Puri Rath Yatra 2025:महाकुंभ के बाद अब पुरी रथ यात्रा में अदाणी समूह सेवा कार्य करने जा रहा है जिससे लाखों श्रद्धालुओं को मिलेगा भोजन-प्रसाद और विविध सुविधाएं..
पुरी रथ यात्रा 2025 के अवसर पर अदाणी समूह ने ‘सेवा ही साधना है’ के मंत्र को आत्मसात करते हुए इस्कॉन और स्थानीय संगठनों के सहयोग से सेवा कार्य की एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है। इस पहल के अंतर्गत लगभग 40 लाख श्रद्धालुओं को भोजन एवं पेयजल की व्यवस्था सहित कई सामाजिक सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
जगन्नाथ रथ यात्रा में सेवा यात्रा का विस्तार
प्रयागराज महाकुंभ में सेवा देने के बाद अब अदाणी समूह ने अपनी सेवा यात्रा को ओडिशा के पुरी शहर तक विस्तारित कर दिया है। भारत की प्रमुख धार्मिक परंपराओं में से एक पुरी रथ यात्रा में इस बार भी लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से भाग लेंगे। 26 जून से 8 जुलाई तक चलने वाली इस नौ दिवसीय यात्रा के दौरान अदाणी समूह श्रद्धालुओं और प्रशासन की सहायता हेतु कई योजनाएं संचालित कर रहा है।
प्रमुख सेवाएं
- यात्रा मार्ग में विभिन्न स्थानों पर निशुल्क भोजन केंद्रों की स्थापना
- गर्मी से राहत देने हेतु ठंडे पेयजल के स्टॉल
- पुरी बीच लाइफगार्ड महासंघ को सहयोग
- समुद्र तटों पर सफाई अभियान और प्लास्टिक कचरा हटाने के लिए स्वयंसेवकों की तैनाती
- नगर निगम कर्मचारियों को फ्लोरोसेंट जैकेट प्रदान
- स्वयंसेवकों को मुफ्त टी-शर्ट, रेनकोट, छाते व टोपी
सांस्कृतिक सेवा में समर्पित दृष्टिकोण
यह सेवा अभियान अदाणी समूह, पुरी जिला प्रशासन, इस्कॉन और स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं के संयुक्त प्रयास से संचालित किया जा रहा है। अदाणी फाउंडेशन पूर्व से ही ओडिशा में ग्रामीण स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका जैसे क्षेत्रों में कार्यरत है।
अदाणी समूह का यह प्रयास केवल एक कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व नहीं बल्कि भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों से प्रेरित एक सेवा भावना का परिचायक है। यह पहल किसी प्रचार से अधिक, भारतीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जीवन में सार्थक भागीदारी का प्रतीक मानी जा रही है।
महाकुंभ में भी निभाई थी अहम भूमिका
जनवरी में महाकुंभ के दौरान अदाणी समूह ने इस्कॉन और गीता प्रेस के साथ मिलकर भंडारे और तीर्थसेवा का आयोजन किया था। स्वयं गौतम अदाणी ने 21 जनवरी को सेवा कार्यों में भाग लिया था। अब पुरी रथ यात्रा में भागीदारी के साथ समूह एक ऐसा विकास मॉडल प्रस्तुत कर रहा है, जो संस्कृति, समुदाय और करुणा पर आधारित है।
इस सेवा व्यवस्था की तैयारियां कई माह पूर्व से शुरू हो चुकी थीं। अधिकतर स्वयंसेवक अदाणी समूह से जुड़े या स्थानीय समुदाय से हैं, और संचालन की ज़िम्मेदारी उन लोगों के हाथों में है जो वर्षों से इन सेवाओं से जुड़े हुए हैं।
(प्रस्तुति -त्रिपाठी किसलय इन्द्रनील)