Parakh Saxena writes: ये एक चुनावी प्रबंधन है जो अजेय बनाता है, लोकतंत्र मे विपक्ष मे जितनी पार्टियां हो उतना बेहतर है बशर्ते उनका प्रबंधन अमित शाह जैसा आना चाहिए..
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के बारे मे किवंदती है कि वे 2023 का विधानसभा चुनाव खुद हारने वाले थे मगर अंत समय मे कांग्रेस के एक कमजोर प्रत्याशी को उतारा गया, इसके लिये कांग्रेस को पैसे खिलाने की भी बात सामने आयी।
सच्चाई भले ही विपरीत हो मगर इस थ्योरी से एक सबक मिलता है कि राजनीति मे विपक्षी कमजोर हो तो जीत टिकाऊ होती है।
अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ED और CBI कार्रवाई कर रही है मगर अब तक वो पिंजरे मे नहीं है। शराब घोटाले पर आखिरी न्यूज एक दो महीने पहले आयी थी अब तक कोई खबर नहीं।
हालांकि रेखा गुप्ता की सरकार काम दुरुस्त कर रही है। अतिक्रमण बिखेर रही है, काम तेजी से हो रहे है।
लेकिन शीषमहल का क्या हुआ? शराब घोटाले की इन्क्वायरी कहाँ पहुंची वो किसी को नहीं पता। 2017 का गुजरात चुनाव याद कीजिये, कांग्रेस को 41% वोट मिले थे और कांटे की टक्कर हो गयी थी।
2022 मे ज़ब चुनाव हुए तो कांग्रेस को बस 27% वोट मिले, 2% बीजेपी ने खुद छीन लिये और 12% आम आदमी पार्टी खा गयी। आज स्थिति ये है कि गुजरात विधानसभा मे कोई आधिकारिक विपक्ष है ही नहीं।
गोवा मे तो स्थिति और खराब है 2017 और 2022 दोनों मे ही कांग्रेस मे तोड़ फोड़ हुई और सरकारे बीजेपी की ही बनी।
अरविन्द केजरीवाल एक वोट काटने की मशीन हो गया है, यदि कही कांग्रेस के साथ गठबंधन कर भी ले तो समस्या नहीं क्योंकि ज़ब गठबंधन होता है तो लोकल कार्यकर्ता मे असंतोष पनपता है जैसे दिल्ली मे हुआ।
विधायकों का बाजार गरम हो जाता है और ऐसे मे अब तक बाजी बीजेपी ने ही मारी है, 2024 मे बीजेपी को भले ही गठबंधन की सरकार चलानी पड़ी हो मगर ध्यान देने वाली बात ये है कि एक साल मे NDA की तीन बार बैठक हो गयी है।
इंडी गठबंधन का क्या हुआ? वो सिर्फ कागज़ पर रह गया है? बीजेपी ने गठबंधन किया मगर नायडू और नीतीश को एक एक मंत्रालय ही दिया जबकि अपेक्षा थी कि बीजेपी विचलित होकर इन्हे ज्यादा और भारी मंत्रालय देगी।
लेकिन बीजेपी को आश्वासन है इंडी गठबंधन मे कुछ पार्टियां है जिन्हे उसी ने खड़ा होने दिया और समय आने पर वो बीजेपी के साथ हो जाएगी। ना भी आये तो इंडी को बहुमत तक भी नहीं आने देगी और मध्यावधि चुनाव की नौबत आ जायेगी।
कांग्रेस ने 140 सीट लाने पर नरसिम्हाराव को वनवास दे दिया था जबकि राहुल गाँधी तीन बार से 140 से बहुत दूर है मगर उसे खींचने और ढोने मे लगी है क्योंकि इन्ही छोटी पार्टियों ने उसकी कमर तोड़े रखी है।
अरविंद केजरीवाल ने शराब घोटाले के पैसे से गोवा और गुजरात का चुनाव लड़ा था अब आप डॉट कनेक्ट कर सकते है कि वो जेल मे क्यों नहीं है?
ये एक चुनावी प्रबंधन है जो अजेय बनाता है, लोकतंत्र मे विपक्ष मे जितनी पार्टियां हो उतना बेहतर है बशर्ते उनका प्रबंधन अमित शाह जैसा आना चाहिए।