(Acharya Anil Vats)
काल भैरव भगवान शिव का एक उग्र और शक्तिशाली रूप हैं। उन्हें समय (काल) और मृत्यु का स्वामी माना जाता है। वे न्याय के देवता भी हैं और अधर्मियों को दंडित करने वाले रूप में पूजे जाते हैं।
काल भैरव की उत्पत्ति की कथा
पुराणों के अनुसार, एक बार ब्रह्माजी ने अहंकारवश स्वयं को सृष्टि का सर्वोच्च रचनाकार घोषित कर दिया। यह सुनकर भगवान विष्णु और अन्य देवता चकित रह गए। भगवान शिव को जब यह ज्ञात हुआ तो उन्होंने अपने क्रोध से एक उग्र रूप प्रकट किया—यही काल भैरव थे।
काल भैरव ने अपने नाखून से ब्रह्माजी का पांचवा सिर काट दिया, जिससे ब्रह्मा का अहंकार नष्ट हो गया। लेकिन इस कृत्य से काल भैरव ब्रह्म हत्या के दोष से ग्रस्त हो गए। इस दोष से मुक्त होने के लिए उन्होंने कई तीर्थों की यात्रा की और अंततः काशी में अपने पाप से मुक्त हुए। इसलिए काशी में काल भैरव को “काशी के कोतवाल” कहा जाता है।
काल भैरव मंत्र और उनकी शक्ति
काल भैरव के मंत्र अत्यंत प्रभावशाली माने जाते हैं। इनका जाप करने से भय, नकारात्मक ऊर्जा, शत्रुओं और अकाल मृत्यु से रक्षा होती है।
काल भैरव मूल मंत्र:
ॐ कालभैरवाय नमः
काल भैरव रक्षा मंत्र:
ॐ ह्रीं वटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु कालभैरवाय नमः॥
काल भैरव अष्टक मंत्र (भय, रोग और शत्रु नाशक मंत्र)
देवराजसेव्यमानपावनाङ्घ्रिपङ्कजम्।
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्॥
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगम्बरम्।
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥
काल भैरव की पूजा का महत्व
काल भैरव की उपासना से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं।
इनकी पूजा से घर-परिवार में नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती।
यात्रा में जाने से पहले काल भैरव का स्मरण करने से सुरक्षित यात्रा होती है।
काशी में काल भैरव के दर्शन के बिना काशी यात्रा अधूरी मानी जाती है।
काल भैरव की उपासना विशेष रूप से रविवार और मंगलवार को की जाती है। पूजा में काले तिल, काला कपड़ा, सरसों का तेल, नारियल अर्पित किया जाता है।
अगर आप काल भैरव की कृपा चाहते हैं, तो उनके मंत्रों का श्रद्धा से जाप करें और नियमपूर्वक उनकी पूजा करें।
ii गगजय माता दी ii
(आचार्य अनिल वत्स)