Cricket की यादों में शुमार है एक ये दिन भी जब विवादास्पद कैच के कारण आउट घोषित होना पड़ा महेंद्र सिंह धोनी को और तब लोग भूल गए वसीम जाफर की अद्भुत दोहरी शतकीय पारी को..
साल 2006 में भारतीय टीम राहुल द्रविड़ की कप्तानी में वेस्टइंडीज के दौरे पर थी। इस दौरे पर दोनों देशों के बीच 4 टेस्ट मैचों की एक टेस्ट सीरीज के अलावा 5 वनडे मैचों की एक सीरीज खेली गई थी। भारतीय टीम उस वक्त वेस्टइंडीज में पिछले 35 सालों से कोई टेस्ट श्रृंखला में जीत नहीं दर्ज नहीं की थी और टीम इंडिया ने राहुल द्रविड़ की कप्तानी में वेस्टइंडीज में 35 सालों बाद कोई टेस्ट सीरीज जीतकर इतिहास रचा था। टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया ने 1-0 से जीत दर्ज की थी वहीं वनडे सीरीज में वेस्टइंडीज ने 4-1 से जीत दर्ज की थी।
इस दौरे पर टेस्ट सीरीज का एंटीगुआ में खेला गया पहला मुकाबला काफी रोमांचक और यादगार रहा था। इस टेस्ट मैच में टॉस भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ ने जीता था और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था। भारतीय टीम पहली पारी में 241 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। कप्तान राहुल द्रविड़ ने सबसे अधिक 49 रन बनाए थे। वेस्टइंडीज की तरफ से सबसे अधिक 4 विकेट ड्वेन ब्रावो ने लिए वहीं कोरी कोलिमोर ने 3 विकेट लिए थे।
वेस्टइंडीज की टीम ने पहली पारी में 371 रन बनाए। वेस्टइंडीज के लिए क्रिस गेल ने 72 रन,ड्वेन ब्रावो ने 68 रन तो रामनरेश सरवन ने 58 रनों की पारी खेली थी वहीं कप्तान ब्रायन लारा मात्र 18 रन ही बना सके थे। भारतीय टीम के लिए मुनाफ पटेल और अनिल कुंबले ने 3 -3 वहीं डेब्यू कर रहे विक्रम सिंह ने 2 और वीरेंद्र सहवाग ने 2 विकेट लिए। इस तरह वेस्टइंडीज की टीम ने पहली पारी के आधार पर टीम इंडिया पर 130 रनों की बढ़त ले ली।
असली खेला तो टीम इंडिया के बल्लेबाजों ने दूसरी पारी में किया और सबसे बड़ा खेल किया ओपनर बल्लेबाज वसीम जाफर ने जिन्होंने 212 रनों की जबरदस्त दोहरी शतकीय पारी खेल डाली और मैच का नक्शा ही पलट दिया। हालांकि वसीम जाफर की इस पारी की लोग चर्चा करते लेकिन इसी पारी में एक ऐसी घटना हो गई जिसकी वजह से ज्यादातर लोग वसीम जाफर की पारी पर चर्चा करने की बजाय उस घटना पर ही ध्यान केंद्रित कर दिए थे।
दरअसल महेंद्र सिंह धोनी वेस्टइंडीज के स्पिन गेंदबाज देव मोहम्मद की लगातार तीन गेंदों पर तीन छक्के जड़ चुके थे और उसी ओवर की चौथी गेंद पर एक और छक्का लगाने के चक्कर में गेंद को मिडविकेट बाउंड्री लाइन कि तरफ हवाई रास्ते काफी ऊंचा खेल दिया था।
मिडविकेट बाउंड्री पर खड़े डेरेन गंगा ने इस गेंद को पकड़ तो लिया लेकिन देखने से ऐसा लग रहा था कि उनका पैर बाउंड्री लाइन को टच कर रहा था। रिप्ले से भी साफ नहीं हो रहा था कि उनका पैर बाउंड्री लाइन को टच किया है या नहीं।
अंपायर असद रऊफ ने पहले स्क्वायर लेग अंपायर साइमन टॉफेल से चर्चा की फिर वाकी टाकी से थर्ड अंपायर बिली डाक्टरोव से मदद मांगी। थर्ड अंपायर ने रिप्ले देखा और कोई कॉन्क्लूजिव एविडेंस उनको नहीं मिला इसकी वजह से कोई फाइनल वर्डिक्ट नहीं दिया।
इस फैसले पर वेस्टइंडीज के कप्तान ब्रायन लारा असहमत थे और मैदानी अंपायरों से भी बहस किए और अपने फिल्डर गंगा के कैच को साफ बताए और फिर इस दौरान लारा ने अंपायर असद रऊफ को उंगली दिखाई और फिर उनसे गेंद भी छीन ली थी और डेरेन गंगा के साफ कैच को लेकर भारतीय बल्लेबाजों से भी बात किए। यह सब लगभग 15 मिनट तक चलता रहा और खेल रुका रहा। इस पूरे वाकया में ब्रायन लारा का व्यवहार काफी अग्रेसिव नजर आया था।
कहा जाता है कि महेंद्र सिंह धोनी ने ब्रायन लारा का मान रखा था और खुद को आउट मान लिया था लेकिन जब बीच मैदान अम्पायरों और खिलाड़ियों में बहस चल रही थी और महेंद्र सिंह धोनी पवेलियन की तरफ चलने लगे तभी पवेलियन से भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ ने पारी घोषित कर दी थी.
और इस तरह भारतीय टीम ने दूसरी पारी में 6 विकेट खोकर 521 रन बनाए। महेंद्र सिंह धोनी ने 52 गेंद पर 4 चौके और 6 छक्के जड़ते हुए 69 रन बनाए तो मोहम्मद कैफ 46 रन पर नाबाद थे। वेस्टइंडीज के लिए देव मोहम्मद ने 3 विकेट लिए थे।
392 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए वेस्टइंडीज की टीम मुश्किल में थी लेकिन स्पिनर देव मोहम्मद ने 55 गेंद पर 52 रन बनाकर टीम को संभाला फिर भी वेस्टइंडीज अपने 9 विकेट 297 रनों पर गंवा दिए थे और हार के बेहद करीब थी। आखिरी जोड़ी को कुल 19 गेंद खेलकर अपने विकेट बचाने थे लेकिन फिदेल एडवर्ड्स (36 गेंद,1 रन) और कोरी कॉलीमोर ने (8 गेंद पर नाबाद 1 रन) ने मुकाबला ड्रा करा दिया था।
इस टेस्ट मैच को महेंद्र सिंह धोनी के विवादित कैच और वसीम जाफर की अद्भुत दोहरी शतकीय पारी के लिए याद किया जाता है। वेस्टइंडीज की टीम किसी तरह 1 विकेट बचाकर टेस्ट मैच ड्रॉ कराने में सफल रही थी। वाकई यह एक बेहतरीन टेस्ट मैच था.
(प्रस्तुति: अनिल कुमार यादव)