Wednesday, June 25, 2025
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Dr Naresh Tiwari presents: हनुमान चालीसा ऐसे बनी

Dr Naresh Tiwari की कलम से पढ़िये किस तरह से हमारे श्री राम भक्त हनुमान जी की चालीसा कैसे बनीं..

Dr Naresh Tiwari की कलम से पढ़िये किस तरह से हमारे श्री राम भक्त हनुमान जी की चालीसा कैसे बनीं..

हनुमान चालीसा के पाठक सारी दुनिया में हैं पर बहुत कम लोगों को ही मालुम है कि ये कैसे बनी। यहां मैं भरतीय लेखकों की बात न कर विदेशी लेखकों की बात बता रहा हूँ जिन्होंने हनुमान चालीसा का इतिहास लिखा है -Warrior State & Hanuman’s Tale: The Messages of a Divine Monkey:ये पुस्तक Phillip Lutgendorf ने लिखी हैं जिसे Oxford Univercity Press ने छापा है। फिलिप को इस देश ने बाल्मीकि एवार्ड से भी नवाजा था।

एक बार क्या हुआ तुलसीदास जी बनारस के घाट पर बैठे थे। इतने मैं एक नवयौवना के पति की अर्थी जा रही थी उसकी स्त्री रो रही थी जैसे ही अर्थी तुलसीदास जी के सामने से निकली तो वो औरत उनसे विनती करने लगी मेरे पति को जिन्दा कर दो । वे बोले मैं क्या कर सकता हूँ और वो ऊपर देख राम का नाम लेने लगे। अचानक वो युवक उठ बैठा अब तो चारों तरफ तुलसीदास की महिमा बखान होने लगी ।

ये बात टोडरमल (नौरत्नों में से एक) के माध्यम से अक़बर को मालुम पडी। अक़बर सेनिकों को भेजकर उन्हें बुल्बाया तुलसीदास जी लगा की राजाओं से मेरा क्या काम उन्होंने ये कह कर उन्हें वापिस कर दिया की कभी उधर आया तो मिल लूँगा ।अक़बर को गुस्सा आया कि मेरे न्योते को ठुकरा दिया। उसने हुक्म दिया -जाओ पकड के दरबार मैं पेश करो! तुलसीदास जी को लाकर अकबर के सामने पेश किया गया।

अक़बर बोला -हमने सुना है तुम मुर्दों को जिन्दा कर देते हो..हमें भी चमत्कार दिखाओ।  वे बोले -मैं क्या कर सकता हूँ । अक़बर को गुस्सा आया उसने सेनिकों से कहा -इसे खतरनाक वाली जेल मैं डाल दो..देखें ये क्या चमत्कार करता है। इसके बाद तुलसीदास जी को जेल मैं डाल दिया ..फिर बात आई-गई हो गई ।

तुलसीदास अब क्या करें, वे रोए नहीं। विपत्ति को तपस्या मैं बदलना भक्ति है और तब तुलसीदास जी ने पहली चौपाई लिखी –

श्रीगुरु चरण सरोज रज,निज मन मुकुर सुधार,
वर्नऊ रघुवर बिमल जसु जो दायक फल चार!

ये रामचरितमानस के अयोध्याकाण्ड का मंगलाचरण है।

इस तरह चालीस दिन तक एक चौपाई रोज लिखते रहे !अक़बर उस समय फतेहपुर सीकरी मैं था अचानक खुखार बंदरोँ ने सीकरी मैं भयंकर उत्पात मचाया की डर के मारे अक़बर कमरे मैं छिपाया गया वहाँ के हाफ़िज़ ने अक़बर से पूछा कहीँ आपसे कोई गलती तो नहीं हुई अक़बर को याद आया कि चालीस दिन पहले एक सन्त को बन्द किया था।अक़बर खुद उनके पास गया और माफ़ी मांगी ।

तुलसीदास जी ने ऊपर देखा सारे बन्दर गायब फौरन फरमान जारी हुआ कि राम और हनुमान भक्तों को कोई भी परेशान नहीँ करेगा । उसने उसी समय फतेहपुर सीकरी छोड दी.

इसके बाद इस बात की चर्चा पूरे नार्थ इंडिया में होने लगी। इस प्रकार हनुमान चालीसा का जन्म हुआ।
बोलो -जय श्री राम जय हनुमान !

(प्रस्तुति -डॉक्टर नरेश तिवारी)

 

 

 

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