Pankaj Tripathi अपने दर्शकों और प्रशंसकों का आभार जताते हुए कहते हैं – ”कभी-कभी मुझे ये सब किसी सपने जैसा लगता है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतना चर्चित अभिनेता बनूंगा”..
पत्रकार ने पंकज त्रिपाठी से पूछा कि अगर भगवान आपके सामने आ जाए तो आप उनसे सबसे पहले क्या पूछेंगे? जवाब में पंकज त्रिपाठी ने कुछ पल के लिए सोचा और फिर कहा,”शायद कुछ भी नहीं। ईश्वर को सब बता है। मैं उनसे क्या ही पूंछूंगा या क्या बताऊंगा?
पंकज त्रिपाठी आगे कहते हैं – ”भगवान शायद मुझे देखकर मुस्कुराएंगे और पूछेंगे कि खाना खाया? और मैं भगवान को मुझे मिले नेम फेम और अक्लेम के लिए धन्यवाद कहूंगा। मैंने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि फिल्मी दुनिया के मेरे इस सफर में मुझे इतना प्यार, सम्मान और सराहना मिलेगी। देश के हर हिस्से के लोग आज मुझे जानते हैं। पहचानते हैं और प्यार देते हैं।”
पकंज त्रिपाठी ने आगे कहा,”मैं भगवान का आभार जताऊंगा। और अपनी ऑडियन्स का भी जिन्होंने मुझे समझा और खुले दिल से मुझे स्वीकार किया। कभी-कभी मुझे ये सब किसी सपने जैसा लगता है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतना चर्चित अभिनेता बनूंगा।”
आज पंकज त्रिपाठी जी का जन्मदिन है। 05 सितंबर 1976 को बिहार के गोपालगंज ज़िले के बरौली कस्बे के बेलसंद गांव में रहने वाले एक किसान परिवार में पंकज त्रिपाठी का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम बनारस तिवारी और मां का नाम हेमवंती तिवारी है। चार भाई-बहनों में पंकज त्रिपाठी सबसे छोटे हैं। चलिए, इनके बारे में और कुछ बातें भी जानते हैं।
स्टार बनने के बाद पंकज त्रिपाठी एक दफा एक बच्ची की जन्मदिन पार्टी में शामिल होने अपने गांव गए थे। जिस घर में जन्मदिन पार्टी थी वो पंकज त्रिपाठी के गांव के एक दूसरे कोने पर था। जबकी पंकज त्रिपाठी का घर उसके अपोज़िट, एक अलग कोने में है।
वहां से जब पंकज त्रिपाठी अपने घर लौटे तो उस वक्त तक रात के ग्यारह बज चुके थे। गांवों में रात ग्यारह बजे का वक्त बहुत रात मानी जाती है। जब पंकज त्रिपाठी अपने घर के दरवाज़े के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा कि 10 बच्चे उनके दरवाज़े पर खड़े थे। वो बच्चे उनके गांव के भी नहीं थे। पंकज त्रिपाठी ने जब उनसे बात की तो पता चला तो बहुत दूर से आए थे।
वो बच्चे वहां से तीस किलोमीट दूर एक गांव से आए थे। पंकज जी को उनकी बड़ी फिक्र हुई। उन्होंने सोचा कि अब इतनी रात को ये बच्चे वापस अपने घर कैसे जाएंगे? पंकज ने उनसे पूछा कि वो लोग इतनी रात को इतनी दूर आए ही क्यों?
उन बच्चों ने जवाब दिया,”जब हमें पता चला कि आप आए हैं तो हम आपसे मिलने आ गए।” पकंज त्रिपाठी ने इस घटना का ज़िक्र करते हुए एक दफा कहा था कि उन्हें उन बच्चों पर बड़ा प्यार आया। और ये सोचकर बहुत अच्छा लगा कि लोग अब उनसे मिलने, उनकी एक झलक देखने या उनके साथ सेल्फी लेने के लिए मीलों दूर से चलकर आ जाते हैं।
पंकज त्रिपाठी अपने गांव के मेले में होने वाली नौटंकी में हिस्सा लेते थे। वहां वो एक लड़की का किरदार निभाते थे। गांव वालों को इन्हें उस किरदार में देखकर बड़ा मज़ा आता था। लेकिन इनके घरवालों को वो सब ज़रा भी पसंद नहीं था। लेकिन वास्तव में उन्हीं गांव की नौटंकियों में पंकज त्रिपाठी के भीतर एक एक्टर ने जन्म लिया था।
एक इंटरव्यू में पंकज त्रिपाठी ने कहा था कि जब वो 10वीं में थे तब उनके पिताजी एक ट्रैक्टर खरीदना चाहते थे। लेकिन पैसों की कमी के चलते खरीद नहीं सके। अगर तब पिताजी ट्रैक्टर खरीद लेते तो शायद पंकज त्रिपाठी कभी एक्टर ना बन पाते। वो खेती ही करते।
पंकज त्रिपाठी के पसंदीदा एक्टर हैं मनोज बाजपेयी। साल 1998 में जब सत्या रिलीज़ हुई थी तब पंकज जी को पता चला था कि मनोज बाजपेयी भी बिहार के ही हैं और उनके गांव से बहुत ज़्यादा दूर मनोज बाजपेयी का गांव नहीं है। उस वक्त पंकज त्रिपाठी ने सोचा था कि अगर पास के एक गांव का लड़का मुंबई जाकर एक्टर बन सकता है तो वो भी एक्टर बन सकते हैं। फिर तो पंकज एक्टर बनने का अपना ख्वाब पूरा करने के लिए जी जान से मेहनत करने लगे। उन्होंने NSD दिल्ली में दाखिले की कोशिश की। मगर दो दफा वो असफल रहे। किस्मत से तीसरे प्रयास में उन्हें NSD में दाखिला मिल गया।
(प्रस्तुति -अज्ञातवीर)