Cancer in India: डॉक्टर बता रहे हैं क्यों बढ़ रहे हैं कैन्सर के मामले और इनको रोकने के उपाय क्या हो सकते हैं..
भारत में कैंसर बढ़ने के पीछे कई कारण हैं, जिसमें लाइफस्टाइल, खाने-पीने के अलावा प्रदूषण भी बड़ी वजह है। डॉक्टरों ने इसे रोकने के कुछ तरीके बताए हैं, जो लेख में विस्तार से दिए गए हैं।
अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि दो दशक पहले तक कैंसर के इतने मामले देखने को नहीं मिलते थे, जितने अब सुनने को मिलते हैं। कैंसर की पहचान करने और इसके इलाज की तकनीकें लगातार एडवांस होती जा रही हैं, इसके बावजूद कैंसर के आंकड़ोंं में साल दर साल इजाफा हो रहा है।
NCBI में प्रकाशित नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (National Cancer Registry Programme) के अनुसार भारत में नौ में से एक इंसान को अपने जीवनकाल में कैंसर होने की संभावना हो सकती है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत में कितनी तेजी से कैंसर का प्रकोप बढ़ रहा है। विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) के मौके पर हमने कैंसर के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं डॉक्टरों से बातचीत की और कैंसर से जुड़े इन कारणों को जानने की कोशिश की।
देश में कैंसर के आंकड़ों पर एक नजर
अगर आंकड़ों की बात करें, तो दुनियाभर में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, साल 2022 में दुनियाभर में कैंसर के 2 करोड़ नए मामले आए थे और करीब 97 लाख लोगों की मौत हुई थी। भारत में भी कैंसर के आंकड़ों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 2021 से 2023 के कैंसर के आंकड़े दिए हैं। इसके अनुसार, साल 2021 में कैंसर के करीब 14 लाख से ज्यादा मामले थे,वहीं साल 2023 में यह बढ़कर 15 लाख के करीब आ गए। कैंसर से होने वाली मृत्युदर के मामले भी कम नहीं हैं। साल 2023 में कैंसर से होने वाली मृत्युदर 8 लाख से ज्यादा थी, जो चिंता का विषय है।
जितनी तेजी से देश में कैंसर की तकनीकें विकसित हो रही हैं, उतनी ही तेजी से कैंसर के मरीज भी बढ़ रहे हैं। इसके कारणों को विस्तार से मुम्बई के होली फैमिली अस्पताल के ऑन्कोजी कंसल्टेंट ने समझाया। उनके अनुसार, “आजकल भारतीयों के लाइफस्टाइल में बदलाव, पर्यावरण में बढ़ता प्रदूषण और बीमारी का देर में पता चलना मुख्य कारण हैं। इसके अलावा, लोगों में तंबाकू और शराब का बढ़ता सेवन, प्रोसेस्ड फूड और खाने में पोषक तत्वों की कमी के चलते फेफड़ों, मुंह और कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। मोटापा भी कैंसर के मामलों को बढ़ा रहा है।”
ये ऑन्कोलोजी कंसल्टेंट बताते हैं कि इंडस्ट्री के केमिकल ने पानी और हवा का प्रदूषण बढ़ा दिया है। पानी, हवा और खाने में प्रदूषण के कणों के चलते कई तरह के कैंसर हो रहे हैं, जिसमें सांस और पेट के कैंसर मुख्य तौर पर बढ़ रहे हैं।
देश में किन राज्यों में कैंसर के मामले ज्यादा हैं?
भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 में उत्तर प्रदेश में 2 लाख से ज्यादा कैंसर के मामले सामने आए और इसमें करीब 1 लाख से ज्यादा की मृत्युदर थी। इसी तरह महाराष्ट्र में 1 लाख से ज्यादा मामले थे और इसके बाद पश्चिम बंगाल में भी 1 लाख से ज्यादा मामले सामने आए थे, लेकिन मृत्युदर 62 हजार से ज्यादा थी। इस बारे में AIIMS के बॉयोकेमिस्ट्री विभाग के एडिशनल प्रोफेसर का कहना है, “कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। लेकिन समस्या यह है कि लोगों में जागरूकता की कमी है। लोग कैंसर के लक्षणों को पहचानने में देर कर देते हैं। इससे इलाज भी देरी से शुरू होता है और कैंसर का पूरी तरह से ठीक होना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।”
कौन से कैंसर भारतीयों को ज्यादा हो रहे है?
NIH की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में 100 से ज्यादा प्रकार के कैंसर हैं। लेकिन भारत में अगर कैंसर के मामलों को कम करना है, तो यह जानना बहुत जरूरी है कि कौन से कैंसर भारतीयों को ज्यादा हो रहे हैं। इस बारे में गुड़गांव के आर्टेमिस अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोजी विभाग के यूनिट हेड ने विस्तार से बताया।
मुंह का कैंसर: भारत में यह कैंसर बहुत आम है, क्योंकि तंबाकू चबाने और धूम्रपान करने वालों की भारत में काफी बड़ी संख्या है। इसके अलावा, शराब का सेवन भी कारण हो सकता है।
फेफड़े का कैंसर: यह पुरुषों और महिलाओं दोनों में आम है, और इसका मुख्य कारण धूम्रपान है।
ब्रेस्ट कैंसर: यह महिलाओं में सबसे आम कैंसर है, और इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि आनुवंशिक, मोटापा और हार्मोनल।
सर्वाइकल कैंसर: ब्रेस्ट कैंसर के बाद यह महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है, और इसका मुख्य कारण ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) है।
कोलोरेक्टल कैंसर: यह पुरुषों और महिलाओं दोनों में आम है, और इसका मुख्य कारण मोटापा, प्रोसेस्ड मीट का सेवन और फाइबर की कमी है।
इनके अलावा, भारत में प्रोस्टेट कैंसर, पेट का कैंसर और रक्त कैंसर भी आम हैं।
भारत में कैंसर होने के क्या मुख्य रिस्क फैक्टर हैं?
NCBI की रिपोर्ट के अनुसार, 90-95 प्रतिशत मामलों में कैंसर होने का कारण लाइफस्टाइल और पर्यावरण होता है, और सिर्फ 5 से 10 प्रतिशत मामलों में जेनेटिक कारण होते हैं। इस बारे में तालेगांव की महिला डॉक्टर जो ओनो-लाइफ कैंसर सेंटर की रेडिएशन और क्लिनिकल ऑन्कोलॉजिस्ट हैं, वो भी इससे इत्तेफाक रखती हैं।
ये लेडी डॉक्टर इस पर कहती हैं कि -“कसरत न करना, खाने पीने में प्रोसेस्ड फूड लेना, स्मोकिंग और शराब का बहुत ज्यादा इस्तेमाल कैंसर के मुख्य रिस्क फैक्टर्स हैं। इसके साथ पर्यावरण प्रदूषण और हानिकारक केमिकल भी कैंसर के रिस्क फैक्टर के रूप में सामने आते हैं। यह भी देखा गया कि बढ़ती उम्र को भी कैंसर का अकेला रिस्क फैक्टर माना गया है। जेनेटिक म्यूटेशन, अनुवांशिक कारण और संक्रमक इंफेक्शन जैसे HPV रिस्क को और अधिक बढ़ा देते हैं।”
देश में बढ़ते कैंसर को कैसे रोका जा सकता है?
कैंसर के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए आर्टेमिस अस्पताल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के ब्रेस्ट सर्जरी चीफ का कहना है, “कैंसर के मामलों को कम करने के लिए कई स्तरों पर काम करना होगा। सबसे पहले, लोगों को कैंसर के खतरों के बारे में जागरूक करना जरूरी है। उन्हें तंबाकू के सेवन से बचने, स्वस्थ भोजन खाने, नियमित रूप से कसरत करने और अपने वजन को नियंत्रित करने की सलाह देनी चाहिए।
इन विशेषज्ञ डॉक्टर का मानना है कि सरकार को भी इस दिशा में प्रयास करने चाहिए। तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाना, स्वस्थ भोजन को बढ़ावा देना, प्रदूषण को कम करना और कैंसर की जांच और उपचार के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना जरूरी है। इसके अलावा, कैंसर से जुड़ी रिसर्च को बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण है। इससे कैंसर के नए और प्रभावी उपचार विकसित करने में मदद मिलेगी।”
इन ब्रेस्ट सर्जरी चीफ ने लोगों को सलाह दी है, जो कैंसर के मामलों को कम करने में मदद कर सकते हैं:
तंबाकू का सेवन बंद करें: इससे मुंह, फेफड़े, गले और अन्य अंगों का कैंसर हो सकता है।
संतुलित और पोषक तत्वों से युक्त भोजन खाएं: फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाएं।
नियमित रूप से कसरत करें: कसरत या योग करने से कैंसर का खतरा कम हो सकता है।
वजन कंट्रोल में रखें: अधिक वजन या मोटापा कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।
नियमित रूप से जांच करवाएं: अगर कैंसर का जल्दी पता चल जाए, तो बीमारी ठीक हो सकती है।
कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए लोगों को अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करना चाहिए और नियमित रूप से जांच कराना बहुत जरूरी है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अगर शरीर में किसी तरह का बदलाव महसूस हो, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
(प्रस्तुति – त्रिपाठी सुमन पारिजात)