Mysterious Pulsating Star पृथ्वी से करीब 15,000 प्रकाश वर्ष दूर अंतरिक्ष में कुछ बेहद अनोखा घट रहा है..
‘स्कूटम’ नामक नक्षत्र के क्षेत्र में स्थित एक अज्ञात खगोलीय पिंड रहस्यमय तरीके से अंतरिक्ष में संकेत भेज रहा है। यह पिंड हर 44 मिनट में एक्स-रे और रेडियो तरंगों में चमकता है, और खगोलविदों ने अब तक ऐसा व्यवहार किसी भी तारे में नहीं देखा है।
इस पिंड की प्रकृति को लेकर वैज्ञानिक अभी भी अनिश्चित हैं। हो सकता है यह एक व्हाइट ड्वार्फ हो — एक ऐसा मृत तारा जो अपने जीवन की आखिरी अवस्था में परमाणु ईंधन खत्म कर चुका हो। या फिर यह एक मैग्नेटार हो सकता है — एक ऐसा न्यूट्रॉन तारा जिसकी चुंबकीय शक्ति बेहद तीव्र होती है। और संभव है, यह दोनों में से कुछ भी न हो।
ऑस्ट्रेलिया की कर्टिन यूनिवर्सिटी के खगोलशास्त्री झितेंग वांग, जो इस रहस्य पर केंद्रित नए शोध-पत्र के प्रमुख लेखक हैं, कहते हैं:
“हमने आज तक असंख्य तारों को विभिन्न दूरबीनों से देखा है, लेकिन ऐसा व्यवहार पहले कभी नहीं पाया गया। किसी तारे के नए व्यवहार को देखना बहुत ही रोमांचक अनुभव है।”
यह रहस्य क्या है?
इस पिंड को वैज्ञानिक नाम ASKAP J1832 दिया गया है। अंतरिक्ष में ऐसे कई पिंड हैं जो ऊर्जा की झलकियों में सिग्नल भेजते हैं — जैसे पल्सर — लेकिन वे आमतौर पर मिलीसेकंड से लेकर कुछ सेकंड में झपकते हैं। जबकि ASKAP J1832 की चमक हर 44 मिनट पर आती है, जो इसे विशिष्ट बनाती है।
2022 में खोजे गए लॉन्ग-पीरियड ट्रांज़िएंट्स नामक कुछ पिंड भी इस तरह की धीमी रेडियो झलकियां भेजते हैं। अब तक ऐसे 10 पिंड खोजे गए हैं, लेकिन ASKAP J1832 उनमें सबसे अलग है — क्योंकि यह रेडियो तरंगों के साथ X-रे भी उत्सर्जित करता है, जो इससे पहले किसी और ट्रांज़िएंट में नहीं देखा गया।
बदलता व्यवहार, और बढ़ता रहस्य
फरवरी 2024 में, जब NASA की चंद्रा एक्स-रे वेधशाला से इसका अवलोकन किया गया, तो यह पिंड रेडियो और X-रे दोनों रूपों में अत्यधिक ऊर्जा छोड़ रहा था। लेकिन छह महीने बाद, जब इसे दोबारा देखा गया, तो रेडियो सिग्नल हजार गुना कमज़ोर हो चुके थे और X-रे तो पूरी तरह गायब थे। यह असमानता वैज्ञानिकों के लिए एक नई पहेली बन गई।
स्पेन के इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंसेज़ की वैज्ञानिक नंदा रिआ, जो इस अध्ययन की सह-लेखिका हैं, बताती हैं:
“हमने न्यूट्रॉन स्टार्स और व्हाइट ड्वार्फ्स से जुड़े तमाम संभावित मॉडल आज़माए — चाहे वे अकेले हों या किसी अन्य तारे के साथ — लेकिन कोई भी मॉडल इस पर पूरी तरह खरा नहीं उतरता। हालांकि कुछ विचार अन्य की तुलना में अधिक उपयुक्त लगते हैं।”
मैग्नेटार या कुछ और?
मैग्नेटार की संभावना पर भी विचार किया गया, लेकिन उसकी रेडियो तरंगों की तीव्रता और उतार-चढ़ाव इस अनुमान को कमजोर बना देते हैं।
व्हाइट ड्वार्फ का विकल्प अभी भी टिका हुआ है, लेकिन अगर यह वाकई व्हाइट ड्वार्फ है, तो इसे इतनी ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किसी अन्य पिंड के साथ बाइनरी सिस्टम में होना चाहिए — और अब तक ऐसा कोई साथी पिंड दिखाई नहीं दिया है।
जब पृथ्वी से इसे देखा जाता है, तो यह एक सुपरनोवा अवशेष के पास स्थित प्रतीत होता है — यानी एक ऐसा गर्म गैसों और ऊर्जावान कणों का बादल जो किसी पुराने तारे के विस्फोट के बाद बना हो। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि यह बादल केवल दृश्य क्षेत्र में मौजूद है, जैसे किसी बादल का सूरज के सामने आ जाना — जबकि वास्तव में यह ASKAP J1832 से अलग और आगे की परत में है।
अब तक जवाब नहीं, लेकिन उत्साह ज़रूर
अब तक ASKAP J1832 एक रहस्य ही बना हुआ है — ऐसा रहस्य, जिसे सुलझाने के लिए वैज्ञानिकों की खोज और तेज़ होगी।
इटली के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोफिज़िक्स के सह-लेखक तोंग बाओ ने कहा:
“ऐसे रहस्य हमें हताश नहीं करते, बल्कि यही विज्ञान को रोमांचक और जीवंत बनाते हैं।”
(प्रस्तुति -त्रिपाठी सुमन पारिजात)