Tuesday, October 21, 2025
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Acharya Anil Vats presents: मंदोदरी की बिटिया

Acharya Anil Vats presents: कम ही लोगों को पता होगा कि मंदोदरी की कोई बिटिया भी हो सकती है..अधिक जानिये इस लेख में..

Acharya Anil Vats presents: कम ही लोगों को पता होगा कि मंदोदरी की कोई बिटिया भी हो सकती है..अधिक जानिये इस लेख में..

।। राम ।।

तीनों लोक कब्जाने की चाहत लिये रावण की कठिन तपस्या सफल रही. महाबली रावण के तप से जो तेज उपजा उससे सारा संसार जलने लगा. सभी देवता घबराये हुये ब्रह्मा जी के पास पहुंचे. देवताओं ने मिलकर ब्रह्मा जी से कहा कि इस स्थिति से जल्द निबटना होगा वरना हम सब भस्म हो जायेंगे।

ब्रह्मा जी, तुरंत रावण के पास पहुंचे और पूछा कि इतनी कठोर तपस्या क्यों कर रहे हो ? तपस्या छोड़ो अब वर मांगों. रावण ने ब्रह्मा जी से कहा, ‘ मैं किसी से कभी न मरूं, मुझे अमर होने का वरदान दीजिए.’ ब्रह्माजी ने कहा यह असंभव है. जो पैदा हुआ है मरेगा. कुछ और मांगो।

ब्रह्मा जी को वर देने में असहाय देख रावण ने कहा, यह वर नहीं दे सकते तो ऐसा वर दीजिए कि मुझे सुर, असुर, पिशाच, नाग, किन्नर या अप्सरा कोई भी न मार सके. मानव तो मुझे क्या मार सकेगा पर जब मैं अपनी कन्या को अपनी रानी बनाने पर आऊं तब मेरी मृत्यु हो. ब्रह्मा जी ने ठीक है कहा और ब्रह्मलोक चले गए।

वरदान पाकर मदमाता रावण तप खत्म कर विजय अभियान पर निकला. उन दिनों दंडकारण्य में बहुत से ऋषि-मुनि रहते थे. रावण सैनिकों के साथ वहां से गुजरा तो उसने उनको जीतने के लिये उन्हें जान से मारने की बजाये उनको दंड देना, डराना और इसके लिये उनका खून निकालना ही बहुत समझा।

रावण के सैनिकों ने ऋषियों के शरीर में गहराई तक बाण चुभोकर खून निकाला. अब इस खून को रखें कहां तो पास ही गत्समद ऋषि की कुटिया थी जिसके भीतर एक सुंदर सा घड़ा रखा था, गुत्समद हवन के लिये लकड़ियां लेने गये थे. सैनिक वह घड़ा उठा लाए और कई ऋषि मुनियों का रक्त उसमें इकट्ठा कर लिया।

‘गत्समद ऋषि’ सौ पुत्रों के पिता थे, वे चाहते थे कि उनको एक बेटी हो और वह भी लक्ष्मी का अवतार सो उन्होंने माता लक्ष्मी से विनती की कि माता लक्ष्मी उनके घर पुत्री रूप में जन्म लें. इसके लिये वे हर रोज मंत्र पढ एक कुश की नोक से उस घड़े में दूध की एक बूंद डालते थे।

इसी दूध वाले घड़े में ऋषि मुनियों का खून इकट्ठा कर सैनिकों ने रावण को सौंप दिया. रावण वह घड़ा लेकर लंका पहुंचा और घड़े को अपनी पत्नी मंदोदरी को देकर कहा कि इस कमंडल को संभाल कर रखना।

मंदोदरी ने पूछा इसमें है क्या ? रावण के लिये ऋषि मुनि जो लोगों को धर्म और सदाचार की राह दिखाते थे उनकी रगों में बहने वाला रक्त जहर बराबर ही था. अत: रावण ने कहा, इसमें दुनिया का सबसे विषैला जहर है. यह कह कर रावण विश्व विजय को चला गया और फिर कई बरस नहीं लौटा।

रावण ने दुनिया जीत ली. ताकत के घमंड में चूर उसने दानवों, यक्षों, गंधर्वों की सुंदरतम कन्याओं को अपने साथ ले जाकर मंदराचल, हिमवान और मेरू जैसे पर्वतों और जंगलों में मौज मनाने में मशगूल हो गया. मंदोदरी रावण का इंतज़ार करती रही. पति की इस उपेक्षा ने उसे बहुत दुःखी कर दिया था।

दूसरी स्त्रियों के चक्कर में अपनी प्रिय पत्नी की बरसों खोज खबर न लेने के चलते उदास मंदोदरी ने आत्महत्या का रास्ता चुना. मंदोदरी को रावण द्वारा दिए गए विषैले घड़े की याद आई. उसमें जो भी काला काला सा तरल था उसे विष समझ कर मंदोदरी एक झटके में पी गयी।

उसे पीने के बाद मंदोदरी मरी नहीं, ऋषि गत्समद द्वारा घड़े में मंत्र पढ कर डाले गये दूध की दो चार बूंदे और माता लक्ष्मी का प्रभाव खून पर हावी रहा और उसके असर से मंदोदरी को गर्भ ठहर गया।

कुछ दिनों बाद यह राज जब मंदोदरी पर उजागर हुआ तो वह घबरा गयी, ऐसे में जब उसके पति रावण भी यहां पिछले कई वर्षों से नहीं हैं तब ऐसा होने के बाद महल की अन्य स्त्रियां क्या कहेंगी, यह सब सोच कर मंदोदरी ने तीर्थ यात्रा के लिये विशेष विमान बुलवाया और तीर्थ करने के बहाने विमान से कुरुक्षेत्र आ गईं।

यहां आ कर मंदोदरी ने गर्भपात करवाया और उस अजन्मे बच्चे को एक सुंदर से कलश में रख जमीन में गाड दिया. इतना सब करने के बाद मंदोदरी लंका लौट गयी. कुछ समय बीत जाने के बाद राजा जनक की मिथिला में भयानक अकाल पड़ा।

राजा जनक का लगभग समूची धरती पर ही राज था, ज्योतिषियों ने हिसाब किताब कर के बताया कि कहां हल चलाने से वर्षा होगी और समूचे देश में अन्न उपजेगा. उन्हीं के कहने पर वे कुरुक्षेत्र गए और बतायी गयी जगह पर ही सोने के हल से खेत को जोता. हल ने जब जमीन को फाड़ा तो एक कलश निकल आया.
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कलश खोल कर देखा गया तो उसमें एक नवजात कन्या थी जिसके कलश से निकलते ही आसमान से फूलों की बारिश होने लगी और इस पुष्पवर्षा के बीच एक आकाशवाणी हुई, ‘राजा जनक ! इस कन्या का लालन पालन अब तुम्हारी जिम्मेदारी है. हल की रेखा (सीत) से निकलने के कारण इस कन्या का नाम सीता होगा।

क्या सीता जी वास्तव में रावण की बेटी थीं और यह बात रावण को पता थी ? राम कथा के कई प्रसंग इस तरफ इशारा करते हैं. रावण ने ब्रह्मा जी से वरदान मांगते कहा भी था कि ‘जब मैं अपनी ही कन्या की इच्छा करूं तब मेरी मृत्यु हो.”

सीता माता असल में किस की पुत्री हैं इन सब सवालों का जवाब देने में हम कहां सक्षम हैं, यह तो प्रभु ही जाने, हम तो बस जो कुछ विद्वानों ने उनकी लीला को धर्म ग्रंथों और पुराणों में बखाना है उसको जस का तस रख सकने भर का ही काम कर सकते हैं. बाकी निर्णय आपका।

स्रोत : अद्भुत रामायण

(प्रस्तुति – आचार्य अनिल वत्स)

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