Wednesday, January 22, 2025
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6 CMs & 1 Agenda: 6 मुख्यमंत्री देश को सौभाग्य से मिले हैं, जानिये कैसे हुआ नायाब उनका नाम और काम

6 CMs & 1 Agenda: बात करें देश के छः मुख्यमंत्रियों की तो कहना ही होगा कि जैसे देश को प्रधानमंत्री सौभाग्य से मिला है वैसे ही देश के छः प्रदेशों को भी मुख्यमंत्री भाग्य से मिले हैं.

आज देश में सर्वत्र चर्चा है इन राज्या-ध्यक्षों की. राष्ट्राध्यक्ष मोदी के नेतृत्व में छः चुने हुए मुख्यमंत्री प्रदेश के लिये तो योगदान कर ही रहे हैं, देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं नेताओं के लिये प्रेरणा का पथ भी तैयार कर रहे हैं.

आज देखता है भारत और सराहता है देवेन्द्र फड़नवीस, मोहन यादव, भजनलाल शर्मा, पुष्कर सिंह धामी, नायब सैनी और योगी आदित्यनाथ को. ये वो नायाब मुख्यमंत्री है जो विगत दस वर्षों में मोदी, शाह या फिर RSS कैडर के उपहार हैं.

 प्रतिभा भी और परिश्रम भी

ये वो राजनेता हैं जो अपने-अपने राज्यों के धुँआधार चेहरों को धोबीपाट मार कर सत्ता को हासिल करके आये हैं और ये ही वो समय है जिसमे कुछ इस तरह की चीजें हो रही है जो देश की राजनीति का रास्ता हमेशा के लिये बदलने वाली हैं.

कई एजेन्डेबाज पत्रकार कुछ समय पहले तक मोहन यादव की भर-भर कर आलोचना कर रहे थे. पर जब उधर से जवाब के बजाये काम मिला तो आखिरकार उनकी बोलती बन्द हो गई.

CM मोहन का बढ़िया काम

सीएम मोहन के काम की तारीफ तो खुद बहुत से पत्रकारों ने खुल कर की और कुछ तो राष्ट्रवादी विचारधारा के भी प्रशंसक हो गये. यदि राष्ट्रवाद ईमानदारी और ईमानदार जनसेवा सिखाता है तो उससे अच्छा क्या हो सकता है.

CM के नए चेहरों के पीछे की सोच

सच देखें तो इन नए चेहरों के पीछे की सोच ये है कि इनके आविर्भाव से इनके राज्यों की राजनीति एक सौ अस्सी डिग्री बदल जायेगी. अब इन राज्यों मे कांग्रेस की फिर से वापसी करीब-करीब असंभव है क्योंकि साल 2028 मे राजस्थान और मध्यप्रदेश और राजस्थान दोनो ही स्थानो पर मुद्दे लगभग पूरे ही बदल जाएंगे और कांग्रेस उसमे अपनी जगह नहीं बना पाएगी.

बदल रही है CM वाली राजनीति

वसुंधरा और शिवराज ने जो फ्रीबीज और मनमानी चलाई उससे काफी हद तक सत्ता को तो अपने साथ जकड़ रखा था पर ये राजनीति अब नए कॉलेज, उद्योग और व्यवसाय मे बदल रही है. मिसाल के लिये ये मध्यप्रदेश में चंबल परियोजना को देख लीजिये.

पीएम मोदी का सफल मार्गदर्शन
पीएम मोदी का सफल मार्गदर्शन
मध्यप्रदेश में चंबल पर मंगल

राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच में है ये चंबल का बहुत बड़ा इलाका इसे पिछली पीढ़ी तक डकैतों की भूमि के रूप मे जाना जाता रहा है. ये इलाका सूखा है, इसका समाधान इतना ही था कि चंबल नदी को पार्वती नदी से किसी तरह जोड़ दिया जाये.

ये काम को दशकों से नहीं सदियों से पैन्डिंग था. कांग्रेस और अंग्रेजो के भी पहले से यानी राजा महाराजाओं के समय से लटका हुआ था. राजतंत्र के दौर मे जिस समय ग्वालियर और धौलपुर रियासत की शक्ल में अस्तित्वमान थे, तब यही दोनो हिन्दू रियासतें एक दूसरे की शत्रु थीं.

इसे भी पढ़ें: Delhi Elections 2025: ये छुपी हुई केजरीचाल करेगी दिल्ली को निहाल?

समाधान के लिये कई बार धौलपुर के राजा और ग्वालियर के महाराज के बीच बातचीत हुई मगर हुआ कुछ नहीं हुआ. अंग्रेजों के आने के बाद से वे यहां के क्रांतिकारियों से डरते थे. उसके बाद कई बार इस तरह के अवसर बने कि दोनों राज्यों मे एक साथ या तो कांग्रेस की सरकार आई या फिर बीजेपी की सरकार.

बरसों की योजना एक साल में लागू

जाहिर है, जब कांग्रेस की सरकार थी कुछ होना ही नहीं था, पर उसके बाद जब बीजेपी की सरकार आयी तो शिवराज और वसुंधरा ने अपनी-अपनी चलाई. फिर आया साल 2023 का जब इन दोनों को परास्त करके दो नए चेहरे सामने आये और ये वाली योजना जो तीन सौ वर्षों से रुकी पड़ी थी, एक साल में ही लागू हो गयी.

दो प्रदेशों का समाधान

अगले पांच-दस सालों मे न केवल चंबल बल्कि दोनों राज्यों की सत्तर प्रतिशत आबादी की एक बहुत बड़ी समस्या का निवारण हो चुका होगा. पर चूंकि इन सब पर बात नहीं होती इसलिए किसी को इसकी जानकारी नहीं हो पायेगी. परंतु ईवीएम की हैकिंग चुपचाप इस तरह ही होती है.

पूर्वी मध्यप्रदेश का भाग्य भी जागा

ये तो बस एक हालिया मिसाल है, इसके अतिरिक्त और भी कई इस तरह के विकास कार्य है जो ऐसी जगह हो रहे है जहाँ कभी पहले के नेता पहुंचे ही नहीं. अब तक पूर्वी मध्यप्रदेश अपने हाल पर आंसू बहाता था, पर अब वहाँ इको सिस्टम बन रहा है.

उत्तराखंड का रिपोर्ट कार्ड

ऊपर आइये, उत्तराखंड मे बीजेपी के त्रिवेंद्र सिंह रावत बने थे मुख्यमंत्री परंतु जब उन्होंने अपेक्षिक स्तर पर काम नहीं किया तो उन्हें हटाकर तीर्थ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया. और उनसे भी जब सही काम नहीं हुआ तो जिम्मेदारी मिली पुष्कर सिंह धामी को. मतलब ये है कि अब काम देख कर बड़ी कुर्सी दी जाती है, रिपोर्ट कार्ड से मुख्यमंत्री बनाया जाने लगा है.

CM धामी का काम पक्का है

फिर हुआ कुछ ऐसा कि वर्ष 2022 के चुनाव मे धामी अपनी सीट हार गए पर बीजेपी ने अपने चयन पर विश्वास जल्दी नहीं खोया और दूसरी सीट से प्रत्याशी बना कर उनको चुनाव जिताया. धामी फिर मुख्यमंत्री बन गये. पिछले 2 वर्षों से धामी मुख्यमंत्री बने हुए हैं, बदले नहीं गये हैं अर्थात इनका काम ठीक चल रहा है.

बीजेपी की सही सोच

इन मुख्यमंत्रियों को फिलहाल दिल्ली से उंगली पकड़कर चलाना सिखाया जा रहा है और आगे चल कर इनको स्वायत्ता भी मिल जायेगी. पर आकलन कीजिये तो स्पष्ट है कि ये एप्रोच उचित है, बड़े विकसित देशो मे इस तरह ही काम होता है.

बीजेपी जिन राज्यों मे सत्तानशीन है वो वहाँ इसी तरह के परिवर्तन कर रही है. इस तरह वो पुरानी कांग्रेसी राज और काज की घिसी-पिटी संस्कृति चली जायेगी.

बाकी प्रदेशों का दुर्भाग्य

दूसरी तरफ वे प्रदेश शुद्ध रूप से बदनसीब है जहाँ बीजेपी की सरकारें नहीं हैं और ऐसा कहना किसी तरह से कोई अतिश्योक्ति नहीं है. हो सकता है कोई राज्य बीजेपी के बिना शायद थोड़ा-बहुत ठीक-ठाक काम कर ले, पर राजनीतिक संस्कृति को बदलना नितांत आवश्यक है और उसके लिये चेहरों को बदलना पड़ता है

Parijat Tripathi
Parijat Tripathi
Parijat Tripathi , from Delhi, continuing journey of journalism holding an experience of around three decades in TV, Print, Radio and Digital Journalism in India, UK & US, founded Radio Hindustan & News Hindu Global.

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