Tuesday, October 21, 2025
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Skyfall: बना ली Russia ने दुनिया की सबसे खतरनाक परमाणु मिसाइल – US डिफेंस सिस्टम भी होगा बेबस

Skyfall: यह हथियार दुनिया के सैन्य संतुलन को बदल सकता है, लेकिन इसके साथ रेडिएशन का खतरा भी जुड़ा है..

Skyfall: यह हथियार दुनिया के सैन्य संतुलन को बदल सकता है, लेकिन इसके साथ रेडिएशन का खतरा भी जुड़ा है..

रूस ने बुरेवेस्तनिक (Skyfall) नाम की एक खास परमाणु ऊर्जा से चलने वाली क्रूज मिसाइल तैयार की है। यह मिसाइल असीमित दूरी तक उड़ सकती है और परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता रखती है। रूस का दावा है कि यह अमेरिकी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भी चकमा दे सकती है। साल 2025 में इसके नए टेस्ट चल रहे हैं। यह हथियार दुनिया के सैन्य संतुलन को बदल सकता है, लेकिन इसके साथ रेडिएशन का खतरा भी जुड़ा है। रूस कह रहा है कि इसे डिटरेंस (यानी दुश्मन को रोकने) के लिए बनाया जा रहा है।

बुरेवेस्तनिक क्या है?

यह एक क्रूज मिसाइल है, लेकिन सामान्य मिसाइलों से अलग। इसमें एक छोटा परमाणु रिएक्टर लगाया गया है, जो इसे असीमित रेंज देता है। आम मिसाइलें ईंधन खत्म होने पर रुक जाती हैं, लेकिन यह हफ्तों या महीनों तक लगातार उड़ सकती है।

नाम का मतलब: बुरेवेस्तनिक का अर्थ रूसी भाषा में “स्टॉर्म पेट्रेल” यानी तूफानी पक्षी होता है, जिसे खतरे का संकेत माना जाता है।

आकार और गति: यह Kh-101 मिसाइल जितनी बड़ी है और लगभग 1,000 किमी/घंटा की रफ्तार से उड़ती है। यह सिर्फ 50-100 मीटर की ऊंचाई पर उड़ सकती है, जिससे रडार इसे पकड़ नहीं पाते।

हथियार: इसमें परमाणु वारहेड लगाया जा सकता है, जो बहुत बड़े विस्फोट की क्षमता रखता है।

यह इतिहास की पहली ऐसी मिसाइल है, जो परमाणु प्रोपल्शन से चलती है। रूस का कहना है कि यह अमेरिका और नाटो के किसी भी डिफेंस सिस्टम को बेअसर कर सकती है।

बुरेवेस्तनिक कैसे काम करता है?

साधारण क्रूज मिसाइलें जेट इंजन से उड़ती हैं, लेकिन बुरेवेस्तनिक में परमाणु रिएक्टर हवा को गर्म करता है और वही हवा फैलकर इसे आगे धकेलती है।

अनलिमिटेड रेंज: यह पृथ्वी की कई बार परिक्रमा कर सकती है। इसकी रेंज 20,000 किमी या उससे भी ज्यादा बताई जाती है।

ट्रैजेक्टरी बदलने की क्षमता: यह उड़ते-उड़ते रास्ता बदल सकती है, ऊंचाई कम रख सकती है और दुश्मन की डिफेंस लाइन से बच सकती है। अमेरिकी THAAD और Aegis सिस्टम इसे पकड़ने में नाकाम हो सकते हैं।

खतरा: अगर यह दुर्घटनाग्रस्त हो जाए, तो रेडियोएक्टिव रिसाव हो सकता है। इसलिए इसे “फ्लाइंग चेर्नोबिल” कहा जाता है।

विकास की कहानी और चुनौतियां

रूस ने 2000 के दशक में इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। 2016 से अब तक लगभग 13 टेस्ट हुए, लेकिन सिर्फ 2 आंशिक रूप से सफल रहे। 2019 में आर्कटिक टेस्ट के दौरान धमाका हुआ, जिसमें 5 रूसी वैज्ञानिक मारे गए। 2023 में पुतिन ने सफल फाइनल टेस्ट का दावा किया।

बड़ी चुनौती है छोटे और सुरक्षित परमाणु रिएक्टर का निर्माण, रेडिएशन कंट्रोल और क्रैश से बचाव। अमेरिका ने भी 1950–60 के दशक में ऐसा प्रोजेक्ट (SLAM) शुरू किया था, लेकिन रेडिएशन खतरे के कारण उसे बंद कर दिया गया।

2025 की टेस्टिंग और तैयारियां

मुख्य टेस्ट साइट नोवाया ज़ेमल्या (आर्कटिक द्वीपसमूह) है, जहां पनकोवो रेंज में जुलाई-अगस्त 2025 में गतिविधियां देखी गईं। यहां जहाज, विमान और रेडियोएक्टिव सामग्री हैंडल करने वाले रोसाटॉम के जहाज मौजूद रहे।

दूसरी जगह वोलोग्दा-20 (मॉस्को के उत्तर में) है, जहां 9 लॉन्च पोज़ीशन और न्यूक्लियर वारहेड स्टोरेज बनाए जा रहे हैं। अगस्त 2025 में एयरस्पेस बंद किया गया और अमेरिकी स्निफर प्लेन ने वहां रेडिएशन जांच की। यूक्रेन का कहना है कि रूस यह टेस्ट पुतिन-ट्रंप मीटिंग से पहले अपनी ताकत दिखाने के लिए कर रहा है।

भू-राजनीतिक असर

रूस का कहना है कि यह मिसाइल डिटरेंस स्ट्रैटेजी का हिस्सा है। अमेरिका-नाटो के लिए यह बड़ा खतरा है क्योंकि यह कहीं से भी हमला कर सकती है।

अगर यह सफल होती है, तो न्यू स्टार्ट ट्रीटी (2026 में खत्म होने वाली) और पूरी न्यूक्लियर रणनीति पर असर पड़ सकता है। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह रूस के लिए भी जोखिम भरी है, क्योंकि रेडिएशन से खुद को भी नुकसान पहुंच सकता है।

क्या यह वाकई अजेय है?

बुरेवेस्तनिक रूस की ताकत दिखाने का जरिया है। तकनीकी दिक्कतें और रेडिएशन का खतरा इसे खतरनाक और असुरक्षित बनाते हैं।2025 के नए टेस्ट से यह साफ है कि रूस इसे जल्दी ऑपरेशनल बनाना चाहता है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह मिसाइल यूनिक जरूर है, लेकिन बेवकूफ़ी भरी भी हो सकती है।

कुल मिला कर कहा जा सकता है कि यह हथियार न्यूक्लियर बैलेंस बदल सकता है और पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है।

(प्रस्तुति -अर्चना शेरी)

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