Tuesday, October 21, 2025
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Donald Trump & Shahbaz Sharif: बगराम एयरबेस पर अमेरिका की धमकी से पापिस्तान के पसीने छूटे – ट्रंप की आक्रामक रणनीति ने किया बेचैनी

Donald Trump & Shahbaz Sharif: बगराम एयरबेस को लेकर डोनाल्ड ट्रम्प की धमकी से घबराया पापिस्तान – अमेरिका की नई आक्रामक रणनीति ने शहबाज बदमाश और उसके पापिस्तान के पसीने छुड़ाये..

Donald Trump & Shahbaz Sharif: बगराम एयरबेस को लेकर डोनाल्ड ट्रम्प की धमकी से घबराया पापिस्तान – अमेरिका की नई आक्रामक रणनीति ने शहबाज बदमाश और उसके पापिस्तान के पसीने छुड़ाये..

अफगानिस्तान का बगराम एयरबेस एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जिन्होंने हाल ही में दूसरी बार पदभार संभाला है, अब इस ठिकाने पर नियंत्रण पाने की ज़िद में अड़े हुए हैं। कभी व्यापारिक टैरिफ, तो कभी पनामा नहर और ग्रीनलैंड जैसे मुद्दों पर सुर्खियों में रहने वाले ट्रंप ने अब स्पष्ट संकेत दिया है कि यदि बगराम उन्हें वापस नहीं मिला तो परिणाम गंभीर होंगे। उन्होंने यहाँ तक कहा है कि सैन्य हस्तक्षेप भी एक विकल्प हो सकता है।

ट्रंप ने अपने बयान में चीन को प्रमुख कारण बताया। उनका कहना है कि बगराम एयरबेस चीन की सीमा से लगभग 800 किलोमीटर और शिनजियांग स्थित मिसाइल संयंत्र से करीब 2,400 किलोमीटर की दूरी पर है। पिछले महीने उन्होंने दावा किया था कि यह अड्डा “उसी इलाके के करीब है, जहाँ चीन अपने परमाणु हथियार बनाता है।”

यह ठिकाना कभी अमेरिका की सैन्य ताक़त का प्रतीक हुआ करता था, लेकिन तालिबान के कब्जे के बाद अब पूरी तरह उनके नियंत्रण में है। ट्रंप की टिप्पणी पर तालिबान ने सख़्त प्रतिक्रिया देते हुए साफ कहा कि एयरबेस किसी भी कीमत पर अमेरिका को वापस नहीं सौंपा जाएगा।

इस मामले में भारत ने भी अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका का समर्थन नहीं किया है। मॉस्को फॉर्मेट सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधियों ने तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी का स्वागत कर यह संकेत दिया कि दिल्ली बगराम को लेकर ट्रंप की सोच से सहमत नहीं है। रूस, चीन और ईरान जैसे देशों ने भी इस बयानबाज़ी पर कड़ी निगाह रखी हुई है।

ट्रंप का नज़दीकी सहयोगी पाकिस्तान भीतर ही भीतर सबसे ज़्यादा घबराया हुआ है।

1950 के दशक में अफगान शासक ज़हीर शाह के समय इस एयरबेस का निर्माण सोवियत इंजीनियरों ने किया था। 1979 में सोवियत आक्रमण के दौरान यह उनका मुख्य ठिकाना रहा। सोवियत वापसी के बाद यह खंडहर बना रहा, लेकिन 2001 में अमेरिकी हमलों के बाद यहीं से अफगानिस्तान में सबसे बड़े सैन्य अभियान चलाए गए।

अमेरिका ने इसे दुनिया का आधुनिकतम एयरबेस बना दिया था, जहाँ हज़ारों सैनिक और अत्याधुनिक हथियार मौजूद थे। लेकिन 2021 में तालिबान के फिर से काबिज होने पर अमेरिकी सेना ने इसे छोड़ दिया।

भौगोलिक दृष्टि से यह जगह इतनी अहम है कि यहाँ से ईरान, पाकिस्तान, चीन और मध्य एशिया के देशों की गतिविधियों पर आसानी से नज़र रखी जा सकती है। यही वजह है कि वॉशिंगटन इसे दोबारा अपने कब्ज़े में लेना चाहता है।

हाल ही में पाकिस्तान और अमेरिका की नज़दीकियाँ बढ़ी हैं। ट्रंप ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर से मुलाकात की थी और ब्लूचिस्तान के खनिज भंडारों पर भी बातचीत हुई थी। लेकिन अब अमेरिका के अफगानिस्तान में लौटने की संभावना से इस्लामाबाद के हालात बिगड़ सकते हैं।

पाकिस्तान पहले से ही तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के हमलों से जूझ रहा है। अभी कुछ दिन पहले ही TTP ने सात पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या कर दी। अफगान सीमा को लेकर तनाव पहले से मौजूद है और दोनों देशों के बीच बार-बार झड़पें हो रही हैं।

अगर अमेरिका ने नया सैन्य अभियान शुरू किया तो पाक-अफगान सीमा पर शरणार्थियों का बड़ा संकट पैदा हो सकता है। पिछली बार भी युद्ध के दौरान लाखों लोग पाकिस्तान में शरण लेने पहुंचे थे। मौजूदा आर्थिक बदहाली में पाकिस्तान के लिए ऐसी स्थिति और भी विनाशकारी साबित होगी।

पाकिस्तानी पत्रकार जाहिद हुसैन ने हाल ही में लिखा कि अफगानिस्तान में किसी भी अमेरिकी हस्तक्षेप का सीधा असर पाकिस्तान पर पड़ेगा। पिछली बार भी महाशक्तियों के युद्धों का बोझ पाकिस्तान ने ही सबसे ज़्यादा उठाया था और अब भी देश उसके प्रभावों से उबर नहीं पाया है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना लौटती है, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक संतुलन तीनों पर गहरा असर होगा। रोज़मर्रा की वस्तुओं के दाम बढ़ सकते हैं और आतंकवादी संगठनों की सक्रियता भी बढ़ सकती है।

अमेरिका के दबाव के बीच पाकिस्तान दोराहे पर खड़ा है। खुले तौर पर ट्रंप का विरोध करने पर उसे अमेरिकी आर्थिक सहयोग खोना पड़ सकता है, जबकि उनका समर्थन करने पर घरेलू स्तर पर विरोध और अस्थिरता बढ़ सकती है। इसीलिए पाकिस्तान इस समय ‘न उगलते बने, न निगलते बने’ वाली स्थिति में फँसा हुआ है।

(प्रस्तुति -त्रिपाठी पारिजात)

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