Donald Trump: जैसे 1949 मे नाटो का बनना एक ऐतिहासिक प्रगति थी वैसे ही ट्रम्प ये जो भी कर रहे है वह उतना ही ऐतिहासिक है..
यदि ये चर्चा इंग्लिश की बजाय हिन्दी मे हुई होती तो ये लोग तू तड़ाके से बात कर रहे होते। अंग्रेजी के “यू” शब्द ने दो कोड़ी ही सही मगर शिष्टाचार को सांस दे दी।
या यू कह लो कि एक साल पहले यदि हमने गलत वोट दे दिया होता और राहुल गाँधी प्रधानमंत्री बन जाता तो ये ही दुर्दशा भारत के संदर्भ मे होती।
डोनाल्ड ट्रम्प जब से राष्ट्रपति बने है वो एक CEO की तरह काम कर रहे है और अमेरिका को प्राइवेट कंपनी की तरह देख रहे है। ट्रम्प का मिशन ये है कि अमेरिका का विदेशो मे खर्चा कम से कम हो और हर देश मे दक्षिणपंथी सरकार बने।
ये एक बहुत बड़ा कारण है कि अभी तक ट्रम्प ने भारत को हिट नहीं किया क्योंकि दक्षिणपंथी पार्टी सत्ता मे है। लेकिन शेष देशो की इन्होने धज्जिया उड़ा रखी है, जर्मनी मे सत्ता बदल गयी और ईसाई राष्ट्रवादियों के हाथ मे चली गयी।
फ़्रांस के पीछे तो चुनाव से पहले ही पड़ गए थे अब ब्रिटेन भी निशाने पर है। रूस के साथ संबंध इस हद तक सुधार रहे है कि संयुक्त राष्ट्र मे अमेरिका रूस का समर्थन कर रहा है। चीन खुद डरा हुआ है कि कही रूस अमेरिकी खेमे मे ना चला जाए।
इसी तरह सबकी बैंड बजाते हुए ये जुलूस यूक्रेन पहुंचा। यूक्रेन मे जैलेंसकी की सरकार अमेरिकी डीप स्टेट ने ही बनवाई थी। जैलेंसकी ने राष्ट्रपति बनते ही रूस को परेशान करना शुरू कर दिया और आख़िरकार युद्ध शुरू हुआ।
ज़ब तक बाइडन थे जैलेंसकी ने 500 अरब डॉलर के तो बस अमेरिकी हथियार खरीदे है। अमेरिकी सरकार यूक्रेन को दान देती और यूक्रेन अमेरिकी कम्पनियो से हथियार खरीदता। पैसा अमेरिका मे ही था मगर ट्रम्प को ये चक्र भी पसंद नहीं इसलिए यूक्रेन की मदद रोक दी।
अब जैलेंसकी ज़ब वाशिंगटन आया तो मीडिया के सामने ही दोनों लीडर भिड़ गए। ज़ब ये वीडियो देखा तो शुरू मे तो यकीन नहीं हुआ, जेडी वेन्स ने थोड़ी परिपक्वता दिखाने की कोशिश की तो जैलेंसकी उन पर भी चढ़ गया।
इतिहास मे पहली और शायद आखिरी बार इस तरह दो लीडर्स को लड़ते देखा है। दूसरी ओर यूरोप भी अमेरिका का दुश्मन बन रहा है उसने जैलेंसकी को आश्वासन दिया है। विश्वयुद्ध तो अब नहीं होगा लेकिन ये अमेरिका के दोस्त खोने की शुरुआत है।
जैसे 1949 मे नाटो का बनना एक ऐतिहासिक प्रगति थी वैसे ही ट्रम्प ये जो भी कर रहे है वह उतना ही ऐतिहासिक है। ट्रम्प जो कर रहे है इसका आंकलन इतिहास ही कर पायेगा वर्तमान नहीं कर सकता।
आप सोचकर देखिये यदि महीनों पहले हमारा एक वोट इधर का उधर हो जाता तो राहुल गाँधी प्रधानमंत्री बनता। दो महीने बाद बांग्लादेश का संकट सामने होता, इन सबमे उलझ जाते तो फिर ट्रम्प आ जाते।
जैलेंसकी और राहुल गाँधी मे ये बात कॉमन है कि दोनों डीप स्टेट के चहिते थे। बस जैलेंसकी जीत गया और राहुल गाँधी हार गया वरना इन 10 सालो मे जो कुछ बनाया था वो गवाने के लिये 10 महीने ही पर्याप्त होते।
ये मीटिंग देखकर हमें खुद के लिये चीयर अप करना चाहिए, तीसरी बार भी मोदीजी को जीताना फायदे का ही सौदा रहा।
(परख सक्सेना)