Tuesday, October 21, 2025
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Bhootia Quila: दिल्ली के रहस्यमय किले में जिन्नों को लिखी चिट्ठियों से पूरी होती हैं सारी इच्छाएं

Bhootia Quila:  दिल्ली में एक ऐसा किला है जो इतिहास और रहस्य, दोनों का संगम है..यहां जिन्नों की मान्यता के कारण लोग अपनी अधूरी इच्छाओं और परेशानियों को लेकर आते हैं..

Bhootia Quila:  दिल्ली में एक ऐसा किला है जो इतिहास और रहस्य, दोनों का संगम है..यहां जिन्नों की मान्यता के कारण लोग अपनी अधूरी इच्छाओं और परेशानियों को लेकर आते हैं..

अगर आप दिल्ली में रहते हैं और इतिहास या रहस्यमयी जगहों में रुचि रखते हैं, तो फिरोजशाह कोटला किले की कहानी आपको चौंका सकती है। कहा जाता है कि इस किले में आज भी जिन्न रहते हैं और लोगों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। दूर-दूर से लोग यहां अपनी फरियाद लेकर आते हैं और यह अनुभव उनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं होता।

राजधानी के दिल में बसा फिरोजशाह कोटला किला, अरुण जेटली स्टेडियम (पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम) के पास स्थित है। इस किले में प्रवेश का टिकट मात्र 25 रुपये का है।

इतिहास की झलक

1354 ईस्वी में फिरोज शाह तुगलक ने अपने चाचा मुहम्मद बिन तुगलक से सत्ता हासिल करने के बाद इस किले का निर्माण करवाया। उसी समय उन्होंने ‘फिरोजाबाद’ नामक शहर की भी नींव रखी। यह किला यमुना के किनारे इसलिए बसाया गया था ताकि पानी की समस्या का समाधान हो सके। इतिहासकार इस किले को दिल्ली का छठा शहर भी मानते हैं।

जिन्नात और मान्यता

कहा जाता है कि इमरजेंसी के दौरान यहां लड्डू शाह नाम के बाबा रहा करते थे। वे अपने शिष्यों को जिन्नों की शक्तियों के बारे में बताते थे और मानते थे कि जिन्न लोगों की इच्छाएं पूरी कर सकते हैं। कोरोना से पहले तक लोग किले के नीचे बने कमरों में चिराग जलाकर अपनी फरियाद पढ़ते थे। आज भी गुरुवार के दिन बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचकर अपनी समस्याएं जिन्नों के सामने रखते हैं।

लोगों की कहानियां

यहां आने वाले लोग कई तरह के अनुभव साझा करते हैं। एक महिला ने बताया कि उसके पति गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे, लेकिन यहां आकर अर्जी लगाने के बाद उसका परिवार खुशहाल हो गया और उसका बेटा भी घर लौट आया। ऐसी कहानियां सिर्फ उसी महिला की नहीं हैं, बल्कि कई लोग दूर-दराज़ से यहां अपनी उम्मीदें लेकर आते हैं।

इस किले का सबसे मशहूर जिन्न है ‘लाट वाले बाबा’। माना जाता है कि वे 13.1 मीटर ऊंची मीनार-ए-जरीन में रहते हैं। हालांकि, इस मीनार तक जाने का रास्ता बंद रखा गया है।

पुरातत्व विभाग का दृष्टिकोण

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) का कहना है कि यह सब मान्यताएं लोगों की आस्था पर आधारित हैं। उनके पास जिन्नों की मौजूदगी का कोई ठोस प्रमाण नहीं है। उनका काम केवल देश की ऐतिहासिक धरोहरों को सुरक्षित रखना है।

जिन्नों के नियम

यहां आने के लिए कुछ विशेष नियम भी माने जाते हैं। कहा जाता है कि ज्यादा इत्र लगाकर किले में प्रवेश नहीं करना चाहिए। लोगों का मानना है कि जिन्न भी इंसानों की तरह परिवार चलाते हैं और हजारों साल तक जीवित रह सकते हैं।

(प्रस्तुति – अंजू डोकानिया)

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