Devendra Sikarwar writes: #काल्पनिक_सिनारियो जो करता है सावधान ! – भारत को होना होगा सावधान ..वक्त आ चुका है !..
लगभग चार सौ गुंडों की भीड़ मुँह पर रूमाल बांधे जिहादी नारे लगाती और चिल्लाती हुई आपकी सोसायटी के गेट को तोड़कर अंदर घुस आती है।
सभी लुटेरों की आँखों में चमक है।
लेकिन तभी…
मल्टी स्टोरी बिल्डिंगों से कुछ काली काली नलियां चमक उठती हैं।
धाँय.. धाँय.. धाँय की आवाजों के साथ ऊपर से फूल भी बरसने लगते हैं….पर गमलों के साथ।
कुछ ही समय में वहां दो सौ से ज्यादा लुटेरे बिछे पड़े होते हैं।
अदालत आत्मरक्षार्थ इस कार्यवाही को न केवल सही ठहराती है बल्कि सोसायटी के नागरिकों की बहादुरी की भूरि-भूरि प्रशंसा करती है।
पर…..
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यकीन मानिये ऐसा कभी हो नहीं पायेगा
क्योंकि बन्दूके तो ले आओगे पर उसे चलाने का जिगरा कहाँ से लाओगे क्योंकि संघ की शाखाओं को तुम मूर्खता मानते आये हो और मूवीज में खून देखकर तुम्हारे लाडले का मानसिक स्वास्थ्य खराब हो जाता है।
भेड़ियों से लड़ने के लिए भेड़िया बनना पड़ता है पर हिंदुओं को एनीमल मूवी की हिंसा भी विचलित कर देती है।
(देवेंद्र सिकरवार)