Iran Vs Israel:अमेरिका के ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद अब पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर है.. निगाहें चीन पर हैं—जो ईरान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है..
ईरान पर अमेरिका के ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ के बाद सवाल उठता है – क्या चीन अपने सहयोगी ईरान के पक्ष में युद्ध में उतरेगा? क्या चीन की सेना इतनी दूर तक सैन्य कार्रवाई कर सकती है?
चीन-ईरान: घनिष्ठ लेकिन सीमित सहयोग
चीन और ईरान के बीच 2021 में 25 साल का रणनीतिक समझौता हुआ है, जिसमें ऊर्जा, व्यापार, इंफ्रास्ट्रक्चर और रक्षा सहयोग शामिल हैं।
तेल पर निर्भरता: ईरान चीन को रोज़ाना करीब 20 लाख बैरल तेल सप्लाई करता है, जो चीन के कुल तेल आयात का लगभग 15% है।
सैन्य सहयोग: चीन ने ईरान को मिसाइल तकनीक, ड्रोन पार्ट्स और रॉकेट ईंधन मुहैया कराया है।
परंतु क्या यह सहयोग किसी सैन्य हस्तक्षेप तक जाएगा?
‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ के बाद परिदृश्य
7 B-2 बॉम्बर्स और 125 विमानों के साथ अमेरिका ने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान स्थित परमाणु ठिकानों पर सटीक हमले किए। इसके बाद पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर है। अब निगाहें चीन पर हैं—जो ईरान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
चीन की सैन्य क्षमता: क्या PLA तैयार है?
1. थल सेना (PLAGF)
सैनिक: 9.7 लाख
हथियार: 7,000 टैंक, 35,000 बख्तरबंद वाहन
सीमा: मुख्य रूप से क्षेत्रीय रक्षा के लिए तैयार, मध्य पूर्व तक लॉजिस्टिक्स कमजोर
2. नौसेना (PLAN)
जहाज: 425, जिनमें 3 एयरक्राफ्ट कैरियर
पनडुब्बियां: 72
सीमा: हिंद महासागर तक विस्तार हुआ है, लेकिन सिर्फ एक विदेशी अड्डा – जिबूती – जो खुद पश्चिमी अड्डों से घिरा है
3. वायुसेना (PLAAF)
विमान: 3200, जिनमें 600 J-20 स्टील्थ जेट्स
सीमा: लंबी दूरी की कार्रवाई सीमित; केवल 50 एयर टैंकर हैं, जो 5000 किमी दूर अभियान के लिए पर्याप्त नहीं
4. रॉकेट फोर्स (PLARF)
मिसाइलें: 2000 से अधिक, जिनमें DF-41 ICBM (12000 किमी रेंज)
सीमा: निशाना लगा सकती है, लेकिन लॉजिस्टिक्स चुनौतीपूर्ण
5. साइबर और स्पेस यूनिट
400 सैटेलाइट और मजबूत साइबर युद्ध क्षमता
उपयोगी खुफिया समर्थन, लेकिन प्रत्यक्ष युद्ध में सीमित
अंतर्राष्ट्रीय सैन्य पहुँच की सीमाएँ
PLA को 5000 किमी दूर मिशन के लिए मजबूत नौसैनिक और हवाई सप्लाई चेन की आवश्यकता है – जो फिलहाल कमजोर है
PLA के पास अमेरिका की तरह विदेशों में सैन्य अड्डों का जाल नहीं है
हस्तक्षेप के पक्ष में तर्क
आर्थिक हित: यदि ईरान की तेल आपूर्ति बाधित होती है, तो चीन की ऊर्जा सुरक्षा प्रभावित हो सकती है
रणनीतिक कारण: ईरान चीन के लिए अमेरिका के प्रभाव को संतुलित करने का माध्यम है
हथियारों की आपूर्ति: कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन से हाल ही में Boeing 747 कार्गो विमान ईरान गए, जिनमें सैन्य उपकरण हो सकते हैं
हस्तक्षेप के विरोध में तर्क
सीमित सैन्य पहुँच: PLA विदेशी युद्धों में अनुभवहीन है और उसके लॉजिस्टिक्स सीमित हैं
गैर-हस्तक्षेप नीति: चीन की विदेश नीति विदेशी संघर्षों में न घुसने की रही है
अमेरिका से टकराव का खतरा: सीधे हस्तक्षेप से अमेरिका व इज़राइल से सैन्य टकराव संभव है, जिससे चीन की व्यापारिक अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
विलियम फिगुरोआ (ग्रोनिंगन यूनिवर्सिटी): “चीन की सैन्य सीमाएँ और नीति उसे युद्ध में घुसने से रोकती हैं।”
जू झाओयी (बीजिंग): “चीन केवल संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से कूटनीतिक दबाव बना सकता है।”
संभावित चीनी रणनीति: युद्ध नहीं, कूटनीति
संयुक्त राष्ट्र व SCO में विरोध
ईरान को तेल खरीद और युआन भुगतान से आर्थिक राहत
सीमित सैन्य आपूर्ति (ड्रोन, रडार पार्ट्स आदि)
मध्य पूर्व में कूटनीतिक दखल बढ़ाना
चीन सैन्य नहीं, रणनीतिक मोर्चे पर लड़ेगा
चीन की PLA दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से है, परंतु उसकी वैश्विक शक्ति प्रक्षेपण क्षमता अमेरिका जैसी नहीं है। चीन, फिलहाल, ईरान को कूटनीतिक, आर्थिक और सीमित तकनीकी समर्थन दे सकता है, लेकिन प्रत्यक्ष सैन्य हस्तक्षेप की संभावना बेहद कम है।