हर साल कुछ बेहद साहसी लोग अमेरिका की सबसे खतरनाक दौड़ Badwater 135 में हिस्सा लेते हैं। यह दौड़ “डेथ वैली” यानी मौत की घाटी में होती है — जहां गर्मी 50°C तक पहुंचती है, और रास्ता है 217 किलोमीटर लंबा। इतनी कठिन परिस्थितियों में यह दौड़ अकेले पूरी करना लगभग नामुमकिन है — इसलिए इसे जीतने के पीछे एक मजबूत टीम होती है।
जहां इंसानी हिम्मत की आखिरी हद दिखती है
Badwater 135 को “दुनिया की सबसे कठिन दौड़” कहा जाता है। यह शुरू होती है धरती की सबसे नीची जगह Badwater Basin से (समुद्र तल से 282 फीट नीचे), और खत्म होती है माउंट व्हिटनी के बेस पर, जो 8,000 फीट ऊंचा है। रास्ते में दो पहाड़, जलती धूप और 217 किलोमीटर की तपती सड़क मिलती है। यहां गर्मी इतनी भयंकर होती है कि एक बार एक बाइक सवार की जान चली गई थी।
सिर्फ हिम्मत नहीं, एक टीम चाहिए
Badwater जैसी रेस में धावक अकेले नहीं दौड़ते — उनके साथ होती है एक 4 लोगों की टीम जो उन्हें पानी, दवा, खाना, हिम्मत और साथ देती है। टीम की गाड़ी ही चलता-फिरता मेडिकल और एनर्जी स्टेशन बन जाती है।
टीम क्या-क्या संभालती है:
पानी और एनर्जी ड्रिंक, आइस स्प्रे, बर्फ की पट्टियाँ, सनस्क्रीन, दवा और जेल, और सबसे ज़रूरी – मोटिवेशन.कई बार टीम के लोग भी धावक के साथ दौड़ते हैं ताकि उसका हौसला बना रहे।
केली फ्रेडरिक की प्रेरणादायक कहानी
18 साल की उम्र में Badwater पूरी करने वाली केली फ्रेडरिक इस साल फिर उतरी थीं। उनका सपना था — अपने आयु वर्ग का रिकॉर्ड तोड़ना। उनकी टीम में थे – कोच एंड्रू बॉयड, और साथी मायर्स और सिसन।
एंड्रू पूरी रात कार चला रहे थे और सोच रहे थे कि क्या अब केली को बताएं कि वह रिकॉर्ड के काफ़ी करीब है। लेकिन अगर वो अब रुकीं, तो मौका निकल जाएगा। जब टीम ने तय किया — “अब सही समय है”, तब जाकर केली को उसकी रफ्तार और लक्ष्य बताया गया। इसके बाद केली ने हौसले के साथ दौड़ पूरी की।
जो अकेले दौड़े, उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी
कुछ लोगों ने बिना सपोर्ट टीम के दौड़ पूरी करने की कोशिश की। वे अपने सामान का भारी ट्रॉली खुद खींचते थे — जिसमें 90 किलो से ज्यादा सामान होता था। लेकिन इनमें से कई लोग बीमार पड़े, और उन्हें दौड़ पूरी करने में बहुत ज्यादा समय लगा।
अल्ट्रामैराथॉन में जीत अकेले की नहीं होती
दुनिया की बाकी लंबी दौड़ें जैसे Hardrock 100 और Western States Run में भी धावकों को सपोर्ट टीम की ज़रूरत होती है। टीम साथ दौड़ती है, खाना देती है, रूट बताती है और मनोबल बनाए रखती है।
यह साफ है — इतनी कठिन दौड़ में जीत सिर्फ शरीर की नहीं, साथ चलने वालों की ताकत की भी होती है।
डेथ वैली – जहां गर्मी भी डराती है.
डेथ वैली का इलाका बेहद अजीब है। हर जगह का नाम ‘शैतान’ से जुड़ा है — Devil’s Cornfield, Devil’s Golf Course… यहां सूरज इतना तेज़ होता है कि बाल जलने लगते हैं। कई किलोमीटर तक कोई जीव-जंतु नहीं दिखता।
लेकिन हर जुलाई, ये वीरान रास्ता जिंदगी से भर जाता है – जब दौड़ शुरू होती है।
इस बार की दौड़: फ्रेडरिक और उनकी टीम
इस बार मैं फ्रेडरिक की टीम के साथ था। गाड़ी में 4 कूलर थे — Tailwind ड्रिंक, पानी, बर्फ और खाना। ढेर सारी दवाइयाँ, स्नैक्स, पट्टियाँ और एक चमकती नीयॉन “K” लाइट ताकि फ्रेडरिक रात में अपनी टीम को पहचान सकें।
बॉयड जोश से भरे रहते हैं — खुद धावक हैं। सिसन सबकुछ रिकॉर्ड करती हैं — फ्रेडरिक की हालत, मूड, खाना, पानी सब। मायर्स मज़ेदार हैं — खुद भी दौड़ चुकी हैं और अब एक रनिंग पॉडकास्ट चलाती हैं।
तीनों मिलकर एक ऐसा परिवार बनाते हैं जो थका हुआ ज़रूर है, लेकिन अपने धावक के लिए जान तक दे सकता है।
दौड़ की शुरुआत और बढ़ती गर्मी
जैसे ही रात में दौड़ शुरू हुई, फ्रेडरिक एकदम शांत और फोकस्ड थीं। उनके हाथ पर लिखा था: “Strong mind, strong finish.”
टीम हर कुछ मील पर रुककर उन्हें पानी और हौसला देती रही।
सुबह सूरज चढ़ा तो गर्मी ने मुश्किलें बढ़ा दीं। फ्रेडरिक के हाथ-पैर सूजने लगे, टांगों में हीट रैश हो गया, पर टीम ने बिना रुके उनका साथ दिया — कभी बर्फ रखी, कभी क्रीम लगाई।
जब फ्रेडरिक टूटीं – और टीम ने उन्हें संभाला
83वें मील पर फ्रेडरिक की हालत बिगड़ने लगी — भूख नहीं लग रही थी, उलझन हो रही थी, भ्रम होने लगा। उन्होंने कहा, “अगर मैं रुक गई, तो और बुरा लगेगा।” टीम समझ गई — अब उन्हें और भी सावधान रहना होगा।
हर कोई अपने हिस्से का काम करने लगा — एक बर्फ की पट्टियाँ बनाता, दूसरा ड्रिंक तैयार करता, तीसरा साथ में दौड़ने के लिए तैयार होता।
बॉयड जब फ्रेडरिक के साथ दौड़ रहे थे, मायर्स ने गाड़ी से ज़ोर से चिल्लाया:
“देखो! कितनी प्यारी राजकुमारी दौड़ रही है!”
बॉयड ने हंसते हुए कहा: “थैंक यू!”
और उसी पल, फ्रेडरिक मुस्कुरा दीं।
नतीजा: जीत अकेले की नहीं होती, साथ की होती है
Badwater जैसी दौड़ सिर्फ स्टैमिना की नहीं — इंसानियत, दोस्ती और भरोसे की भी परीक्षा है।
केली फ्रेडरिक की जीत सिर्फ उनकी नहीं थी — यह उन तीनों साथियों की भी जीत थी जो हर मील पर उनके साथ थे।
यह रेस हमें याद दिलाती है कि
“इंसान अकेला बहुत दूर नहीं जा सकता – लेकिन अगर साथ देने वाले हों, तो वो आग में भी दौड़ सकता है।”
(प्रस्तुति -त्रिपाठी सुमन पारिजात)