Tuesday, October 21, 2025
Google search engine
Homeधर्म- ज्योतिषAcharya Anil Vats presents: प्रभु श्री राम द्वारा शक्तिस्वरूपा दुर्गा की...

Acharya Anil Vats presents: प्रभु श्री राम द्वारा शक्तिस्वरूपा दुर्गा की आराधना

Acharya Anil Vats presents:प्रभु श्री राम द्वारा शक्तिस्वरूपा दुर्गा की आराधना को लेकर कम ही लोगों को कुछ जानकारी है..

Acharya Anil Vats presents:प्रभु श्री राम द्वारा शक्तिस्वरूपा दुर्गा की आराधना को लेकर कम ही लोगों को कुछ जानकारी है..

ब्रह्मवैवर्त पुराण में एक उल्लेख मिलता है –

पूजिता सुरथेनादौ दुर्गा दुर्गतिनाशिनी।
द्वितीया रामचन्द्रेण रावणस्य वधार्थिन।।

अर्थात् सर्वप्रथम सुरथ ने दुर्गतिनाशिनी दुर्गा की पूजा की थी तथा दूसरी बार रावण के वध के लिए रामचन्द्र ने पूजा की थी।

बंग्ला भाषा में कृतिवास ओझा कृत रामायण में प्रभु श्री राम द्वारा मां दुर्गा की आराधना का विवरण मिलता है। इसको आधार बनाकर हिंदी के मूर्धन्य कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘ निराला ‘ ने ” राम की शक्ति पूजा ” काव्य की रचना की।

काव्य के कथा-सार पर एक दृष्टि डालते हैं

लंका में श्री राम और रावण का संग्राम अपने चरम पर है। तभी एक दिन युद्ध भूमि में श्री राम का रण-कौशल क्षीण होने लगा । वे जो भी बाण चलाते थे , वह अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाता था। प्रभु श्री राम को बड़ा आश्चर्य हुआ कि ऐसा क्यों हो रहा है ? तब उन्होंने दिव्य-दृष्टि से देखा कि साक्षात् शक्तिस्वरूपा दुर्गा रावण के रथ पर आरूढ़ है।

हम सभी जानते हैं कि रावण ने तप के बल पर महादेव शिव से भी वरदान प्राप्त किया था। और अब मां दुर्गा का पूर्ण संरक्षण भी रावण को मिल रहा है। श्री राम जो भी बाण चलाते थे, वे बाण रावण को स्पर्श भी नहीं करते तथा महान दैवी-शक्ति के अंदर समाहित हो जाते थे।

युद्ध के उपरांत रात्रि को विश्राम के समय जब सेनानायकों के साथ श्रीराम शिला पर बैठे थे , तभी पहली बार उनके नेत्रों से आंसू लुढ़क पड़े। उन्हें लगा कि अब यह युद्ध मैं जीत नहीं पाऊंगा और जानकी को रावण के चंगुल से छुड़ा नहीं पाऊंगा।

इस परिस्थिति में विजय प्राप्त करने के लिए जामवंत ने श्री राम को शक्ति की आराधना करने और शक्तिस्वरूपा मां दुर्गा को १०८ कमल चढ़ाने का सुझाव दिया। श्री राम शक्ति की आराधना करने लगे और एक-एक कर कमल पुष्प अर्पित करने लगे। १०७ कमल-पुष्प अर्पित हो गये थे।

मां दुर्गा ने अंतिम कमल पुष्प को छिपा दिया था। वे श्री राम की धीरज और समर्पण की परीक्षा ले रही थीं। खोजने पर भी श्री राम को १०८वां कमल-पुष्प नहीं मिला।

तभी उनके ध्यान में आया कि उनकी माता उनको राजीवनयन कहा करती थीं। ऐसा सोचकर उन्होंने अपने एक नयनरूपी कमल पुष्प को भगवती दुर्गा (शक्ति )को चढ़ाने का निर्णय किया।

इस भाव को निराला जी काव्य में यों प्रकट करते हैं –

” यह है उपाय ” कह उठे राम ज्यों मंद्रित घन
कहती थीं माता मुझे सदा राजीवनयन।
दो नील कमल हैं शेष अभी , यह पुरश्चरण
पूरा करता हूं देकर मात एक नयन।।

वे अपने बाण से अपने नयन को निकालने के लिए तत्पर हुए , तभी शक्ति (मां दुर्गा) प्रकट होती हैं और दर्शन देकर उन्हें ऐसा करने से रोकती हैं। राम को विजयी होने का वरदान देकर परम शक्ति श्री राम में विलीन हो जाती हैं।
अंततः रावण का संहार होता है और श्री राम को विजय – श्री की प्राप्ति होती है।

।।शक्तिस्वरूपा दुर्गतिनाशिनी भगवती दुर्गा की जय।।

(प्रस्तुति -आचार्य अनिल वत्स)

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments