महाकुंभ सनातनी आस्था सबसे बड़ा आध्यात्मिक पर्व है. इसमें कल्पवास एवं शाही स्नान दो सर्वाधिक महत्वपूर्ण अनुष्ठान हैं जो आस्थावान लोगों हेतु परम उन्नत पुण्य का अर्जन करते हैं.
ये होता है शाही स्नान
मूल रूप से महाकुंभ का जुड़ाव समुद्र मंथन से होने के कारण यह पृथ्वी पर सनातनी आध्यात्मिकता का एक सर्वोच्च आयोजन है जिसमें साधू-संत और विशेषकर नागा साधू भोले नाथ के प्रिय भक्तों के रूप में सम्मिलित होते हैं. ऐसे में इस आयोजन के मूल नायकों के रूप में उनका सम्मान किया जाता है. जब वे पवित्र नदी में स्नान करते हैं तो आमजनों की भाषा में उसे शाही स्नान कहा जाता है.
मुक्ति की दिशा में आध्यात्मिक प्रगति
महाकुंभ मेले के एक प्रमुख अनुष्ठान के तौर पर शाही स्नान को जाना जाता है. यह कुंभ मेले की कुछ विशेष तिथियों पर निर्धारित किया जाता है. शाही स्नान में पवित्र नदियों में मंत्रों के उच्चारण के साथ स्नान किया जाता है. माना जाता है कि इससे जाने-अनजाने में किये गये पाप धुल जाते हैं और आध्यात्मिक प्रगति मुक्ति की दिशा में ले जाती है.

शाही स्नान से जुड़ी कुछ खास बातें
शाही स्नान की तिथियां सूर्य और गुरु जैसे ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करती हैं और उनके अनुसार ही निर्धारित की जाती हैं.
शाही स्नान से पहले साधु-संतों का भव्य जुलूस निकाला जाता है.
शाही स्नान में सबसे पहले नागा साधु स्नान करते हैं.
नागा साधुओं के शाही स्नान के बाद आम श्रद्धालुओं का स्नान होता है.
शाही स्नान के समय साधु-संतों की सोने-चांदी की पालकी पर बैठकर पेशवाई निकाली जाती है.
शाही स्नान के दौरान, साधु-संत अपने-अपने ध्वजों एवं पारंपरिक शस्त्रों के साथ जुलूस निकालते हैं.
जब साधू-संतों का शाही स्नान होता है उस समय श्रद्धालुजन साधु-संतों पर फूल बरसाते हैं.
13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा के दिन महाकुंभ आरंभ हुआ था. महाकुंभ का प्रथम शाही स्नान पौष पूर्णिमा के दिन एवं द्वितीय शाही स्नान मकर संक्रांति के दिन संपन्न हुआ है. अब आगामी शाही स्नान मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि को होने वाले हैं.
ये हैं शाही स्नान की तिथियां
पहला शाही स्नान – 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा)
दूसरा शाही स्नान – 14 जनवरी (मकर संक्रांति)
तीसरा शाही स्नान – 29 जनवरी (माघ अमावस्या)
चौथा शाही स्नान – 3 फरवरी (बसंत पंचमी)
पांचवां शाही स्नान – 13 फरवरी (माघ पूर्णिमा)
आखिरी शाही स्नान – 26 फरवरी (महाशिवरात्रि)
ये भी पढ़ें: Mahashivratri Muhurt 2025: आने वाली है महाशिवरात्रि – यहाँ जानिये मुहूर्त का समय