Ravan: राक्षसराज रावण की अद्भुत कथा जानिये जो बतायेगी किस तरह लंबी आयु का वरदान पाया दशानन ने..
रावण, जो बुराई का प्रतीक माना जाता है, वह विडंबना ही है कि एक महान विद्वान और तपस्वी भी था। परंतु उसका अहंकार और अत्याचार उसके विनाश का कारण बना। श्रीराम के हाथों उसका अंत हुआ, जबकि उसका पूरा वंश (विभीषण को छोड़कर) नष्ट हो गया।
लाखों वर्षों तक कैसे जिया रावण?
धर्मग्रंथों के अनुसार रावण ने कई लाख वर्षों तक जीवन जिया। वाल्मीकि रामायण, शिव पुराण, स्कंद पुराण सहित अनेक ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। रावण ने अपने भाइयों कुंभकर्ण और विभीषण के साथ हजारों वर्षों की कठोर तपस्या कर ब्रह्माजी को प्रसन्न किया था।
ब्रह्माजी का अद्भुत वरदान
10,000 वर्षों की तपस्या के बाद ब्रह्माजी ने रावण को यह वरदान दिया:
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मनुष्य और वानरों को छोड़कर किसी से भी मृत्यु का भय नहीं
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अद्वितीय बल और दीर्घायु प्राप्त हुई
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देवता, दानव, यक्ष आदि उसका वध नहीं कर सकते थे
कैलाश पर्वत की घटना: 1000 वर्षों का दंड
अपने वरदानों से अहंकारी होकर रावण ने कैलाश पर्वत उठाने का प्रयास किया। भगवान शिव ने अपने पैर के अंगूठे से पर्वत दबा दिया, जिससे रावण का हाथ 1000 वर्षों तक फंसा रहा। इस दौरान उसने शिव तांडव स्तोत्र की रचना कर शिवजी को प्रसन्न किया।
शिवजी के विशेष वरदान
प्रसन्न होकर भगवान शिव ने रावण को दिए:
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चंद्रहास नामक दिव्य तलवार
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असीम बल और पराक्रम
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संगीत व ज्ञान में पारंगतता
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रुद्रगणों के समान शक्ति
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शिवभक्त रहने तक अजेयता का आशीर्वाद
रावण का स्वरूप
रावण के दस सिर थे और उसका वर्ण नीलमेघ के समान काला था। वह सदैव पूरे शरीर पर चंदन का लेपन करता था।
प्रश्नोत्तरी: रावण के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य
प्रश्न 1: रावण को दीर्घायु का वरदान किससे मिला?
उत्तर: ब्रह्माजी से, जिन्हें प्रसन्न करने के लिए उसने 10,000 वर्षों की तपस्या की थी।
प्रश्न 2: क्या रावण ने सर्वप्रथम ब्रह्माजी की ही तपस्या की थी?
उत्तर: हाँ, उसने नौ सिर अग्नि में समर्पित कर दिए थे, जब दसवाँ काटने लगा तो ब्रह्माजी प्रकट हुए।
प्रश्न 3: कैलाश पर्वत की घटना क्या थी?
उत्तर: वरदानों से अहंकारी होकर रावण ने कैलाश उठाने का प्रयास किया, परंतु शिवजी ने उसे 1000 वर्षों तक दंडित किया।
प्रश्न 4: शिवजी ने कौन-कौन से वरदान दिए?
उत्तर: दिव्य तलवार, असीम बल, संगीत ज्ञान सहित पाँच प्रमुख वरदान प्रदान किए।
प्रश्न 5: रावण की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर: अपने ही वरदान के अनुसार, मनुष्य अवतार श्रीराम और वानरों (हनुमान आदि) के हाथों उसका वध हुआ।
(प्रस्तुति – त्रिपाठी अर्चना शेरी)