Friday, August 8, 2025
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Homeधर्म- ज्योतिषMahadev: आख़िर 46 साल तक क्यों नहीं हुआ भोलेनाथ का जलाभिषेक?

Mahadev: आख़िर 46 साल तक क्यों नहीं हुआ भोलेनाथ का जलाभिषेक?

Mahadev: जानिए संभल के कार्तिकेय महादेव मंदिर की पूरी कहानी यहाँ पर..

Mahadev: जानिए संभल के कार्तिकेय महादेव मंदिर की पूरी कहानी यहाँ पर..

उत्तर प्रदेश के सभल क्षेत्र में इस बार सावन का महीना उत्तर प्रदेश के संभल जिले के लिए बेहद खास होने वाला है। यहां कार्तिकेय महादेव मंदिर में पूरे 46 साल बाद भोलेनाथ का जलाभिषेक होने जा रहा है। यह खबर जैसे ही सामने आई, पूरे क्षेत्र में श्रद्धा और उत्साह की लहर दौड़ गई।

क्यों 46 साल तक नहीं हुआ जलाभिषेक?

दरअसल, हाल ही में हरिहर मंदिर को लेकर हुए एक सर्वे और उसके बाद हुई हिंसा के चलते पुलिस-प्रशासन ने इलाके में अभियान चलाया। उसी दौरान 46 साल से बंद पड़ा कार्तिकेय महादेव मंदिर सामने आया। यह मंदिर खग्गू सराय क्षेत्र में स्थित है। मंदिर का शिवलिंग बरसों से छिपा था, लेकिन अब इसे खोल दिया गया है और इस साल सावन में यहां पहली बार भक्त जलाभिषेक कर पाएंगे।
मंदिर में हो रही हैं बड़ी तैयारियां

श्रावण महीने की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से हो रही है। इसके लिए प्रशासन ने कांवड़ यात्रा मार्गों पर व्यापक तैयारियां की हैं। जैसे:

सड़कों की मरम्मत

पानी और बिजली की व्यवस्था

सुरक्षा बलों की तैनाती

सीसीटीवी कैमरों से निगरानी

मंदिर परिसर में आरआरएफ (Rapid Response Force) के जवानों को भी तैनात किया गया है ताकि श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को सुरक्षित और व्यवस्थित ढंग से संभाला जा सके।

क्या है कांवड़ यात्रा का महत्व?

सावन के महीने में शिव भक्त पवित्र नदियों से जल भरकर कांवड़ में लाते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। यह यात्रा भक्तों की गहरी श्रद्धा, आस्था और भक्ति का प्रतीक होती है। इस साल संभल का कार्तिकेय महादेव मंदिर इस परंपरा का 46 साल बाद फिर से गवाह बनेगा।

प्रशासन की अपील

प्रशासन ने सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि वे कांवड़ यात्रा के दौरान नियमों का पालन करें और शांति बनाए रखें। तकनीकी टीमों और पुलिस बल को सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह अलर्ट रखा गया है।

संक्षेप में कहें तो

46 साल बाद खुला यह प्राचीन मंदिर न सिर्फ संभल बल्कि पूरे प्रदेश के श्रद्धालुओं के लिए एक नई आस्था का केंद्र बनकर उभरा है। इस सावन में यहां होने वाला जलाभिषेक एक ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण होगा।

(प्रस्तुति- त्रिपाठी सुमन पारिजात)

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