Human Brain: नवीनतम शोध से पता चलता है कि आपकी बौद्धिक क्षमता और मस्तिष्क तरंगों के बीच गहरा संबंध है..
एक ताजा अध्ययन के अनुसार, अधिक बुद्धिमान व्यक्तियों का मस्तिष्क अपनी आंतरिक लय के साथ बेहतर तालमेल बिठाता है। जब हम जटिल कार्यों को करते हैं, तो मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्र एक सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करने लगते हैं। इस घटना को “थीटा कनेक्टिविटी” कहा जाता है।
जर्मनी की जोहान्स गुटेनबर्ग यूनिवर्सिटी माइंज की मनोवैज्ञानिक डॉ. अन्ना-लेना शूबर्ट के अनुसार, “उच्च बौद्धिक क्षमता वाले व्यक्तियों के मस्तिष्क के मध्य-फ्रंटल क्षेत्र में विशिष्ट संकेत अधिक सुसंगत होते हैं, विशेष रूप से जटिल तर्कसंगत कार्यों के दौरान।”
थीटा कनेक्टिविटी: मस्तिष्क की समन्वय क्षमता
यह प्रक्रिया मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों के बीच 4 से 8 हर्ट्ज़ की आवृत्ति पर होने वाली समकालिक गतिविधि को दर्शाती है। शोध से पता चलता है कि यह मानसिक दबाव में हमारी संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इतना ही नहीं, भविष्य में यह नैदानिक उपकरण के रूप में भी उपयोगी हो सकती है।
अध्ययन की रोचक बातें
प्रतिभागी: 18 से 60 वर्ष की आयु के 148 व्यक्ति
परीक्षण विधि: ईईजी कैप के माध्यम से मस्तिष्क गतिविधि की निगरानी
कार्य/गतिविधियाँ:
संख्यात्मक तुलना (5 से अधिक/कम, सम/विषम)
नेवॉन आकृतियों का विश्लेषण (बड़ी आकृति बनाम घटक छोटी आकृतियाँ)
संख्या-अक्षर युग्मों का वर्गीकरण
हालांकि ये कार्य सरल प्रतीत होते हैं, लेकिन इनमें नियमों में तेजी से परिवर्तन होता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि उच्च बुद्धि वाले प्रतिभागियों में कार्यों के दौरान थीटा कनेक्टिविटी अधिक स्पष्ट थी।
महत्वपूर्ण निष्कर्ष
ध्यान नहीं, अनुकूलन क्षमता है महत्वपूर्ण: उच्च संज्ञानात्मक प्रदर्शन का रहस्य लगातार ध्यान केंद्रित करने में नहीं, बल्कि त्वरित कार्य-परिवर्तन क्षमता में निहित है।
मस्तिष्क का सहयोग: मध्य-फ्रंटल क्षेत्र न केवल कार्यों की तैयारी करता है बल्कि निर्णय लेने में भी सक्रिय भूमिका निभाता है।
भविष्य की संभावनाएँ
यह शोध मस्तिष्क-आधारित प्रशिक्षण तकनीकों और नैदानिक उपकरणों के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, डॉ. शूबर्ट के अनुसार, “व्यावहारिक अनुप्रयोगों के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है, परंतु यह अध्ययन मस्तिष्क स्तर पर बुद्धिमत्ता को समझने की दिशा में एक मजबूत आधार प्रदान करता है।”
इस खोज से न केवल मानव संज्ञान के रहस्यों को समझने में मदद मिलेगी, बल्कि भविष्य में मस्तिष्क संबंधी विकारों के निदान और उपचार में भी नए द्वार खुल सकते हैं।
(प्रस्तुति- त्रिपाठी सुमन पारिजात)