Friday, August 8, 2025
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Sanjeev Kumar: राजेश खन्ना की चालाकी ने बरबाद कर दी हेमा मालिनी की मोहब्बत की दुनिया

Sanjeev Kumar का आज जन्मदिवस है जो याद दिलाता है उनके कुंवारे रहने के फैसले का और उनके दिल की टूटन की..

Sanjeev Kumar का आज जन्मदिवस है जो याद दिलाता है उनके कुंवारे रहने के फैसले का और उनके दिल की टूटन की..

उस दिन हेमा मालिनी को जब राजेश खन्ना की चालाकी का आभास हुआ तो वो दंग रह गई। हेमा जी राजेश खन्ना के बहुत रिक्वेस्ट करने पर उनके साथ उस प्रोग्राम में आ तो गई थी। लेकिन उन्हें ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि राजेश खन्ना ने वास्तव में क्या गेम खेला है। उन्होंने चुपके से संजीव कुमार को देखा। वो जान चुकी थी कि संजीव कुमार का दिल टूट गया है। लेकिन वो फिर भी राजेश खन्ना से ये सवाल करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी कि उन्होंने ऐसा क्यों किया?
साथियों किस्सा टीवी की आज की पेशकश समर्पित है भारतीय सिनेमा के बहुत महान अदाकार संजीव कुमार जी को। आज संजीव कुमार जी का जन्मदिवस है। साल 1938 में आज ही के दिन, 9 जुलाई को संजीव कुमार जी जन्मे थे। इस लेख में हम हेमा मालिनी व संजीव कुमार की प्रेम कहानी के शुरू होने और खत्म होने की कहानी जानेंगे। इस कहानी का ज़िक्र हमें मिलता है “एन एक्टर्स एक्टर: एन ऑथोराइज़्ड बायोग्राफ़ी ऑफ़ संजीव कुमार” नामक पुस्तक में, जिसे हनीफ़ ज़वेरी व सुमंत बत्रा ने मिलकर लिखा है।
बहुत अच्छी किताब है। मेरे पास मौजूद है। संजीव कुमार जी के जीवन से जुड़ी बहुत सारी रोचक बातें इस पुस्तक में बताई गई हैं। अंग्रेजी में ये पुस्तक ऑनलाइन उपलब्ध है। आप भी चाहें तो इसे खरीद सकते हैं। महान संजीव कुमार जी को नमन करते हुए, चलिए ये कहानी शुरू करते हैं। हालांकि मैं ये बात भी कहना चाहूंगा कि इसे कहानी की तरह ही पढ़िएगा। किसी को लेकर कोई राय ना बनाइएगा। इंसान की शख्सियत के कई रूप होते हैं। और कई दफ़ा कुछ रूप हर किसी को पसंद नहीं आते। फिर ये बात तो हम सभी के साथ है। है ना जी? चलिए कहानी शुरू करते हैं।
जब रमेश सिप्पी ने हेमा जी को सीता और गीता फ़िल्म में काम करने को कहा तो हेमा जी ज़रा सकुचाने लगी। उन्हें लग रहा था कि लैजेंडरी दिलीप कुमार के राम और श्याम जैसे किरदार के साथ वो भला न्याय कहां कर सकेंगी? लेकिन रमेश सिप्पी ने ये कहकर हेमा जी को सीता और गीता फ़िल्म में काम करने के लिए राज़ी कर लिया कि ऑडियंस उनकी और दिलीप कुमार की तुलना कतई नहीं करने वाले हैं।
सीता और गीता की जुड़वा बहनों के लिए हीरोज़ की तलाश करना भी रमेश सिप्पी के लिए एक चुनौती थी। मगर संजीव कुमार व धर्मेंद्र सीता और गीता फ़िल्म में काम करने के लिए तैयार हो गए। वैसे तो इस समय तक ये दोनों ही बड़े स्टार बन चुके थे। लेकिन सीता और गीता चूंकि एक हीरोइन ओरिएन्टेड फ़िल्म थी तो पहले रमेश सिप्पी को लग रहा था कि शायद ये दोनों इस फ़िल्म में काम करने को तैयार ना हों। फ़िल्म में दोनों हीरोज़ के सीन भी कम थे। लेकिन जो सीन्स थे, वो पावरफ़ुल थे। इसी वजह से धर्मेंद्र व संजीव कुमार सीता और गीता में काम करने को तैयार भी हुए थेे।
जब महाबलेश्वर में सीता और गीता के गाने “हवा के साथ साथ” की शूटिंग चल रही थी, उस वक्त हेमा मालिनी व संजीव कुमार की जान पहचान हुई थी। उस गाने में ये दोनों स्केटिंग करते दिखते हैं। पर चूंकि ये दोनोें ही स्केटिंग के मामले में अनाड़ी थे, तो गाना शूट करते वक्त कई दफ़ा दोनों गिरे थे। और इन्हें गिरता देख सबका हंस-हंसकर बुरा हाल हो जाता था। आखिरकार रमेश सिप्पी ने बड़ी चतुराई से हेमा व संजीव कुमार पर स्केटिंग वाला वो गाना शूट किया।
हालांकि वो गाना फ़िल्माते हुए एक दुर्घटना भी हो गई थी। जिस ट्रॉली पर संजीव कुमार व हेमा मालिनी को बैठाया गया था, वो पलट गई थी। वो दुर्घटना बड़ी हो सकती थी। क्योंकि जिस जगह वो ट्रॉली पलटी थी वहां पास ही गहरी खाई भी थी। लेकिन किस्मत से हेमा मालिनी व संजीव कुमार खाई में ना गिरकर साइड में मौजूद झाड़ियों पर गिरे। और छोटे कट्स व घावों के अलावा कोई बड़ी चोट इन्हें नहीं लगी थी। वास्तव में यही वो घटना थी जो संजीव कुमार और हेमा मालिनी को नज़दीक ले आई थी।
जब हेमा मालिनी और संजीव कुमार ने उस हादसे के बाद किसी तरह खुद को संभाला तो वो अपनी कम, एक-दूसरे की फ़िक्र ज़्यादा कर रहे थे। बहुतों का मानना है कि यही वो पल था जब इन दोनों के मन में एक-दूजे के लिए फ़ीलिंग्स डेवलप होनी शुरू हुई थी। यानि संजीव कुमार एक बार फिर से इश्क में पड़ गए थे। और वो हेमा जी से शादी करने को लेकर बहुत गंभीर थे। लेकिन एक बार फिर से, संजीव कुमार जी की मां शांताबेन ने उनके इस रिश्ते पर आपत्ति जताई।
दरअसल, शांताबेन नहीं चाहती थी कि कोई हीरोइन उनके घर की बहू बने। ये बात जब हेमा जी को पता चली तो उन्हें बहुत दुख हुआ। क्योंकि वो बिना दोनों परिवारों की पूर्ण रज़ामंदी के संजीव कुमार से शादी करने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी। उस वक्त संजीव कुमार जी ने हेमा जी को भरोसा दिया कि फ़िक्र करने की कोई बात नहीं है। उनकी मां आखिरकार मान ही जाएंगी। ऐसा हुआ भी। हेमा जी ने अपने व्यवहार से संजीव कुमार जी की मां शांताबेन का दिल जीत लिया। और शांताबेन ने उन्हें बहू के रूप में स्वीकारने की हामी भर दी।
हेमा जी भी इस समय तक एक सफ़ल एक्ट्रेस बन चुकी थी। लेकिन वो जब भी शांताबेन से मिलती थी, अपने सिर को पल्लू से ढक लेती थी। और बहुत सम्मान से शांताबेन के पैर छूती थी। धीरे-धीरे हेमा मालिनी जरीवाला खानदान का एक हिस्सा सा बनने लगी। हेमा मालिनी और संजीव कुमार के करीबी दोस्तों का मानना था कि ये दोनों तो एक-दूजे के लिए ही बने हैं।
एक दिन हेमा जी का जन्मदिन आया। वो तब मद्रास में थी। उन्होंने मद्रास से ही संजीव कुमार के घर फ़ोन किया और उनकी मां से बात की। हेमा जी ने शांताबेन से कहा,”माताजी, आज मेरा जन्मदिन है। आप मुझे आशीर्वाद दीजिए।” उस दिन बहुत देर तक हेमा जी ने फोन पर संजीव कुमार जी की मां से बात की थी। संजीव कुमार जी की बहन गायत्री पटेल जी ने बताया था कि हेमा मालिनी उनकी मां का बहुत सम्मान करती थी। जब भी वो विदेश में कहीं जाती थी तो मां के लिए कुछ ना कुछ ज़रूर लाती थी। और जब भी संजीव कुमार व शांताबेन मद्रास जाते थे तो हेमा उनका बहुत ख्याल रखती थी।
हेमा मालिनी से पहले भी संजीव कुमार जी का कुछ एक्ट्रेसेज़ संज अफ़ेयर चला था। लेकिन उन सभी को शांताबेन ने रिजेक्ट कर दिया था। हेमा इकलौती एक्ट्रेस थी जिन्हें अपनी बहू के रूप में स्वीकार करने के लिए शांताबेन राज़ी हुई थी। तो जब हेमा मालिनी और संजीव कुमार के रिश्ते में सबकुछ इतना अच्छा चल रहा था, फिर उनका अलगाव क्यों हो गया? ये सवाल उठना लाज़िमी है। और इसके बारे में हनीफ़ ज़वेरी व सुमंत बत्रा द्वारा लिखित संजीव कुमार जी की बायोग्राफ़ी में बताया गया है कि भले ही संजीव कुमार कैमरे के सामने बहुत बोल लेते हों। लेकिन असल ज़िंदगी में वो एकदम उलट इंसान थे। वो बड़े ऑकवर्ड और शर्मीले इंसान थे रियल लाइफ़ में। और उनकी शख्‍सियत का यही पहलू हेमा जी से उनके अलगाव की वजह बन गया।
संजीव कुमार जी की बहन गायत्री पटेल जी ने बताया था कि एक बार हेमा व संजीव कुमार के बीच कुछ झगड़ा चल रहा था। गायत्री जी ने संजीव कुमार जी से उस बारे में बात करनी चाही। मगर संजीव कुमार जी ने बात करने से इन्कार कर दिया। हालांकि गायत्री जी को ये अहसास ज़रूर हो गया था कि कुछ बड़ी बात है। क्योंकि संजीव हेमा से बात नहीं कर रहे थे। इसी दौरान हेमा जी का एक डांस शो आया। हेमा जी ने संजीव कुमार जी की फ़ैमिली को भी उस शो के लिए इनवाइट किया। गायत्री पटेल जी व उनके पति उस डांस शो पर गए भी। मगर कहने के बाद भी संजीव कुमार नहीं गए। उन्होंने इन्कार कर दिया।
जब शो खत्म हुआ तो हेमा जी गायत्री जी से मिलने आई। वो बहुत परेशान लग रही थी। हेमा जी ने गायत्री जी से कहा कि उन्हें नहीं पता कि हुआ क्या है। क्यों संजीव उनसे बात नहीं कर रहे हैं। हेमा जी ने गायत्री जी से कहा कि वो संजीव से बात करके उन्हें बताए कि मामला क्या है। मगर गायत्री जी वैसा कर नहीं सकी। क्योकि संजीव कुमार अपने रिलेशनशिप्स की बातें उनसे नहीं करते थे। आखिरकार संजीव कुमार जी के घरवालों ने तय किया कि वो हेमा का हाथ मांगने मद्रास उनके घर जाएंगे।
संजीव कुमार जी की मां शांताबेन जब हेमा जी के घर पहुंची तो रिवाज के मुताबिक़, वो अपने साथ तोहफ़े में बहुत सी मिठाइयां भी ले गई। हेमा जी की मां जया चक्रवर्ती भी संजीव कुमार की फ़ैमिली से मिलकर बहुत खुश हुई। संजीव कुमार गुजराती थे। जबकी हेमा जी मद्रासी। दोनों परिवारों का कल्चर एकदम अलग था। लेकिन इससे किसी को कोई परेशानी नहीं थी। परेशानी हुई हेमा जी के करियर को लेकर।
सालों बाद पत्रकार भावना सोमाया को दिए एक इंटरव्यू में हेमा मालिनी जी ने बताया था कि मेरी मां मुझे ज़िंदगी की हर वो चीज़ देना चाहती थी, जो उन्हें को कभी नहीं मिली थी। बकौल हेमा जी, उन्हें कलाकार बनाना उनकी मां के लिए किसी भक्ति या तपस्या की तरह था। इसलिए वो किसी सूरत में भी नहीं चाहती थी कि शादी करने के बाद हेमा काम करना छोड़ दें। इसलिए जब संजीव कुमार जी की मां हेमा जी का हाथ मांगने हेमा जी के घर गई थी तब हेमा जी की मां जया चक्रवर्ती ने उनसे साफ़ साफ़ कहा था,”मुझे बहुत अच्छा लगा कि आप मेरी बेटी को अपने घर की बहू बनाना चाहती हैं। लेकिन मेरी एक ही शर्त है। शादी के बाद भी हेमा फ़िल्मों में काम करती रहेगी।”
जरीवाला परिवार के लिए ये शर्त स्वीकार करना नामुमकिन था। शांताबेन ही नहीं, खुद संजीव कुमार भी शुरू से यही चाहते थे कि शादी के बाद हेमा फ़िल्मों में काम नहीं करेगी। संजीव कुमार जी की बहन गायत्री पटेल जी ने तो ये तक कहा था कि खुद हेमा मालिनी ने संजीव कुमार से वादा किया था कि वो बस अपने मौजूदा प्रोजेक्ट्स कंप्लीट करेगी। और फिर फ़िल्मी दुनिया छोड़ देगी। लेकिन जब हेमा जी की मां ने अपना फ़ैसला सुना दिया तो हेमा जी उसके खिलाफ़ नहीं जा सकी। हेमा जी तब हाइएस्ट पेड एक्ट्रेस थी। इसलिए वो समझ रही थी कि क्यों उनकी मां नहीं चाहती कि वो फ़िल्मों में काम करना छोड़ दें।
हेमा जी को उम्मीद थी कि आखिरकार संजीव कुमार एक दिन उनके पास आएंगे और कहेंगे कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। वो चाहें तो शादी के बाद भी फ़िल्मों में काम करते रहना जारी रख सकती हैं। दूसरी तरफ़ संजीव कुमार सोच रहे थे कि हेमा अपनी मां को मना लेगी और शादी के बाद फ़िल्मों में काम नहीं करेगी। दोनों के बीच बातचीत आगे भी होती रही। लेकिन संजीव कुमार के लिए हेमा जी को समझना मुश्किल होता जा रहा था।
दूसरी तरफ़ हेमा जी की स्थिति भी बहुत परेशान करने वाली हो रही थी। वो अपनी मां और संजीव कुमार, दोनों की ज़िदों के बीच पिस रही थी। आखिरकार हेमा जी ने संजीव कुमार से कहा कि फिलहाल संजीव उन्हें फ़िल्मों में काम करने दें। जब रिश्ता होगा तो ये खबर फ़िल्म इंडस्ट्री में भी फ़ैलेगी। और फिर प्रोड्यूसर्स उन्हें साइन करना खुद ही बंद कर देंगे। तब वो आराम से संजीव कुमार का घर और परिवार संभाल लेंगी। लेकिन संजीव कुमार इसके लिए भी तैयार नहीं हुए।
इसी बीच किसी तरह राजेश खन्ना को संजीव कुमार और हेमा मालिनी के डांवाडोल होते रिश्ते की जानकारी मिल गई। और राजेश खन्ना व संजीव कुमार के बीच उन दिनों बहुत ज़्यादा प्रतिद्वंदिता थी। उस प्रतिद्वंदिता की कहानी पर हम एक लेख लिख चुके हैं। कोई पढ़ना चाहे तो कमेंट करके बताइएगा, फिर से शेयर कर देंगे। वो भी पढ़ने लायक है। तो खैर, राजेश खन्ना जी को एक खुराफ़ात सूझ गई।
उन दिनों इंडियन नेशनल थिएटर यानि आईएनटी के जनरल सेक्रेटरी हुआ करते थे दामू ज़वेरी। दामू ज़ेवरी ने उसी दौरान मुंबई के स्टर्लिंग सिनेमा में एक हॉलीवुड फ़िल्म का प्रीमियर रखा था, जिस दौरान हेमा मालिनी और संजीव कुमार का रिश्ता बहुत बुरे दौर से गुज़र रहा था। दामू ज़वेरी ने वो प्रीमियर फंड रेज़र के तौर पर रखा था। और दामू ज़वेरी ने राजेश खन्ना व संजीव कुमार, दोनों को प्रीमियर में इनवाइट किया। उन दिनों राजेश खन्ना शर्मिला टैगोर के साथ किसी फ़िल्म की शूटिंग कर रहे थे। तो ऑर्गनाइज़र्स ने राजेश खन्ना से शर्मिला टैगोर को साथ लाने को कहा। और संजीव कुमार से हेमा जी को साथ लाने की गुज़ारिश की।
राजेश खन्ना जानते थे कि संजीव कुमार को भी न्यौता मिला है। लेकिन संजीव कुमार नहीं जनते थे कि राजेश खन्ना को भी उस प्रीमियर में शामिल होने के लिए बुलाया गया है। प्रीमियर वाले दिन संजीव कुमार जल्दी ही पहुंच गए। सभी खास लोगों के लिए स्टेज पर कुर्सियां लगवाई गई थी। कार्यक्रम के संचालनकर्ता ने संजीव कुमार जी से उनकी सीट पर आकर बैठने को कहा। संजीव कुमार बैठ भी गए। दर्शक भी आने लगे थे।
लेकिन तभी लोगों ने दबी आवाज़ में कुछ बोलना शुरू कर दिया। और सब लोग ऑडिटोरियम की तरफ़ देखने लगे। संजीव कुमार ने भी ये जानने के लिए, कि लोग आखिर क्यों बुदबुदा रहे हैं, किसे देख रहे हैं, ऑडिटोरियम की तरफ़ देखा। उन्हें बहुत तगड़ा शॉक लगा। राजेश खन्ना हेमा मालिनी का हाथ अपने हाथों में लिए चले आ रहे हैं। दोनों चलते हुए आए और सिनेमा घर की पहली रॉ में ऑडियन्स की तरह आकर बैठ गए।
हेमा मालिनी को राजेश खन्ना के साथ देखकर संजीव कुमार ने बहुत अपमानित महसूस किया। जबकी उन्हें स्टेज पर देखकर हेमा जी भी बहुत शॉक्ड थी। हेमा जी को राजेश खन्ना और संजीव कुमार जी के बीच की प्रतिद्वंदिता के बारे में तब तक कुछ पता नहीं था। वो बस राजेश खन्ना के रिक्वेस्ट करने पर उस प्रीमियर में शामिल होने उनके साथ चली आई थी। लेकिन उस दिन हेमा जी राजेश खन्ना का गेम समझ गई।
हेमा जी को अहसास था कि संजीव कुमार को बहुत बुरा लगा है। लेकिन वो फिर भी राजेश खन्ना से ये सवाल करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी कि उन्होंने ऐसा क्यों किया? संजीव कुमार स्टेज से उतरे और एक दूसरी लाइन में, हेमा मालिनी व राजेश खन्ना से काफ़ी दूर जाकर बैठ गए। उस पूरे शो के दौरान इन तीनों में से किसी ने भी आपस में बात नहीं की। वो प्रोग्राम खत्म होने के बाद दिल टूटे संजीव कुमार ने अपने कुछ खास दोस्तों को उस पूरे वाकये की जानकारी दी।
संजीव कुमार के दोस्तों ने उन्हें समझाने की कोशिश की, कि राजेश खन्ना ने जानबूझकर तुम्हें अपमानित करने के लिए ये सब किया है। हेमा का इसमें कोई दोष नहीं है। लेकिन वो अपमान संजीव कुमार के दिल को ठेस पहुंचा चुका था। बहुत गहरी ठेस। वो रातभर बेचैन रहे। ज़रा भी नहीं सो पाए। अगले दिन वो अनामिका फ़िल्म के गीत “बाहों में चले आओ” की शूटिंग करने एस.डी.बर्मन के बंगले पर पहुंच गए। शूटिंग वहीं होनी थी। और हीरोइन थी उनकी जया भादुड़ी।
संजीव कुमार ने हर शॉट परफ़ेक्टली शूट किया। लेकिन हर शॉट के बाद उनके चेहरे पर एक डार्कनैस सी छा जाती। वो अपना दुख, अपने आंसू छिपाने की कोशिश कर रहे थे। जया भादुड़ी ने ये बात नोटिस कर ली कि संजीव कुमार अपसेट हैं। उस दिन को याद करते हुए जया जी ने एक दफ़ा एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने उस दिन संजीव कुमार को हंसाने की बहुत कोशिश की। मगर वो असफ़ल रही। आखिरकार लंच ब्रेक के दौरान संजीव कुमार जी ने जया भादुड़ी जी को पूरी बात बताई। जया भादुड़ी को भी बड़ी हैरत हुई। उनकी हैरत की वजह ये थी कि इमोशनली इतना टूटा हुआ इंसान आखिर काम कैसे कर पा रहा है?
लंच खत्म होने के बाद जब फिर से शूटिंग शुरू हुई तो संजीव कुमार की बातें सुनकर शॉक्ड हुई जया भादुड़ी भी एक्टिंग नहीं कर पा रही थी। लेकिन संजीव कुमार जी ने जया जी को समझाया कि हमें अपने काम पर ध्यान लगाना चाहिए। क्योंकि कलाकार होने के नाते हमारी पहली ड्यूटी ये है कि हमें जो किरदार दिया गया है, हम उसे अच्छी तरह से निभाएं। हमारी पर्सनल लाइफ़ से ऑडियंस का कुछ लेना देना नहीं है। जया जी ने कहा था कि अपने काम को लेकर संजीव कुमार कितने डैडिकेटेड रहते थे, उस दिन इसकी पहली झलक उन्होंने देखी थी।
उस प्रीमियर वाली घटना के बाद से ही हेमा मालिनी संजीव कुमार के घर बार-बार फ़ोन कर रही थी। लेकिन संजीव कुमार उन्हें इग्नोर कर रहे थे। उनसे बात ही नहीं कर रहे थे। आखिरकार हेमा मालिनी संजीव कुमार से बात करने सीधे उनके घर पेरिन विला पहुंच गई। उस दिन संजीव कुमार व हेमा मालिनी के बीच राजेश खन्ना, करियर और शादी को लेकर काफ़ी बात हुई। काफ़ी देर तक बात करने के बाद आखिरकार संजीव कुमार ने हेमा मालिनी से सीधे-सीधे पूछा कि क्या वो शादी के बाद फ़िल्मों में काम करना बंद करेंगी?
हेमा जी ने कहा कि वो अपना करियर नहीं छोड़ सकती। तब संजीव कुमार ने हेमा जी से कहा कि ठीक है, फिर तुम मुझे हमेशा के लिए छोड़ दो। ये बोलकर संजीव कुमार उस कमरे को छोड़कर चले गए जहां बैठकर वो और हेमा जी बातें कर रहे थे। हेमा जी को यक़ीन नहीं हो रहा था कि संजीव कुमार के साथ उनका रिश्ता खत्म हो गया। और सबसे बड़ी बात, इस तरह से खत्म हुआ। वो कुछ देर और वहीं पर स्तब्ध हुई बैठी रही। फिर जब उन्हें अहसास हुआ कि अब इससे ज़्यादा और कुछ नहीं हो सकता, तब वो भी संजीव कुमार के घर से चली गई। और यूं संजीव कुमार व हेमा मालिनी की प्रेम कहानी का दुखद अंत हो गया।

(अज्ञात वीर)

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