम सांस तक एक साथ रहे। दोनों ने शादी नहीं किया और एक ही घर में दो अलग कमरों में रहते थे। अमृता ने लिखा था कि ‘ अजनबी तुम मुझे जिंदगी की शाम में क्यों मिले, मिलना था तो दोपहर में मिलते’ तब साहिर का जवाब आता है कि ‘ तुम मेरी जिंदगी की खूबसूरत शाम ही सही लेकिन तुम ही मेरी सुबह, ही मेरी दोपहर और तुम ही मेरी शाम हो…

प्रेम में इमरोज़ की दीवानगी

जब अमृता और इमरोज साथ रहने का निर्णय किये तो अमृता ने इमरोज से कहा कि एक बार तुम पूरी दुनिया घूम आओ और फिर भी तुम अगर मुझे चुनोगे तो मैं तुम्हारा यहीं इंतजार करते हुये मिलूंगी। इस पर इमरोज उठते हैं और उसी कमरे का सात चक्कर लगाते हैं और कहते हैं घूम लिया दुनिया… बस मेरी दुनिया तुम्हीं तक है। अमृता को लिखना पसंद था वह देर रात तक लिखा करती थी और इमरोज उन्हें रातों को चाय बनाकर पिलाया करते ताकि अमृता को थकान ना महसूस हो। इमरोज अमृता को एक पल भी अपनी आँखों से ओझल नहीं होने देना चाहते थे। जब अमृता राज्यसभा की सदस्य बनी तो सदन चलने भर उन्हें छोड़ने जाते और वहीं बाहर इंतज़ार करते, ज्यादातर लोगों ने उन्हें उनका ड्राइवर समझ लिया था लेकिन वह तो प्रेम में पागल इमरोज थे।

मैंने कई बार चाँद की लौ में उसे देखा है

ऐतिहासिक अमर प्रेम कहानी

आज की मौजूदा पीढ़ी शायद ही इमरोज को उतना जानती हो लेकिन प्रेम में इमरोज बन पाना कितना मुश्किल रहा होगा। मैं जितना जान पाया हूं अमृता जी और इमरोज जी को उतने में मैं दावे से कह सकता हूँ कि अपने समय से काफी आगे के प्रेमी-प्रेमिका रहे हैं दोनों जबकि अमृता जी से इमरोज लगभग 7 साल छोटे थे फिर भी उन्होंने अपने रिश्ते को इतिहास में अमर कर दिया। आज मुहब्बत की दुनिया के सभी लोग इमरोज ( मूल नाम- इन्द्रजीत सिंह ) को नम आँखों से याद कर रहे।

पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि इमरोज आशा करता हूं आज आप अपनी अमृता के पास जाकर बेहद खुश होंगे।

#अमृता_इमरोज
#मीमोरी
(रमाकांत यादव)

Anju Dokania
Anju Dokania
Anju Dokania, from Kathmandu, Nepal, is a seasoned writer and presenter with extensive experience in journalism. Currently, she serves as the Executive Editor at Radio Hindustan and News Hindu Global, leveraging her expertise to deliver impactful and insightful content.

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