Thursday, January 23, 2025
spot_imgspot_img

Top 5 This Week

spot_img

Related Posts

Miss you Maa (Story by Anju)

प्रिया प्रतीक्षा कर रही है एयरपोर्ट  पर अपनी बहू नताशा की. पहली बार  मिलने वाली थी प्रिया नताशा से. नताशा उसकी बहू है और आरू  की व्यस्तता  के कारण वह केशव (प्रिया के पति) और प्रिया  के पास कुछ दिन रहने आ रही . फ्लाईट डिले हो गई थी मौसम खराब  होने के कारण. केशव आफिस में व्यस्तता  की वजह  से प्रिया के साथ  न आ सके. अकेले बैठे-बैठे प्रिया बोर होने लगी तो मोबाइल में व्हॉट्सअप खोल लिया.


 आरू(आर्यन) का मैसेज खोला पढ़ते ही बहुत भावुक हो गई   मिस कर रही थी उसे. माँ है मिस तो करेगी ही. स्क्रॉल करते हुए आरू की भेजी तस्वीरें देखने  लगी. आर्यन (आरू)  और नताशा के विवाह की तस्वीरें. बहुत सुंदर जोड़ी  बनाई है कान्हा  जी ने. कितने प्यारे लग  रहे हैं दोनों(प्रिया मन ही मन स्वयं से ही संवाद कर रही थी) तभी उसका मन कसैला हो गया,जी भर आया  और उसने फोन बंद कर दिया परंतु उन स्मृतियों का क्या जो तब से जुड़ी हैं आरू के साथ जब से वो प्रिया की गोद में आया. कहते हैं कि उम्र से अनुभव आता है परंतु उम्र से यादें भी बनती हैं. आपके जीवन का वो एल्बम तैयार होता है जिसे आप जब भी खोलें हर पन्ने पर एक पूरा जीवन जीे सकते हैं. इन्हीं स्मृतियों  में आज प्रिया भी खोई है.


“माँ….. माँ…. ओ माँ… “
“क्या बात है आरू क्यूँ शोर मचा रहे हो.”
“मेरा इयर पॉड का चार्जर कहाँ है? “
“मुझे कैसे पता, तुमने ही तो रात को अपनी स्टडी टेबल पर रखा था चार्ज करने. “
“वहाँ  नही है माँ, पक्का आपने ही रखा होगा.”
प्रिया ने ना में सर हिलाया  पूजा  करते-करते.
“प्लीज़ माँ दीजिए ना, मेरी प्रोजेक्ट मीटिंग  है.”
‘लो ये प्रसाद…. हाँ  बाबा अभी खोजती हूँ. वैसे मैंने नही उठाया तेरा चार्जर. “
“रहने दो आपको कुछ याद तो रहता  नही है माँ आप ही ने रखा  है. ” आर्यन  ने चिढ़ते हुए कहा.
“देख मैं तेरी चीजों  को आजकल तुझे पूछे बिना  हाथ नही लगाती क्यूँकि फिर तू परेशान होता  है और बहुत  गुस्सा  भी करता है. रूक  जा मैं खोज देती  हूँ. तू…. तू पहले नाश्ता  तो कर ले. “
“नही मुझे देर हो रही है माँ और आपको नाश्ते की पड़ी है. क्या माँ  आप भी ना. आप नही  समझोगे. “
आर्यन  ने चिढ़ते हुए कहा.
“अरे बाबा गुस्सा नही करते. चल आ बैठ ,नाश्ता  कर मैं अभी खोज देती हूँ तेरे इयरपौड का चार्जर. “
“नही मिलने वाला  वो आपने जो रखा है. “
प्रिया थोड़ी इरिटेट तो हुई पर बेटे की परेशानी  देखकर वो चुप रही.
सारा कमरा उथल-पुथल कर डाला प्रिया ने.
“नही मिला ना, I KNEW IT,  मिलेगा  भी नही. “
पैर पटकते हुए आर्यन  ने कहा.”
“आरू तूने चार्जर  स्टडी टेबल  पर रखा  था ना? “
“हाँ,,,,, “
“अच्छा तो ये तुम्हारी जैकेट  की जेब  में अपने आप चला गया? “
“हाँ इसे ठंड लग रही थी माँ. “
आरू ने जीभ निकाल कर हंसते हुए कहा.
प्रिया  ने प्यार से उसके कान खींच कर हँसते हुए कहा ” बड़ा हो जा अब और थोड़ा  सेल्फ डिपेंड  भी. जब तेरा कॉलेज फिर से खुल जाएगा और हॉस्टल  जाना पड़ेगा तो कैसे करेगा  अपने काम खुद  से. “


आर्यन बचपन  से ही बहुत  पैम्परिंग बच्चा  रहा है. मुँह खोलने से पहले हर कार्य हो  जाना. केशव के अत्यधिक लाड़-प्यार ने उसे पढ़ाई के इतर  हर बात में उदासीन  कर दिया था. वह बस अपनी पढ़ाई के साथ अपने कछुए के खोल में स्वयं को सुरक्षित  महसूस  करता था.
“अब भाषण मत दीजिए, पहले भी तो दस महीने किया  ही है वहाँ  अपने आप सब कुछ. “
“हाँ  किया है मगर  तुझे कोरोना के चलते हॉस्टल  से घर आए  करीब  दो वर्ष हो गए हैं. फर्स्ट  इयर में आया था.  अभी तेरा  थर्ड इयर  खत्म  होने  को  है. तेरी  सेल्फ डिपेंडेंसी खत्म  हो रही है. थोड़ा स्वयं  भी अपनी  चीज़ों  का ध्यान  रख वरना  जब यूनिवर्सिटी  खुलेगी तुझे  वहाँ  दिक्कत  होगी  बेटा. ” कहते-कहते  प्रिया  की आँखें  तालाब जैसी  लबालब  भर गई.
 “ओके, चिन्ता माम कुरु, मॉम..अब ज़्यादा  सेन्टी नही होने का. वहाँ  मैं सब कर लूँगा, लेकिन प्लीज़ अब आप मीना कुमारी  की तरह इमोशनल मत होना. ” कहकर आर्यन प्रिया के गले लग गया..
प्रिया का दिल भर आया. उसने प्यार से उसके गाल पर थपकी  देते हुए कहा “चल शैतान, बहुत बातें आने लगी तुझे आजकल. “
आरू ने प्रिया के गाल से गाल सटाए और बोला” कितने फूले-फूले नरम-नरम गाल  है माँ आपके, आपके  गालों पर सर रखो  तो नींद आ जाए. पिलो जैसे  सॉफ्टी  हैं गाल आपके. “
उसे बचपन से ही उसे प्रिया के गाल खींचने  की आदत है जिससे प्रिया कभी-कभी खींझ भी जाती थी परंतु आर्यन को इससे कोई फर्क नही पड़ता था वह आदतन रोज़  ही उसके गाल दस से पंद्रह बार खींच ही लेता था.


“चल अब और मस्का  मत लगा, अब तुझे देर  नही  हो रही. “
“OH YES माँ. मुझे आशीर्वाद  दीजिए कि मेरा प्रोजेक्ट  सबसे उत्तम लगे सबको और मुझे लीडरशिप मिले. “
“हाँ…. हाँ  ऐसा ही होगा  बिल्कुल. तुम परिश्रम  में कभी रत्ती  भर भी कमी  नही करते जी तुम्हारे  साथ हैं. “
“माँ  प्लीज़  रेकी  भी कर देना .” प्रिया  ने हँसकर सर हिलाया. पर वो जानती था कि कान्हा जी के, नाम से ही सारे कार्य सफल  हो जाते हैं. जब मीटिंग  खत्म  हुई आरू  बहुत खुश नज़र, आ रहा था. उसे प्रोजेक्ट  की लीडरशिप जो मिल गई थी.
आर्यन की कॉलेज का जब मेल आया था तो प्रिया उस वक्त भी भावुक  हो गई थी.


“माँ VNT UNIVERSITY से मेल आ गया  है. आज से ठीक  एक महीने बाद जाना  है माँ. “
“अरे ये कैसे हो सकता है? तेरो कॉलेज  वालों को, अक्ल-वक्ल है कि नही? अभी कोरोना वैरिएंट का प्रभाव भारत में  फैल रहा है. ऐसे में ये बेवकूफी भरा निर्णय कैसे लिया उनलोगों  ने. हो सकता  है प्रैंक  हो तेरी यूनिवर्सिटी  में तो आए दिन छात्र  मीम्स और फेक  ई-मेल भेज कर शैतानियाँ  करते ही रहते हैं. मुझे पता है ऐसा ही है. कहीं नही जाएगा  अभी तू. “
प्रिया ये समाचार  सुनकर स्वयं  को ही दिलासा  दे रही थी. उसे फिर से आरू की आदत जो लग गई थी. जब उसे हॉस्टल भेजा था इंजीनियरिंग  करने. बहुत मुश्किल  से वो खुद को तैयार  कर पाई थी. कभी अलग  नही रहा था उससे. दो महीने तक छुप-छुप कर आँसू बहाती रही कि आरू वहाँ  अपने सारे कार्य कैसे करेगा. न उसे कपड़े  समोने आते हैं, न आयरनिंग आती है और खाने-पीने के मामले में तो इतना  चिड्डा है आरू  कि प्रिया रोज़  ही उसकी मनपसंद  डिश  बनाती  ताकि वो भरपेट भोजन  कर ले .जब उसे हॉस्टल  छोड़कर आई  पूरे रास्ते केशव के सीने से लगी  आँसू बहाती रही. केशव भी इसे ममता का अतिरेक भाव समझते हुए उसे रो लेने दिया और उसे पूरे रास्ते चुटकुले सुना कर हंसाने का प्रयास करते रहे.


प्रिया थोड़ी सामान्य तो हो गई थी समय  के साथ -साथ परंतु घर की जीवंतता अलसा गई थी आरू  की अनुपस्थिति में. फोन पर बात करती तो जब तक वो मेस में नाश्ता  नही कर लेता उससे  बातें  करती  रहती. केशव और आर्यन  दोनों  ही जानते  थे कि प्रिया रिश्तों  के मामलों  में बहुत ही संवेदनशील है. एक माँ  को, अपने बच्चों की चिंता  हर क्षण लगी रहती  है चाहे वो किसी भी उम्र में हो. परंतु प्रिया सिर्फ आरू ही नही केशव, अपनी सास, जेठानी-देवरानी सभी के साथ  बिल्कुल ऐसी ही है ये दोनों  पुत्र-पिता जानते थे. जब प्रिया का भतीजा आर्यन  से मिलने  गया  था और प्रिया  को तस्वीर भेजी. आरू की तस्वीर देखकर उसका  हृदय द्रवित  हो उठा.


“कितना दुबला हो गया है आरू. बिल्कुल  सूख कर काँटा. कुछ खाता नही तू वहाँ? “
प्रिया ने प्रश्नों  की झड़ी लगाई दी थी. फिर केशव के समझाने पर शांत हुई.
मेल पढ़कर आरू भी थोड़ा गंभीर लग रहा था पर उसने प्रिया को ये जताया नही. जानता था कि मॉम  अपसेट हो जाएगी . जब वह स्कूल जाता था तो दिन भर में दस घंटे वो प्रिया  के साथ घर पर होता था परंतु इस बार कोरोना  काल में घर आने के बाद पढ़ाई ऑनलाइन रही तो दिन भर वो साथ ही रहा. ऑनलाइन कॉलेज  की पढ़ाई  करते-करते उसके लिए  प्रिया  कभी जूस तो कभी चाय-कॉफी, कहवा और न जाने  क्या-क्या उसकी  फरमाईश  पर बना दिया  करती थी. सारा दिन उसके कार्य-कलापों  में ही गुज़र  रहा था. आर्यन भी शायद ये फील कर रहा था.  वो चुपचाप  प्रिया की गोद में आ कर लेट गया.


“माँ, सर दुख रहा है प्लीज़ थोड़ा  मेरा  सर सहला  दीजिए ना ताकि आपकी  गोद में नींद  आ जाए. “
प्रिया  उसका सर सहलाने लगी.
“कितना मस्त सहलाते  हो आप सर  माँ. एकदम गहरी  नींद  आने लगती है. “
“माँ का स्पर्श है ना. “
प्रिया मुस्कुराने  लगी.
“हाँ  माँ…. तो क्या हुआ  जो अब जाना  होगा मुझे. तीन वर्ष बाद मास्टर्स करके  ही  आऊँगा माँ घर छुट्टियों में. आप उदास  मत होना माँ .”
COMPUTER  ENGINEERING  के थर्ड  इयर के बाद USA जाकर उसे मॉस्टर्स  करना है.
“चिंता  मत करना आप मैं सारे काम  अच्छी  तरह करूँगा. अब और भी ज़्यादा दिल  लगाकर पढ़ूँगा ताकि पापा के सपनों  को वास्तविकता  का रूप दे सकूं जो उन्होंने  मुझे ले कर देखे हैं. “


प्रिया एकटक आरू को देखते जा रही थी. आर्यन  बाल्यावस्था  से ही मेधावी  छात्र रहा है. बारहवीं  में साइंस  में उसने  नेपाल  में टॉप  किया था. वो ये सोच रही थी कि जो बातें वो आज तक उसे समझाती  आ रही थी. आज वही समझ उसने  आर्यन  में देखी है. उसे महसूस  हुआ कि उसका बेटा  आर्यन  अब सचमुच  बड़ा  हो गया  है तो उसे उसके लक्ष्य  की ओर बढ़ने  देना  चाहिए. जाने वाले दिन तक रोज़  आर्यन प्रिया की गोद में सर रख  कर सो जाता था.
पहली  बार जब हॉस्टल  गया था तब उसे अनुभव  नही था घर से,  माता-पिता  से दूर रहने का. पर वह समझदार  तब भी था. कभी उसने वहाँ से रोना-धोना नही किया और आज जब वह इन दोनों परिस्थितियों से भली-भाॉति  परिचित हो गया है तो वह स्वयं कुछ अनमोल यादें समेट कर अपने साथ ले जाना  चाहता था जो उसे वहाँ हौसला देती रहेगी. केशव की हिदायतें और माँ के दुलार  का महत्व अब वो पूरी तरह  समझ पा रहा था.
एक बार प्रिया की सहेली  ने उससे कहा था
“प्रिया, आरू  को विदेश  मत भेजना.

मॉस्टर्स  करने के बाद  बच्चे  वहीं सैटल  हो जाते  हैं. फिर  कभी लौट  कर नही आते.”
सुन कर प्रिया थोड़ी चिंतित अवश्य  हुई थी परंतु वो माँ होने के साथ अपने पुत्र  की मित्र बन भी रही है क्योंकि  आर्यन  उसकी इकलौती  संतान  है इसलिए उसके लिए प्रिया और केशव माता- पिता होने के साथ-साथ मित्र बन कर भी रहे हैं.
इसलिए वह उसे हर माता-पिता की तरह आसमान  में ऊँचा उड़ता  देखना  चाहती है उसके सारे बंधन  खोलकर. उसे अपने कान्हा  जी पर पूरा  विश्वास था कि आर्यन उनकी उम्मीद पर खरा उतरेगा. वह अब ये जानती  है, कि आर्यन  का जुड़ाव अपने माता-पिता से हृदय से है तो वो कहीं भी रहे उसकी जड़ें  यही रहेगी प्रिया  और केशव  के मन-आंगन  में. वह यह भी जानती  थी कि उसका  आरू  कभी कोई ऐसा कार्य  नही करेगा  जिससे  उसके  माता-पिता के हृदय  को ठेस पहुँचे. इसलिए वह अब इस डर से चिंता मुक्त  हो गई है.
फिर वो दिन भी आ गया. आर्यन ने केशव  का आशीर्वाद  लिया और प्रिया  के गले लगा. प्रिया आज थोड़ी शांत थी. जाते-जाते आरू  ने प्रिया से कहा अपने गालों  का ख्याल  रखना  माँ. I WILL MISS……कहते-कहते उसकी आँखें भर आई. पापा अपना और माँ का ख्याल रखिएगा. मैं जल्दी  ही लौटूँगा.


आर्यन चला गया पर इन दो, वर्षों  में उसने जितने  नखरे उठवाए  प्रिया  से, कभी-कभी तो, मां बेटे के बीच बहस, भी हो जाती  वो अपने पापा  से माँ की सही बात पर आर्ग्यू भी कर लेता था तो केशव के सही होने  पर प्रिया को समझाता था. रोज़  प्रिया  के गाल दिन में दस से पंद्रह बार उसके बचपन की आदत रही है. प्रिया भी ये सब कुछ मिस करेगी परंतु
अब वह रोएगी नही. अब आर्यन सही मायनों  में केशव और प्रिया  का मित्र बन चुका है जो उन्हें  समझता है और कभी दूर नहीं  जाएगा  चाहे ज़माने  की हवा  का रूख जैसा  भी हो परंतु फिर आरू  ने ऐसा निर्णय  क्यूँ   लिया?  क्या उसे अपने माता-पिता  पर भरोसी  नही था? यही सब सोचते-सोचते समय बीत गया.
फ्लाईट  लैंड  हो चुकी  थी और प्रिया  भी यादों  के झरोखों  से बाहर आ गई. दूर से ही आती  नताशा को  देखकर प्रिया  ने हाथ  हिलाया. करीब आ कर नताशा  ने प्रिया के पैर छुए  .प्रिया हैरान तो हुई  पर जताया नही कुछ. रास्ते भर कुछ औपचारिक बातें हुई. आरू नए जॉब की व्यस्तता कारण घर नही आ पाया था. बातें करते करते प्रिया  नताशा  को लेकर घर पहुँची . प्रिया ने नताशा  का गृह-प्रवेश कराया. केशव भी आ गए थे दफ्तर से. नताशा ने उनके भी पैर छुए. जलपान के पश्चात प्रिया ने नताशा  को विश्राम करने कहा और वह स्वयं  रसोई में जाने लगी. तभी नताशा  ने प्रिया का हाथ पकड़ लिया.


“माँ…. मेरे पास बैठिए  ना थोड़ी देर. मैं आपसे बहुत सारी बातें करना  चाहती हूँ. ” प्रिया ने नताशा  की ओर देखा .नताशा  का भोला-भाला चेहरा  देखकर  उसे नताशा  पर स्नेह  उमड़  आया  परंतु उसने स्वयं  को रोक लिया. थोड़ा  गंभीर होकर प्रिया ने कहा
“अभी तुम आराम करो, थकी  होगी तुम. हम बाद में बात करेगें. “


ये कहकर  प्रिया  नताशा  के उत्तर  की प्रतीक्षा  किए बगैर  दरवाज़े  की ओर मुड़ गई. नताशा एक संवेदनशील  लड़की थी जिसे रिश्तों  के महत्व  का बखूबी ज्ञान था. नताशा .USA, CALIFORNIA के ORPHANAGE में पढ़ लिख कर बड़ी  हुई  .आर्यन से मुलाकात STANFORD UNIVERSITY मे हुई जहाँ दोनों साथ पढ़ रहे थे. दोनों के बीच नज़दीकियाँ  बढ़ी. आर्यन  को नताशा  की SIMPLICITY और INNOCENSE भा गया था.
नताशा समझ रही थी कि प्रिया माँ  थोड़ी नाराज़  है पर जता  नही रही.  रात को डिनर  पर मुलाकात हुई. बातों -बातों  में उसने  केशव से ये जान लिया कि प्रिया  को गुलाब के फूल बहुत  पसंद  है .सवेरे -सवेरे कहवा  पीना और GIVONNI MARRADI के पियानो  की धुनें सुनना बहुत  भाता  है. बस फिर क्या था नताशा ब्रह्म मुहूर्त  में उठ गई और स्नान कर कान्हा जी की पूजा  की. उनसे मन ही मन प्रार्थना  की “हे कान्हा  जी तुम तो सब जानते हो.  मेरी वजह से एक माँ और बेटे के बीच दूरियाँ आ गई  हैं. इन्हें प्लीज़  फिर से मिला दो. ” नताशा पूरी कृष्ण भक्त थी. इस बात में वो बिल्कुल  प्रिया  पर गई थी. केशव और आर्यन  भी कभी प्रिया  और उसके कान्हा जी के बीच  नही आते थे. खैर आज प्रिया  को न जाने क्या  हुआ था.  न जाने  क्यूँ देर तक सोती रही थी प्रिया आज जबकि सुबह  जल्दी  उठने  का  अभ्यास है उसका. शायद  ये भी कान्हा जी की मर्ज़ी थी. प्रिया  ने आँखें खोली  तो हवाओं में मधुर  संगीत बह रहा था.


” MARRADI ? YOU AND ME….. THIS IS MY FAVORITE ONE.”
प्रिया मुस्कुराते  हुए उठी. उसे लगा  कि “आज केशव बहुत  रोमेंटिक मूड  में हैं…. पर क्यूँ? ओके आज तो संडे  है ना. “
वह बिस्तर  से उठ कर कदम नीचे रखने ही वाली थी कि उसने अपने पैरों  को झटके  से ऊपर खींच लिया.
“ओहहहह… गुलाब की पंखुड़ियाँ ….. ये… ये आज क्या  हो गया है केशव जी को.

आज के सरप्राईज़  पर सरप्राईज़  दिए जा रहे हैं. “
प्रिया थोड़ा  खिलखिलाकर  मुस्कुराने लगी.  तभी नताशा  कमरे में दाखिल हुई ट्रे के साथ.
“गुडमाॉर्निंग माँ….. “
प्रिया पहले तो चौंक गई नताशा को देख कर. उसने केशर  को EXPECT जो किया था. फिर वो दोबारा  चौंकी.  उसने नताशा  को ऊपर से नीचे तक निहारा. नताशा ने हल्के गुलाबी  रंग की साड़ी  पहनी हुई थी. पिंक  कलर  प्रिया का फेवरेट  जो था.
“अरे!  तुम इतनी  जल्दी क्यूँ  उठ गई. आराम से उठती. कहवा..  ? ये तुमने बनाया है?  क्यूँ  तकलीफ की  तुमने?  घर में नौकर-चाकर हैं उनसे कहती  बना  देते. “
नताशा  शांत  खड़ी प्रिया की बातें सुन  रही थी. कुछ  सेकेंड  की चुप्पी  के बाद नताशा  ने कहा
“माँ क्या हम आपके पास आ जाएं? आपको कहवा  पसंद  है ना?  हमने बनाया  है आपके लिए. “
नताशा  की भोली सूरत  और मीठी बातें प्रिया के मन की नाराज़गी  की दीवार की नींव हिला रही    ने यहाँ पर अभिनय किया.
“हाँ ठीक  है रख दो.  मैं पी लूँगी.. .. थैंक्स. “
नताशा  मायूस हो गई. उसने केशव की ओर देखा.
“अरे पी लो. बच्ची  ने इतने प्यार से बनाया है कहवा  तुम्हारे  लिए. “
प्रिया ने केशव की ओर देखा और फिर नताशा को पास बैठने का इशारा  किया. मुस्कराते हुए बैठ गई नताशा प्रिया के करीब.
“हम्मम… तो ये सब तुमने किया था. “
“जी… जी… माँ… म.. म.. मेरा मतलब है आँटी. “
नताशा ने डरते हुए कहा.
“आँटी नही वो कहो जो, पहले कहा. “
“जी…. माँ.. माँ”
“लाओ देखें तो तुमने कहवा  कैसा बनाया है. “
नताशा ने कप प्रिया  की ओर बढ़ा दिया.
प्रिया ने एक सिप ली.
“हम्म,, ,,ये तो बिल्कुल  वही स्वाद है जैसा मुझे पसंद  है. “
 कहकर प्रिया  केशव को घूरने लगी. केशव नजरें चुरा कर इधर-उधर देखने लगे. प्रिया  समझ गई  कि ये रेसिपी  नताशा  को केशव  ने ही बताई है.
“तुम कहवा बनाने के टेस्ट  में पास हो गई. “
“तब तो नताशा  को कोई इनाम मिलना  चाहिए ना.” केशव तपाक से बोले.
“हाँ बिल्कुल…. बोलो नताशा तुम्हें  क्या गिफ्ट  चाहिए. कपड़े,, साड़ियाँ, ज्वैलर,,, एनीथिंग… जो भी तुम चाहो. “
“अरे बोलो  चुप  क्यूँ  हो. शरमाने की कोई बात नही. मैंं और प्रिया तुम्हारे  माता-पिता  समान ही तो हैं.” -केशव ने कहा.
“जी… जी मुझे… “
“हाँ, हाँ कहो ना झिझको मत. “
“मुझे नताशा नही बेटा कहकर पुकारिए माँ… बस यही चाहिए माँ. “
प्रिया मंत्रमुग्ध  सी नताशा  को देखती रह गई. उसने प्यार से उसके गालों  को स्पर्श  किया और कहा”बेटा नताशा…. “
“एक बार फिर से कहिए माँ… “
“बेटा… बेटा.. मेरे आरू की नताशा. “


नताशा सुनकर भावुक  हो गई और प्रिया  की गोद में अपना सर रख दिया ठीक  वैसे जैसे आर्यन रखता है. प्रिया के हाथ आपेआप  नताशा के बालों  को सहलाने लगे जैसे आरू के बाल सहलाती  थी वो.
कुछ क्षणों के लिए पिन ड्रॉप  साइलेंस था. दोनों ही भाव-विभोर हो गई  थीं और इस सुखद पल  की अनुभूति रस में केशव भी
भीग रहे थे. दोनों को कुछ देर बाद होश आया. भावनाओं  के सागर  से दोनों सराबोर  हो कर ऊपरी सतह पर हिचकोले खा रही थीं.
नताशा ने कहा “माँ-पापा मैं आप दोनों से कुछ बात करना चाहती हूँ. ” प्रिया  और केशव ने एक-दूसरे  को देखा और फिर  प्रिया ने कहा


“कहो न  नताशा. क्या कहना  चाहती हो? “
“माँ मैं जानती हूँ  कि आर्यन से आप दोनों बहुत नाराज़ हैं…. परंतु…  “
“नताशा  बेटा  हम इस विषय पर कोई बात नही करेगें.”
“माँ  प्लीज़  ये बात आपको मालूम होनी ही चाहिए ताकि आप जान सकें कि आखिर आर्यन  ने किन हालातों  में मुझसे विवाह किया. “
नताशा आगे कहने लगी.
“माँ मैं और आर्यन  एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे जिसके बारे में आरू  ने आपको बताया  भी था ना. “
” हाँ बताया था… पर वो तुमसे मिलवाना  चाहता था हमें. फिर एक दिन तुम दोनों के विवाह  के फोटोग्राफ्स  भेज कर बड़ा  झटका दे दिया जिसकी उम्मीद नही की थी मेंने. हमने संस्कार  देने में तो कोई कमी नही रखी. फिर उसने ऐसा क्यूँ  किया?  क्या… क्या एक माँ जो, अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है. हर पल बस उसके लिए  जीती है तो क्या अपने बच्चे के सर पर सेहरा बंधा देखना
क्या एक माँ  का अधिकार  नही? अपने बेटे को घोड़ी  चढ़ते देखना  क्या ये सपना एक पिता को नही देखना चाहिए जो बचपन में उसके लिए खुद घोड़ा बनता रहा. “
“रहने दो ना प्रिया ये सब बातें” केशव ने बीच में प्रिया को रोका.
“नही पापा कहने दीजिए माँ को. वो बिल्कुल  सही कह रही हैं. हाँ आर्यन  ने आपके सपनों और उम्मीदों को तोड़ा जो आप दोनों  ने उसके लिए  देखे थे. परंतु  हालात ही कुछ ऐसे बन गए थे कि आपके पास आने से पहले ही विवाह करना पड़ा. “
“ऐसा क्या हुआ था नताशा? “
“माँ मैं जिस  ऑर्फनएज में रहती थी वो मिस्टर  जोन्स  का था. वे मुझे बहुत  प्यार करते थे अपनी सगी बेटी की तरह. उनके दो पुत्र  हैं माईकल और सैमी.

माईकल को संगीत में रूचि थी तो वो गायन क्षेत्र से जुड़ा था और मिस्टर  जोन्स  के काम में उसका कोई हस्तक्षेप  नही था परंतु सैमी  मिस्टर जोन्स  का काम कुछ महीनों  से संभालने  लगा था. इसलिए  वह आए दिन ORPHANAGE आने लगा था. कुछ समय  से मुझे लगने लगा था कि उसकी मुझ पर बुरी नज़र है. एक लड़की को ये एहसास  हो जाता  है. मेंने आर्यन  को, बताया तो उसने कहा कि कुछ दिन  में हम भारत जा कर माँ-पापा का आशीर्वाद  ले कर शादी कर लेगें. “
“ओह…. तो फिर ये विवाह? ” केशव ने पूछा.


“एक दिन की बात है मिस्टर जोंस  किसी काम से बाहर थे. सैमी  ने मुझे कॉल करके ये कहा  कि वो सीढ़ियों से गिर गया  है और उठ नही पा रहा. घर पर कोई नही है तो मैं उसकी मदद  के लिए पहुँची. मिस्टर  जोन्स  के इतने एहसान थे मुझ पर तो इस मामले एक पल के लिये  भी कुछ नही सोचा और वहाँ पहुँची. गेट खुला था पहले से ही. जैसे ही मैं अंदर दाखिल हुई. दरवाज़ा धड़ाम से बंद हो गया. . मेंने घबरा कर पीछे मुड़कर  देखा तो सैमी लालची, खूंखार  नज़रों  से मुझे घूर रहा था. उसकी आँखोॉ में कामवासना  साफ नज़र  आ रही थी. मुझे तब समझते देर न लगी कि मैं इसके जाल में फँस चुकी हूँ. वो आगे बढ़ने लगा मेरी तरफ. मैं गला फाड़-फाड़ कर चिल्लाती रही पर किसी ने मेरी आवाज़ नही सुनी  माँ. मैं रोती रही, बिलखती  रही पर उसे मुझ पर दया नहीं  आई. वो मेरे देह  और आत्मा  को तार-तार   करता  रहा और मैं कुछ नही कर पाई  माँ. “
“मैं आर्यन  से दूर -दूर रहने लगी थी कटी-कटी. वो कहीं साथ चलने कहता  तो, मैं मना कर देती. अपना  जीवन  बेमानी  सा लगने लगा था. आरू मेरे इस व्यवहार  से परेशान  तो था पर उसने कुछ कहा नही. कुछ दिनों  पश्चात मेरी यूरीन रिपोर्ट  पॉज़िटिभ  आई. मैं सकते में आ गई. मुझे लगा ब आत्महत्या  ही एकमात्र  विकल्प  है. मैंने गोलियाँ  खा कर जान देने का प्रयास किया मगर यहाँ  भी किस्मत  हार गई. मुझे हॉस्पिटल ले जाया गया और पूरे दो दिन बाद जब आँखें खोली तो हॉस्पीटल  बैड  पर खुद को पाया. आरू मेरे सिरहाने बैठा था. आरू  ने मेरे सर पर हाथ  रखा और कहा “मुझ पर विश्वास  नही था नत्तू? क्यूँ  अकेले ये दुख सहती रही? “
आर्यन  को आर्फनेज और मेरी हॉस्पीटल  रिपोर्ट  से सब कुछ मालुम  हो गया था.


“मैं कुछ कह नही  पाई माँ बस आर्यन  से गले लगकर  लगातार  रोती रही . तीन दिन बाद आर्यन  मुझे डिस्चार्ज दिला कर अपने  घर में ले आया जो उसे कंपनी  ने ALLOT किया था BACHELOR  STATUS पर. ठीक उसके दूसरे दिन वो, मुझे वहाँ के आर्य समाज मंदिर ले गया .मैंने आर्यन  को, मना कर दिया  कि किसी और के बच्चे  को तुम अपना नाम क्यूँ दोगे.? मैं यह  आत्महत्या  तुमको नही करने दूँगी आरू, “


“अरे पागल!  मेरी ज़िंदगी  तो तुम हो नताशा. मैं माँ-पापा  को मना लूँगा, वे समझ जायेगें मेरी बात. तुम्हें  मैं इस हालत  में नही छोड़ सकता. तुमसे सिर्फ प्रेम ही नहीं  किया नत्तू. अब तुम्हारे  सुख के साथ दुख भी मेरे हैं. यदि तुम मुझे ये नहीं  करने दोगी  तो मेरी प्रिया माँ  की शिक्षा, उसके संस्कार  उन सबका  अपमान  होगा. बचपन से ही उनके प्रभाव में रहा हूँ. तुम ही मेरी जीवन संगिनी  बनोगी नही तो कोई और नही होगा मेरे जीवन  में.”
नताशा आगे इसका प्रतिरोध नही कर पाई  और दोनों ने विवाह कर लिया.


“माँ आर्यन  आपको और पापा को लेने आने वाले थे परंतु  काम की व्यस्तता और ज़िम्मेदारीयों के कारण नही आ पाए.मैं आई हूँ  आप दोनों  को लिवा  लाने.,.यदि आप नही चलोगे  तो, मुझे ये लगेगा  कि आपने आर्यन  को क्षमा नही किया. “
प्रिया और केशव सब सुनते रहे. सोच रहे थे कि आर्यन को तो उन्होंने अच्छे संस्कार दिए मगर ये बच्ची जो, बिन माँ-बाप के पली. इसे रिश्तों की कितनी गहरी समझ हैं चाहती तो आर्यन  के साथ  अपनी एकल  गृहस्थी में खुश रह सकती थी. आज के दौर में सास-ससुर किसे चाहिए परंतु इसने ऐसा नही किया. प्रिया को अपनी सहेली की बात फिर से याद आई जो गलत साबित हो गई थी. आरू ने उसके और केशव की परवरिश का मान  रखा था. समय के साथ बदलते रिश्तों  ने  आरू को बिल्कुल  नही बदला था. आज उन्हें आर्यन  और नताशा दोनों पर गर्व महसूस  हो रहा था.


“क्या सोच रही है माँ  आप? चलेगें ना  आप दोनों मेरे साथ अपने घर. “


प्रिया  ने केशव की ओर देखा. केशव ने सर हिलाकर सहमति दे दी. प्रिया ने नताशा  का माथा चूमा  और कहा ” हाँ हम अवश्य चलेगें अपनी  बेटी के साथ परंतु तेरी बातों  से कन्विंस  हो कर आरू को डाँटने का अवसर नही छोड़ूँगी. बहुत सताया  है उसने अपनी माँ को. मुझे पहुँचने तो दे वहाँ कान खींचूँगी  उसके जैसे वो, मेरे गाल खींचा करता था. “
केशव और नताशा  दोनों ज़ोर से हँस पड़े.
नताशा  ने फोन पर आर्य को सब कुछ बताया. आर्यन  ने प्रिया को फोन किया  सोचा माँ डाँटेगी तो डाँट खा लेगा वो पर अपनी माँ को नाराज़ नही रहने देगा उससे.
“हलो माँ… माँ… प्लीज़  कुछ बोलो.

मुझे डाँटो पर मुझसे बात  करो….प्लीज़  माँ.”
“हाँ आरू  मैं  सुन रही हूँ. “
“माँ… माँ I AM SORRY. आपका और पापा का दिल दुखाया .मुझे माफ कर दीजिए. I MISS YOU …MAA……….
“I MISS YOU  TOO AARU… “
दोनों तरफ चुप्पी  थी और आँसुओं की  बाढ़ ने सारे असंतोष और हर अशांति का शमन कर दिया था.

अंजू डोकानिया ( नेपाल)

Anju Dokania
Anju Dokania
Anju Dokania, from Kathmandu, Nepal, is a seasoned writer and presenter with extensive experience in journalism. Currently, she serves as the Executive Editor at Radio Hindustan and News Hindu Global, leveraging her expertise to deliver impactful and insightful content.

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular Articles