Israel Vs Iran: दुनिया के खिलाफ खामनेई के आतंकी मंसूबों के खिलाफ आरपार की लड़ाई छेड़ दी है इजराइल ने जिससे विश्वयुद्ध के साथ ही परमाणु-युद्ध की चिन्ता भी पैदा हुई हैयय
ईरान से युद्ध की शुरुआत के 48 घंटे बाद इजरायली अधिकारियों ने अमेरिका से गुहार लगाई है कि वह ईरान के भूमिगत यूरेनियम संवर्धन संयंत्र (Uranium Enrichment Facility) को निशाना बनाने में मदद करे। इजरायल का कहना है कि यह प्लांट इतना गहराई में और सुरक्षा घेरे में है कि वह अकेले इसे नष्ट नहीं कर सकता।
युद्ध के मुहाने पर खड़े इजरायल और ईरान
फिलहाल, इजरायल और ईरान आमने-सामने हैं। दोनों देशों के बीच लगातार मिसाइल हमले हो रहे हैं, और कई शहर मलबों में तब्दील हो चुके हैं। इजरायल ने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर जबरदस्त हमले किए हैं, तो वहीं ईरान ने इजरायली शहरों जैसे तेल अवीव और हाइफा को निशाना बनाकर जवाबी हमला किया है।
अमेरिका से मांगी मदद, ट्रंप का सतर्क रुख
इजरायल ने अमेरिका से औपचारिक रूप से अनुरोध किया है कि वह ईरान के Fordow न्यूक्लियर प्लांट पर हमले में उसका साथ दे। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिलहाल इस युद्ध में सीधे शामिल होने से इनकार कर दिया है।
अमेरिका की प्राथमिकता फिलहाल अपनी संपत्तियों और सैनिकों को सुरक्षित रखने की है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने साफ किया कि इजरायल को अभी अकेले ही ईरान का सामना करना होगा, हालांकि ईरान को चेतावनी भी दी गई कि वह किसी अमेरिकी सैनिक को नुकसान न पहुंचाए।
क्या खास है ईरान के Fordow न्यूक्लियर प्लांट में?
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यह प्लांट ईरान के कोम शहर के पास एक पहाड़ के नीचे पूरी तरह अंडरग्राउंड है।
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यहां करीब 2000 सेंट्रीफ्यूज लगे हैं, जिनमें से कई उन्नत IR-6 मॉडल हैं।
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इनमें से लगभग 350 सेंट्रीफ्यूज 60% तक शुद्ध यूरेनियम संवर्धित कर सकते हैं।
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इसे विशेष रूप से हवाई हमलों से सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया है।
अगर अमेरिका शामिल हुआ तो क्या होगा?
अगर अमेरिका इजरायल का खुलकर साथ देता है, तो पूरा मिडिल ईस्ट युद्ध की चपेट में आ सकता है।
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ईरान ने साफ कहा है कि जो भी देश इजरायल की मदद करेगा, उसे वह दुश्मन मानेगा और उस पर हमला करेगा।
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मिडिल ईस्ट में अमेरिका के लगभग 40,000 सैनिक तैनात हैं—उन पर मिसाइल या प्रॉक्सी हमले का खतरा बढ़ जाएगा।
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परशियन गल्फ और रेड सी में अमेरिकी सैन्य अड्डे, दूतावास और जहाज़ हमले के निशाने पर आ सकते हैं।
राजनयिक समाधान की उम्मीद खत्म?
अगर यह युद्ध और गहराता है, तो ईरान परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से पूरी तरह बाहर निकल सकता है और अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज़ी से आगे बढ़ा सकता है। इसका असर केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक होगा।
स्ट्रेट ऑफ होर्मुज़ पर खतरा
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यह जलमार्ग फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है।
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वैश्विक तेल व्यापार का 20–30% हिस्सा यहीं से होकर गुजरता है।
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अगर युद्ध यहां तक पहुंचा, तो तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता पैदा हो सकती है।
कुल मिला कर कहा जा सकता है कि
अगर अमेरिका ईरान-इजरायल युद्ध में खुलकर शामिल होता है, तो यह सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं रहेगी—यह मिडिल ईस्ट की स्थिरता को पूरी तरह हिला सकता है और दुनिया को गंभीर आर्थिक व सामरिक संकट में डाल सकता है।
(प्रस्तुति- त्रिपाठी किसलय इन्द्रनील)