इस हिसाब से तो आपको हर उस चीज पर सवाल उठाने चाहिए जो की आसान नहीं है। जैसे कि हनुमान जी ने बिन थके इतना विशाल समुद्र कैसे पार कर लिया। अरे श्री हनुमान जी भगवान का अंश है उन्हे विभिन्न तरीके के वरदान प्राप्त हुए है। भगवान है।
हनुमान जी के पास अष्ट महासिद्धि और नौ निधि हैं. ये अष्ट महासिद्धि अणिमा, लघिमा, महिमा, ईशित्व, प्राक्रम्य, गरिमा और वहित्व हैं। इन्ही सिद्धि के सहारे उनका सूर्य के पास जाना और उसे निगलना संभव हैं लेकिन हनुमान जी निगलते नहीं है।
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी हनुमान चालीसा के इस 18वीं चौपाई में सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी का वर्णन है।
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
यह दोहा अवधी भाषा में है इस दोहे का हिंदी भाषा में अर्थ है कि हनुमानजी ने एक युग सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित भानु यानी सूर्य को मीठा फल समझकर खा लिया था (खाने ही वाले थे तभी देवराज इंद्र ने प्रहार कर दिया)। अगर आप यहां विज्ञान का तर्क देना चाहते है तो दे सकते है जैसे कि – अपनी लघिमा सिद्धि का उपयोग करके हनुमान जी अपना वजन सूक्ष्म मतलब न के बराबर कर सकते थे।
जैसा हमने विज्ञान में पड़ा है कि जिस पार्टीकल का वजन ना के बराबर होता है वह पार्टीकल ही प्रकाश की गति से ट्रैवल कर सकता है क्योंकि उस स्थिति में उस पार्टीकल पर गुरुत्वाकर्षण बल और सेंटर ऑफ ग्रेविटी का असर नहीं होता हैं। इस तरह हनुमान जी प्रकाश की गति से भी तेज उड़कर सूर्य को निगलने के लिए पहुचे थे।
और ये भी जानिए कि नासा के अनुसार सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी 149 मिलियन किलोमीटर हैं और यह बात पहले ही हनुमान चालीसा के 18 वीं चौपाई में धरती और सूरज की बीच की दूरी का वर्णन किया गया है।
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हनुमान जी के अष्ट सिद्धि में से एक महिमा हैं। इस सिद्धि से वह अपने शरीर को जितना चाहे उतना बड़ा कर सकते थे।
इसलिए हनुमान जी के सामने पूरी पृथ्वी ही एक फल के सामान हैं। विज्ञान के अनुसार कोई भी ऐसी वस्तु जिसका वजन ज्यादा और उसमे बहुत ऊर्जा हो वह ब्लैक होल बना सकती हैं और ब्लैक होल सूर्य को निगलने की क्षमता रखता हैं।
जब ब्लैक होल सूर्य को निगल सकता है तो श्री हनुमान जी भगवान शिव के अवतार है। भगवान है। ब्रह्माण में कुछ भी असंभव नहीं हैं।
बदलाव : आज से 70–80 साल पहले अगर कोई कहता कि इंसान अंतरिक्ष में जा सकता है तो लोग हंसते होंगे।
40–50 साल पहले कोई कहता की इंसान हजारों किलोमीटर की दूरी चंद घंटों में पूरी कर सकता है तो लोग हंसते होंगे।
लेकिन हमारी यह सोच अब तक सच साबित हुई है तो फिर हमारी संस्कृति के बारे में आप ऐसा क्यों सोचते है जैसे कि सब एक अंधविश्वास हो।
हमारी संस्कृति हमारे दिल–दिमाग, इतिहास, किताबो और वेदों में निहित है जबकि विज्ञान अभी शुरुआत ही है इसलिए हम आज तक भी विज्ञान को सही तरीक़े से नहीं समझ पाए है तो फिर अपनी संस्कृति को आप एक लिमिट तक सही लेकिन ज़्यादा विज्ञान से तुलना कैसे कर सकते है।
इसलिए कभी भी अपनी संस्कृति को विज्ञान से ज्यादा तुलना नही करनी चाहिए। कुछ चीजें ऐसी होती है जो अभी विज्ञान भी नही समझ सकता.
(With thanks from Social Media)
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