Mahadev का शांत स्वरूप अपने आग्नेय रूप में दर्शित होते हैं भैरवनाथ बन कर जो कि हैं रहस्य से भरे एक अद्भुत देवता..
भैरव शब्द का अर्थ होता है — “भय का हरण कर संसार का पालन करने वाला।”
यह भी माना जाता है कि ‘भैरव’ के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश — तीनों की शक्तियाँ समाहित हैं।
भैरव को शिव के गण और पार्वती के सेवक माना गया है।
हिंदू परंपरा में भैरव का विशेष स्थान है — इन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है।
🔥 भैरव की उत्पत्ति कैसे हुई?
कहा जाता है कि शिव के रक्त से भैरव की उत्पत्ति हुई।
इस रक्त से दो रूप बने —
• बटुक भैरव
• काल भैरव
आज मुख्य रूप से इन्हीं दो रूपों की पूजा होती है।
पुराणों में भैरव को कई नामों से जाना गया है — असितांग, चंड, क्रोध, उन्मत्त, कपाली, भीषण, संहार आदि।
नाथ संप्रदाय में भैरवनाथ की पूजा का विशेष महत्व है।
🌾 भैरव: जनमानस के देवता
भैरव को लोक में भैरू बाबा, मामा भैरव, नाना भैरव जैसे नामों से जाना जाता है।
कई समुदायों में ये कुलदेवता माने जाते हैं और पूजा की परंपरा अलग-अलग होती है।
ध्यान रहे — यह मान्यता गलत है कि भैरव किसी व्यक्ति के शरीर में आते हैं।
🚧 पालिया महाराज और भ्रम
सड़क किनारे जो “भैरव स्थान” दिखते हैं, वे अधिकतर उन आत्माओं के प्रतीक होते हैं जिनकी मृत्यु दुर्घटनावश हुई हो।
इन स्थानों का भैरव से कोई संबंध नहीं होता, और ऐसे स्थलों पर सिर नवाना मान्य नहीं है।
🛕 प्रसिद्ध भैरव मंदिर
• उज्जैन – काल भैरव मंदिर
• लखनऊ – बटुक भैरव मंदिर
• काशी – विश्वनाथ मंदिर से 2 किमी दूर
• नई दिल्ली – पांडवकालीन बटुक भैरव मंदिर, नेहरू पार्क
• नैनीताल – गोलू देवता के रूप में बटुक भैरव
शक्तिपीठों के निकट स्थित भैरव मंदिरों का भी बड़ा महत्व है।
⌛ काल भैरव: समय के स्वामी
मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी, प्रदोष काल — इसी समय हुआ था काल भैरव का प्राकट्य।
यह भगवान शिव का रौद्र और साहसी रूप है।
इनकी पूजा से —
• शत्रु से मुक्ति
• संकट और मुकदमों में विजय
• भय से निवारण
• साहस की प्राप्ति होती है।
🧘 भैरव तंत्र: समाधि की सीढ़ियाँ
भैरव तंत्र में भगवान शिव ने 112 साधनाएँ बताई हैं, जिनसे भैरवी पद या भैरव अवस्था प्राप्त की जा सकती है — यह योग की समाधि अवस्था के समकक्ष है।
🪔 शनि शांति के लिए भैरव आराधना
केवल भैरव की उपासना से ही शनि का दुष्प्रभाव शांत हो सकता है।
• पूजन दिवस: रविवार और मंगलवार
• विशेष मास: भाद्रपद
• इस माह के रविवार को बड़ा रविवार मानकर व्रत रखते हैं।
👉 एक आग्रह — कभी भी कुत्ते को दुत्कारे नहीं, बल्कि उसे भोजन दें — यही सच्ची आराधना है।
💭 भैरव: भयावह नहीं, सौम्य और साहसी
कुछ तांत्रिकों ने भैरव का चित्रण भयावह और तांत्रिक क्रियाओं से भरा किया है, जो उनके सच्चे स्वरूप से विपरीत है।
वास्तव में, भैरव शिव और दुर्गा के भक्त, सात्विक और साहसी स्वरूप हैं।
वे मांस और मदिरा से दूर, संयम और शुद्धता के प्रतीक हैं।
🙏 निष्कर्ष
भैरवनाथ केवल एक देवता नहीं — वे साहस, संयम, समर्पण और संरक्षण के प्रतीक हैं।
उनकी पूजा डर के कारण नहीं, बल्कि विश्वास और विवेक से की जानी चाहिए।