Wednesday, January 22, 2025
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आपत्ति नहीं है तो आपत्ति कीजिए

आपत्ति नहीं है तो करिए। लेकिन सही कारण से। दूध मांस चमड़े ऊन जैसे पशु उत्पाद आज पृथ्वी की तबाही का बड़ा कारण है। आपत्ति करिए घृणापूर्वक नहीं, बल्कि प्रेम है इसलिए। सवाल निजी चुनाव पर आकर समाप्त नहीं हो जाता है। उसके आगे भी जाता है।

कुछ आंकड़े जिन पर गौर करिए। और रिसर्च करिए और सही तथ्य सामने रखिए। ये बात बताइए लोगों को। समन्वय व सहयोग बनाने को सिर्फ इंसानों तक सीमित मत करिए। पूरी पृथ्वी तक उसका विस्तार करिए।

विश्व की कुल कृषि भूमि का 77% हिस्सा पर खेती केवल इसलिए किया जाता है ताकि उन पशुओं के लिए चारा उगाया जा सके जिन्हें इंसानों ने कृत्रिम रूप से पैदा किया ताकि उनसे मांस, दूध, ऊन, चमड़े आदि प्राप्त कर सके। 80 बिलियन यानि 8 बिलियन इंसानों का 10 गुणा हर साल , दूध,मांस आदि के लिए पाले और मारे जाते है। इन जानवरों को खिलाकर बड़ा करने के लिए कृषि उत्पाद का 3/4 हिस्सा उपयोग हो रहा।

आज कृषि वनोन्मूलन का सबसे बड़ा कारण है

1 किलोग्राम चिकन के लिए पाॅल्ट्री को 2-3 किलोग्राम अनाज खिलाया जाता है। उसी तरह 1 किलोग्राम मटन के लिए 8-10 kg और बीफ के लिए और ज्यादा।

मांसाहारी खाने का इसी तरह के ग्लैमराइजेशन ने पिछले 20-30 सालों में मांस उपभोग इतना बढ़त हुआ है कि अब हमें हर वर्ष और ज्यादा पशुओं को Artificially Breed करना पड़ रहा है।

और उन पशुओं को खिलाकर बड़ा करने के लिए और ज्यादा कृषि भूमि की आवश्यकता होती है और जंगल काटे जा रहें, इसकी रफ्तार जानकर हैरान रह जाएंगे। हर 6 सेकंड में एक फुटबॉल मैदान जितना जंगल साफ किया जा रहा है। यानि जब तक आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ेंगे तब तक 15-20 फुटबॉल मैदान जितना जंगल साफ किया जा चुका होगा। आज मांसाहार Deforestation का सबसे बड़ा कारण है, जी हां सबसे बड़ा।

जलवायु परिवर्तन

ये पशु जब इतनी संख्या में है तो ये कार्बन उत्सर्जन में भारी योगदान करते हैं। CO2 के साथ साथ मीथेन उत्सर्जन में इन पशुओं का योगदान होता है, मीथेन गैस कार्बन डाइऑक्साइड से 20-60 गुणा ज्यादा उष्मा पृथ्वी की वायुमंडल में रोककर ग्रीन हाउस प्रभाव पैदा करती है ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है। याद रखें के ये पशु प्राकृतिक तौर पर जन्म नहीं ले रहें बल्कि इंसान कृत्रिम रूप से इन्हें पैदा कर रहा और फिर मार रहा है।

हर वर्ष 80 बिलियन भूमि पर रहने वाले पशुओं जैसे चिकन भेड़ बकरी गाय भैंस को मांस, दूध, ऊन चमड़े के लिए पैदा किया जाता है और मारा जाता है। इसमें मछलियों की संख्या जोड़ी जाए तो दिमाग का नस फट सकता है। पृथ्वी पर रहने वाले 8 बिलियन लोग हर वर्ष 80 बिलियन पशुओं को मार रहे हैं, हर वर्ष।

दुनिया के सारे परिवहन साधनों मसलन मोटरसाइकिल,कार ,बस,ट्रक, ट्रेन, हवाई जहाज और जल परिवहन जितना ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जित करतें उससे ज्यादा उत्सर्जन पशुओं की फैक्ट्री फार्मिंग करता है।

ऐसे हीं कई और आंकड़े Water input of Per kg meat के लिए भी दिया जा सकता है। जैसे 1 लीटर दूध के लिए 1200 लीटर जल, एक Kg चिकेन का मांस के लिए 3000-4000 लीटर से लेकर मटन बीफ तक ये आंकड़ा 10 से 30 हजार लीटर प्रति किलो तक जाता है‌।

फिर इतनी भारी संख्या में पशुओं के शरीर से निकलने वाले मल-मूत्र जल स्रोतों जैसे नदियों व झीलों का प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है।

इस पर कई Documentry Netflix और YouTube पर उपलब्ध है

जैसे – Cowspiracy, Maa Ka doodh, Seaspiracy, Eating our ways to Extinction. कुछ यूट्यूब चैनल इस मुद्दे पर बहुत ही informative and Research based videos बनाते हैं, जैसे Suresh Vyas, Arvind Animal Activist

Amar Kumar

Anju Dokania
Anju Dokania
Anju Dokania, from Kathmandu, Nepal, is a seasoned writer and presenter with extensive experience in journalism. Currently, she serves as the Executive Editor at Radio Hindustan and News Hindu Global, leveraging her expertise to deliver impactful and insightful content.

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