Cricket की दुनिया में एक किशोर वय के बच्चे ने ऐसी शुरुआत की कि उसी समय पता चल गया सारी दुनिया को कि क्रिकेट का महारथी आ चुका है..
साल 1989। भारतीय टीम पाकिस्तान दौरे पर थी। कराची का नेशनल स्टेडियम, भीड़ से खचाखच भरा। पाकिस्तान की तेज गेंदबाजी, स्विंग करती हवा, और घातक पिच। भारत के बल्लेबाज एक-एक कर आउट होते जा रहे थे। तभी टीम मैनेजमेंट ने 16 साल के एक दुबले-पतले लड़के को पैड बांधने को कहा।
“सचिन, तैयार हो?”
सचिन ने धीरे से सिर हिलाया, लेकिन दिल में तूफान चल रहा था। सामने पाकिस्तान के तेज़ गेंदबाज वकार यूनिस और वसीम अकरम। दोनों अपनी गेंदों से बल्लेबाजों को तहस-नहस कर रहे थे।
पहली बाउंसर, पहला खून
सचिन पहली बार टेस्ट क्रिकेट में उतरे। सामने वकार यूनिस। दूसरी ही गेंद पर वकार ने एक खतरनाक बाउंसर फेंकी। गेंद सीधे जाकर सचिन की नाक पर लगी। खून बहने लगा, पूरे मैदान में सन्नाटा छा गया।
गावस्कर और अजहरुद्दीन ड्रेसिंग रूम से बाहर निकलकर देखने लगे। सबको लगा— “बस, अब ये बच्चा डर जाएगा।”
लेकिन सचिन ने क्या किया? उन्होंने हाथ से खून पोछा, फिर कहा—
“मैं खेलूंगा!”
डर के आगे जीत
इसके बाद सचिन ने वकार यूनिस को उसी के अंदाज में जवाब दिया। अगली ही गेंद पर स्क्वेयर कट मारा— गेंद सीधा बाउंड्री पार! पूरे स्टेडियम में भारत के लिए तालियाँ बज उठीं।
उस समय के सीनियर खिलाड़ी मोहम्मद अजहरुद्दीन बाद में कहते हैं—
“हमने वहीं जान लिया था, ये लड़का साधारण नहीं है।”
आखिरी विकेट तक लड़ना
सचिन ने 35 रन बनाए। स्कोर ज्यादा नहीं था, लेकिन उनकी जिद, उनके आत्मविश्वास ने सबको चौंका दिया। वे आखिरी विकेट तक टिके रहे। पाकिस्तान के अख़बारों ने अगले दिन लिखा—
“ये 16 साल का लड़का आने वाले सालों में पाकिस्तान के गेंदबाजों का सबसे बड़ा खतरा होगा।”
पाकिस्तान के कप्तान का बयान
इमरान खान, जो उस समय पाकिस्तान टीम के कप्तान थे, ने मैच के बाद कहा—
“ये बच्चा बड़ा खिलाड़ी बनेगा।”
ड्रेसिंग रूम में पहले दिन का असर
सचिन को ड्रेसिंग रूम में बैठना पड़ा, जहाँ उनके चारों ओर दिग्गज बैठे थे— कपिल देव, अजहरुद्दीन, रवि शास्त्री। लेकिन सचिन खामोश नहीं थे। उन्होंने कपिल देव से पूछा—
“सर, आउट कैसे नहीं होते?”
कपिल देव मुस्कराए और बोले—
“हर गेंद को ऐसे खेलो, जैसे वो आखिरी है।”
सचिन ने ये बात दिल से लगा ली।
शुरुआती विफलता, लेकिन हार नहीं मानी
पूरी पाकिस्तान सीरीज में सचिन को कोई बड़ा स्कोर नहीं मिला, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने हर दिन खुद से एक वादा किया—
“एक दिन मैं वर्ल्ड क्रिकेट का सबसे बड़ा नाम बनूंगा!”
(अज्ञात वीर)