Delhi Blast Case: डॉ. शाहीन कितने बड़े आतंकी मन्सूबे को अन्जाम देने की साजिश कर रही थी – जानिये क्या हुआ खुलासा जिससे देश में चलाये जा रहे आतंकी नेटवर्क, उनके भर्ती मॉड्यूल और छिपी हुई योजनायें सामने आईं..
दिल्ली ब्लास्ट केस में लगातार चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। इस पूरे मामले में जिस नाम की सबसे ज़्यादा चर्चा हो रही है, वह है डॉ. शाहीन। उन्हें जांच टीमें आतंक फैलाने वाली एक बड़ी साजिश का मुख्य चेहरा मान रही हैं। एजेंसियों का आरोप है कि डॉ. शाहीन भारत में जैश-ए-मोहम्मद की महिला भर्ती इकाई संभाल रही थीं और युवतियों को कट्टरपंथ की राह पर ले जाने की कोशिश कर रही थीं।
जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि
डॉ. शाहीन श्रीलंका के उग्रवादी संगठन लिट्टे (LTTE) के ढांचे से काफी प्रभावित थीं और उसी तर्ज पर एक महिला विंग तैयार करने की योजना बना रही थीं। कहा जा रहा है कि उन्होंने लिट्टे की रणनीतियों पर आधारित कई लेख और दस्तावेज भी पढ़े थे। एजेंसियां उन्हें बेहद कट्टर सोच वाली मानकर जांच आगे बढ़ा रही हैं।
इसके साथ-साथ यह दावा भी किया जा रहा है कि उनका संबंध आतंकी मुजम्मिल से था, जिसे जांच एजेंसियां पहले से ही ट्रैक कर रही थीं। परिवार के लोग बताते हैं कि शाहीन बचपन से ही पढ़ने-लिखने में बहुत तेज थीं। सरकारी स्कूलों से पढ़ाई शुरू कर उन्होंने एमबीबीएस किया, फिर प्रोफेसर तक बनीं। अब उनके भाई डॉ. परवेज़ भी इस जांच की रडार पर हैं।
जांच में यह सामने आया कि
डॉ. शाहीन ऊपर-ऊपर मेडिकल क्लिनिक खोलने की योजना बना रही थीं, लेकिन अंदर की मंशा अलग थी। वह इस क्लिनिक के बहाने मुस्लिम लड़कियों को ब्रेनवॉश कर जिहाद के लिए तैयार करने का नेटवर्क बनाना चाहती थीं। इसके अलावा, भर्ती के लिए एक गुप्त तहखाना बनाने की योजना भी बताई जा रही है।
वे गरीब लड़कियों की मदद के नाम पर पैसे जुटाने की कोशिश कर रही थीं, जबकि एजेंसियों के अनुसार उनका असल मकसद उन पैसों को आतंकवादी गतिविधियों में लगाना था। जांच टीमें लखनऊ स्थित उनके घर से जब्त किए गए मोबाइल, लैपटॉप और हार्ड डिस्क की गहराई से जांच कर रही हैं। उनके संपर्क में रहे सभी लोग अब एजेंसियों की निगरानी में हैं। एक डॉक्टर, जो उनके काफी नज़दीक बताया जाता है, उससे भी पूछताछ की जा रही है।
यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति तक सीमित नहीं
यह मामला ये भी दिखाता है कि आतंकवादी नेटवर्क अब सिर्फ सीमाओं या पहाड़ी इलाकों तक सीमित नहीं रहे। वे शहरों, संस्थानों और समाज के अंदर तक फैलने की कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली ब्लास्ट केस ने इस खतरनाक विस्तार को उजागर कर दिया है।
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