Wednesday, June 25, 2025
Google search engine
Homeधर्म- ज्योतिषBaglamukhi Jayanti 2025: शत्रुओं पर विजय और संकटों से मुक्ति हेतु बगलामुखी...

Baglamukhi Jayanti 2025: शत्रुओं पर विजय और संकटों से मुक्ति हेतु बगलामुखी जयंती पर करें यह मंत्र जाप

Baglamukhi Jayanti है एक अवसर शत्रुओं पर विजय और संकटों से मुक्ति हेतु प्रयास करने का ..

Baglamukhi Jayanti है एक अवसर शत्रुओं पर विजय और संकटों से मुक्ति हेतु प्रयास करने का ..

बगलामुखी जयंती 2025 के दिन मां बगलामुखी की पूजा से शत्रु बाधा, भय, कानूनी विवाद और मानसिक अशांति से मुक्ति मिलती है। इस पावन अवसर पर उनके स्तोत्र का पाठ करने से साधक को आत्मबल, मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। आइए जानें इस दिन की तिथि, पूजा की विधि, स्तोत्र पाठ के लाभ और इसका विशेष महत्व।

बगलामुखी जयंती का महत्व

हिंदू धर्म में दस महाविद्याओं का विशेष स्थान है, जिनमें मां बगलामुखी आठवीं महाविद्या के रूप में पूजनीय हैं। उनका स्वरूप तेजस्वी, अद्भुत और अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि बगलामुखी साधना से शत्रुओं का नाश होता है, भय समाप्त होता है, कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता मिलती है तथा तांत्रिक बाधाओं और मानसिक तनाव से राहत मिलती है।

बगलामुखी जयंती को उनके प्राकट्य दिवस के रूप में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। इस दिन उनके स्तोत्रों का पाठ साधकों को अद्वितीय मानसिक स्थिरता, आत्मबल और विजय का वरदान देता है।

Maa Baglamukhi Stotra मां बगलामुखी स्तोत्र का पाठ

ओम् ब्रह्मास्त्र-रुपिणी देवी, माता श्रीबगलामुखी। चिच्छिक्तिर्ज्ञान-रुपा च, ब्रह्मानन्द-प्रदायिनी॥
महा-विद्या महा-लक्ष्मी श्रीमत्-त्रिपुर-सुन्दरी। भुवनेशी जगन्माता, पार्वती सर्व-मंगला॥
ललिता भैरवी शान्ता, अन्नपूर्णा कुलेश्वरी। वाराही छिन्नमस्ता च, तारा काली सरस्वती॥

जगत् -पूज्या महा-माया, कामेशी भग-मालिनी। दक्ष-पुत्री शिवांकस्था, शिवरुपा शिवप्रिया॥
सर्व-सम्पत्-करी देवी, सर्व-लोक वशंकरी। वेद-विद्या महा-पूज्या, भक्ताद्वेषी भयंकरी॥
स्तम्भ-रुपा स्तम्भिनी च, दुष्ट-स्तम्भन-कारिणी। भक्त-प्रिया महा-भोगा, श्रीविद्या ललिताम्बिका॥

मेना-पुत्री शिवानन्दा, मातंगी भुवनेश्वरी। नारसिंही नरेन्द्रा च, नृपाराध्या नरोत्तमा॥
नागिनी नाग-पुत्री च, नगराज-सुता उमा। पीताम्बरा पीत-पुष्पा च, पीत-वस्त्र-प्रिया शुभा॥
पीत-गन्ध-प्रिया रामा, पीत-रत्नार्चिता शिवा। अर्द्ध-चन्द्र-धरी देवी, गदा-मुद्-गर-धारिणी॥

सावित्री त्रि-पदा शुद्धा, सद्यो राग-विवर्द्धिनी। विष्णु-रुपा जगन्मोहा, ब्रह्म-रुपा हरि-प्रिया॥
रुद्र-रुपा रुद्र-शक्तिद्दिन्मयी भक्त-वत्सला। लोक-माता शिवा सन्ध्या, शिव-पूजन-तत्परा॥
धनाध्यक्षा धनेशी च, धर्मदा धनदा धना। चण्ड-दर्प-हरी देवी, शुम्भासुर-निवर्हिणी॥

राज-राजेश्वरी देवी, महिषासुर-मर्दिनी। मधु-कैटभ-हन्त्री च, रक्त-बीज-विनाशिनी॥
धूम्राक्ष-दैत्य-हन्त्री च, भण्डासुर-विनाशिनी। रेणु-पुत्री महा-माया, भ्रामरी भ्रमराम्बिका॥
ज्वालामुखी भद्रकाली, बगला शत्र-ुनाशिनी। इन्द्राणी इन्द्र-पूज्या च, गुह-माता गुणेश्वरी॥
वज्र-पाश-धरा देवी, जिह्वा-मुद्-गर-धारिणी। भक्तानन्दकरी देवी, बगला परमेश्वरी ॥

फलश्रुति (स्तोत्र पाठ से प्राप्त होने वाले फल)

अष्टोत्तरशतं नाम्नां, बगलायास्तु यः पठेत्।
रिपु बाधा-विनिर्मुक्तः, लक्ष्मीस्थैर्यमवाप्नुयात्॥
भूत-प्रेत-पिशाचाश्च, ग्रह-पीड़ा-निवारणम्।
राजानो वशमायाति, सर्वैश्वर्यं च विन्दति॥
नाना-विद्यां च लभते, राज्यं प्राप्नोति निश्चितम्।
भुक्ति-मुक्तिमवाप्नोति, साक्षात् शिव-समो भवेत्॥

स्तोत्र पाठ के प्रमुख लाभ

जो लोग भय, घबराहट, मानसिक दबाव या आत्मविश्वास की कमी से जूझ रहे हों, उन्हें नियमित पाठ से मानसिक संतुलन और आंतरिक शक्ति मिलती है।

कोर्ट-कचहरी, दफ्तर की राजनीति या प्रशासनिक उलझनों से परेशान लोगों के लिए यह स्तोत्र अत्यंत लाभकारी है; मां की कृपा से निर्णय अनुकूल होने की संभावना बढ़ जाती है।

स्तोत्र पाठ से साधक के भीतर आत्मविश्वास, साहस और सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है, जिससे जीवन में सफलता की राह खुलती है।

बगलामुखी साधना और स्तोत्र जाप से तांत्रिक दोष, नजर दोष, ऊपरी बाधाएं और अन्य नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments