Black Hole अंतरिक्ष की सुरसा है.. इसे को आसान हिंदी में समझिए इस लेख में ..
क्या होता है ब्लैक होल
ब्लैक होल अंतरिक्ष का एक ऐसा रहस्यमय इलाका होता है जहां गुरुत्वाकर्षण (gravity) इतना ज़्यादा होता है कि कोई भी चीज़ — यहाँ तक कि प्रकाश (light) भी — उससे बचकर बाहर नहीं निकल सकती।
यह एक “अदृश्य जाल” की तरह होता है।
जब कोई तारा (star) बहुत ज़्यादा भारी होता है और मरता है (यानि सुपरनोवा के बाद ढह जाता है), तब वह अपने ही भार से सिकुड़ कर ब्लैक होल बन सकता है।
ब्लैक होल के अंदर क्या है?
ब्लैक होल का अंदरूनी भाग पूरी तरह अनजाना है। वैज्ञानिकों ने इसे दो भागों में बाँटा है:
इवेंट होराइजन (Event Horizon)
यह वो सीमा है जिसके पार जाने के बाद कुछ भी वापस नहीं लौट सकता, ना ही कोई जानकारी।
इसे आप ब्लैक होल का “दरवाज़ा” कह सकते हैं।
सिंग्युलैरिटी (Singularity)
यह ब्लैक होल का केंद्र होता है, जहां सारा द्रव्यमान (mass) सिमट जाता है और गुरुत्वाकर्षण अनंत (infinite) हो जाता है। यहां पर हमारे भौतिकी (physics) के नियम काम करना बंद कर देते हैं।
ब्लैक होल में जाने वाली चीज़ कभी बाहर क्यों नहीं आती?
इसका कारण है उसका अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण बल। जैसे ही कोई वस्तु इवेंट होराइजन के पार जाती है, वह ब्लैक होल की कैद में आ जाती है। वहां से प्रकाश की गति से भी तेज़ भागना जरूरी होता है — जो कि संभव नहीं है। इसलिए जो भी चीज़ (चाहे वह रोशनी हो, उपग्रह हो या अंतरिक्ष यात्री) अंदर जाती है, वो हमारी दुनिया से पूरी तरह कट जाती है।
क्या कोई ब्लैक होल के अंदर जाकर देख सकता है?
सुपरमैसिव ब्लैक होल (बहुत बड़े ब्लैक होल) में अगर कोई जाए तो वह कुछ देर तक सचेत (conscious) रह सकता है। लेकिन बाहर लौटना संभव नहीं है — यह एक “वन वे ट्रिप” होगी।
ब्लैक होल पर वैज्ञानिक मानते हैं कि
यह ब्रह्मांड के सबसे रहस्यमय पिंडों में से एक है। हो सकता है कि इसके जरिए किसी और ब्रह्मांड (alternate universe) तक पहुंचा जा सके — लेकिन अभी ये सिर्फ कल्पना और सिद्धांत हैं।
(प्रस्तुति – त्रिपाठी किसलय इन्द्रनील)