Wednesday, October 22, 2025
Google search engine
Homeसाहित्यPoetry by Kalindi Trivedi : विधि, तूने क्यों दुनिया ही रची?

Poetry by Kalindi Trivedi : विधि, तूने क्यों दुनिया ही रची?

(POETRY)

विधि, तूने क्यों दुनिया ही रची?

विधना! तूने क्यों नारी रची?
असुरों का है साम्राज्य यहां,
देवों का है अब नाम कहां ?
पद दलित हो रही अमर पुरी ,
प्रति पल लुटती है यहां शची ।

कहीं दुर्गा है कहीं कल्याणी ,
होती केवल मुखरित बाणी ।
जीना प्रति क्षण हो रहा कठिन,
रे निशा- दिवस है लूट मची।

बेची जाती बाजारों में,
झोंकी जाती अंगारों में।
कितना बतलाऊं व्यथा कथा ?
मासूम कली तक नहीं बची ।

मानव अब रहा नहीं मानव
है नाच रहा बन कर दानव ।
कोसूं निज को या तुम्हें कहूं।
विधि! तूने क्यों दुनिया ही रची!

(कालिंदी त्रिवेदी)

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments