WWE Unreal Review: आइये जानें कुछ ख़ास आज WWE के बारे में ..इसमें परदे के पीछे छुपी हैं चौंकाने वाली सच्चाइयां ..
इस फिल्म की रेटिंग है: 4/5 और इसके कलाकार हैं : पॉल लेवेक (ट्रिपल एच), जॉन सीना, सीएम पंक, चेल्सी ग्रीन, बियांका ब्लेयर..इसका निर्देशन किया है एरिक पावर्स, क्रिस वीवर ने .
WWE को हम बचपन से टीवी पर देखते आए हैं – जब भीमकाय रेसलर्स एक-दूसरे को रिंग में पटकते थे, तो हम भी जोश में उछल पड़ते थे। लेकिन धीरे-धीरे पता चला कि ये सब स्क्रिप्टेड होता है। फिर भी, हम इसे अफवाह मानते रहे और रेसलर्स की ताकत और लड़ाई का मजा लेते रहे।
Netflix की डॉक्यूमेंट्री ‘WWE Unreal’ हमारे उसी पुराने क्रश की असलियत से पर्दा उठाती है – पर इतनी खूबसूरती से कि हमारा बचपन और भी खास लगने लगता है।
जब भ्रम टूटा, पर प्यार बना रहा
पहली बार दिल तब टूटा था जब पता चला कि अंडरटेकर और केन असली भाई नहीं हैं। वो सिर्फ किरदार थे। फिर भी मन को समझाया – “कोई बात नहीं, किरदार ही सही, पसंद तो हैं।” पर फिर सुना कि ये फाइट्स भी पहले से तय होती हैं। यकीन करना मुश्किल था।
‘WWE Unreal’ क्या दिखाती है?
ये डॉक्यूमेंट्री WWE की दुनिया के पीछे की हकीकत दिखाती है। हमें ये समझाती है कि जो कुछ हम रिंग में देखते हैं, वो सिर्फ शारीरिक ताकत का नहीं, एक बहुत बड़ी स्क्रिप्टिंग और इमोशनल कहानी का हिस्सा होता है।
कैसे तय होता है कि कौन मैच जीतेगा? कैसे रेसलर्स को हीरो या विलेन बनाया जाता है? कैसे एक-एक इवेंट की योजना महीनों पहले लिखी जाती है? और जब कैमरा बंद होता है, तो वही लड़ाकू रेसलर्स एक-दूसरे से हंसते-गले मिलते हैं, अपनी चोटों के बारे में बात करते हैं।
रियल जज़्बा, असली दर्द
डॉक्यूमेंट्री ये भी दिखाती है कि भले ही नतीजे स्क्रिप्टेड हों, लेकिन चोटें असली होती हैं। हड्डियाँ सच में टूटती हैं, और रेसलर्स अगली बार फिर उसी जुनून से रिंग में उतरते हैं। वे एक्टिंग नहीं, बलिदान कर रहे होते हैं – हमारे लिए।
हीरो के पीछे का इंसान
जब कैमरे से हटकर जॉन सीना, ट्रिपल एच या सीएम पंक अपने परिवार के साथ नजर आते हैं, तो समझ आता है कि ये भी हमारी तरह इंसान हैं। फिर जब इन्हें दुबारा रिंग में सुपरस्टार बनते देखते हैं, तो दिल और भी जुड़ जाता है।
डॉक्यूमेंट्री की खास बातें
पॉल लेवेक (ट्रिपल एच) खुद इस कहानी को सुनाते हैं।
इसमें ‘रॉ’ से लेकर ‘रेसलमेनिया’ तक की पूरी यात्रा को दिखाया गया है।
एडिटिंग इतनी जबरदस्त है कि आप कहानी में पूरी तरह डूब जाते हैं।
‘केफेब’ की दुनिया का पर्दाफाश
WWE जैसे शोज़ को प्रो रेसलिंग की भाषा में “केफेब” कहा जाता है – यानी जो दिख रहा है, वो सच जैसा लगे, लेकिन स्क्रिप्टेड हो। ‘WWE Unreal’ इस भ्रम को तोड़ती है और दिखाती है कि पर्दे के पीछे असली जिंदगी कैसी होती है।
नतीजा? मोह और बढ़ जाता है
इस डॉक्यूमेंट्री को देखकर एक बात तय हो जाती है – चाहे सब कुछ स्क्रिप्टेड हो, पर रेसलर्स का जुनून, उनकी मेहनत और उनका जज़्बा बिलकुल असली है। और इसीलिए हम उन्हें फिर से प्यार करने लगते हैं – पहले से भी ज्यादा।
कुल मिला कर कहा जाए तो
अगर आपने कभी WWE को पसंद किया है, तो ‘WWE Unreal’ देखना आपके लिए एक इमोशनल और शानदार अनुभव होगा। यह सिर्फ पर्दे के पीछे की सच्चाई नहीं दिखाती, बल्कि आपको आपके हीरो से और करीब ले आती है।
(प्रस्तुति – त्रिपाठी सुमन पारिजात)