Teacher Kanchan Kamini: ‘प्लीज़ मैम, आप मत जाइए…’भोजपुर में टीचर के ट्रान्सफर पर फूट पड़ीं छात्राएं, राष्ट्रपति पुरस्कार सम्मानित शिक्षिका कंचन कामिनी का वीडियो हुआ वायरल..
बिहार के भोजपुर जिले से सामने आया एक भावुक कर देने वाला दृश्य इन दिनों सोशल मीडिया पर लोगों का ध्यान खींच रहा है। यहां एक सरकारी विद्यालय की छात्राएं अपनी प्रिय शिक्षिका के ट्रांसफर की खबर सुनकर खुद को संभाल नहीं पाईं और फूट-फूटकर रोने लगीं। यह शिक्षिका कोई साधारण अध्यापक नहीं, बल्कि राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित कंचन कामिनी हैं, जिनका हाल ही में तबादला कर दिया गया है।
विद्यालय परिसर में लिया गया यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें छात्राएं रोते हुए अपनी शिक्षिका से बार-बार यही कहती नजर आ रही हैं—“मैम मत जाइए।” यह दृश्य यह साबित करता है कि जब कोई शिक्षक पूरे मन से बच्चों को पढ़ाता है, तो वह उनके जीवन का अहम हिस्सा बन जाता है।
दिलीपनरायन पल्स-2 विद्यालय में थीं कार्यरत
उपलब्ध जानकारी के अनुसार, कंचन कामिनी भोजपुर जिले के कहथु मसौढ़ी स्थित दिलीपनरायन पल्स-2 विद्यालय में अंग्रेजी विषय की शिक्षिका थीं। इसके साथ-साथ वे विद्यालय में प्रभारी प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी भी निभा रही थीं। अपने कर्तव्यनिष्ठ स्वभाव, सख्त लेकिन संवेदनशील अनुशासन और छात्रों के प्रति अपनापन रखने के कारण वे बच्चों की बेहद प्रिय बन चुकी थीं।
उनकी पढ़ाने की शैली, बच्चों से संवाद का तरीका और स्कूल में बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाने के प्रयासों ने विद्यालय को एक नई पहचान दी थी। छात्राओं के बीच उनकी छवि केवल एक शिक्षिका की नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और अभिभावक जैसी बन गई थी।
‘मैम मत जाओ’ कहते हुए थाम लिया हाथ
जब छात्राओं को यह पता चला कि उनकी शिक्षिका का तबादला हो गया है, तो विद्यालय का माहौल अचानक भावनाओं से भर गया। वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कई छात्राएं कंचन कामिनी का हाथ पकड़कर उन्हें रोकने की कोशिश कर रही हैं। उनकी आंखों से बहते आंसू यह दिखा रहे हैं कि यह जुदाई उनके लिए कितनी कठिन है।
बच्चों की इस प्रतिक्रिया से यह साफ होता है कि कंचन कामिनी ने केवल किताबों का ज्ञान नहीं दिया, बल्कि अपने व्यवहार और सोच से बच्चों के व्यक्तित्व को भी गढ़ा। यही वजह है कि वे छात्राओं के दिल के बेहद करीब थीं।
शिक्षा के क्षेत्र में मिला है राष्ट्रपति पुरस्कार
कंचन कामिनी को शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें कई अन्य प्रतिष्ठित सम्मान भी प्राप्त हुए हैं। उनके कार्यकाल के दौरान विद्यालय में पढ़ाई का स्तर बेहतर हुआ और अनुशासन तथा शैक्षणिक गतिविधियों में भी सकारात्मक बदलाव देखने को मिला।
सोशल मीडिया पर मिल रही सराहना
वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। ज्यादातर यूज़र्स कंचन कामिनी की जमकर तारीफ कर रहे हैं। लोग लिख रहे हैं कि उन्होंने केवल बच्चों को पढ़ाया ही नहीं, बल्कि उनमें आत्मविश्वास, अनुशासन और जीवन को समझने की क्षमता भी विकसित की। कई लोगों ने इसे एक आदर्श शिक्षक-छात्र संबंध का उदाहरण बताया है।
किशनगंज हुआ स्थानांतरण
फिलहाल कंचन कामिनी का तबादला बिहार के किशनगंज जिले में कर दिया गया है। दिलीपनरायन पल्स-2 विद्यालय में यह उनका आखिरी कार्यदिवस था, जिस कारण छात्राएं बेहद भावुक हो गईं और उन्हें जाते देख रो पड़ीं।
यह घटना शिक्षा विभाग और समाज दोनों के लिए एक गहरा संदेश छोड़ जाती है। यह दिखाती है कि समर्पित शिक्षक बच्चों के जीवन में कितना अहम स्थान रखते हैं। ऐसे शिक्षकों का योगदान केवल स्कूल तक सीमित नहीं रहता, बल्कि वे आने वाली पीढ़ियों की सोच और भविष्य को आकार देते हैं। इसलिए जरूरत है कि ऐसे प्रेरणादायक शिक्षकों की क्षमताओं का सही दिशा में उपयोग किया जाए, ताकि अधिक से अधिक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और संवेदनशील शिक्षा मिल सके।
(प्रस्तुति -अर्चना शैरी)



