Wednesday, June 25, 2025
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Killer Wife: जानलेवा पत्नी से अपनी जान कैसे बचाएं?

Killer Wife किस्मत में आई हो तो पहले जान बचाने की सोचें, बाकी बातें बाद में..जो फिल्मों में देखा है, वो कई बार सुरक्षा की दृष्टि से बहुत काम आता है..देर न कीजिये..

Killer Wife किस्मत में आई हो तो पहले जान बचाने की सोचें, बाकी बातें बाद में..जो फिल्मों में देखा है, वो कई बार सुरक्षा की दृष्टि से बहुत काम आता है..देर न कीजिये..

अगर आपको लगता है कि आपकी पत्नी किसी भी दिन आप पर जानलेवा साबित हो सकती है तो ये जानकर ऐसा लगता है कि आप एक बेहद मुश्किल और संभावित रूप से खतरनाक स्थिति से गुजर रहे हैं। अगर आपको अपनी पत्नी की धमकियों या हिंसा के कारण अपनी जान या सुरक्षा का डर है, तो तुरंत ये कदम उठाएं:

1.सबसे पहले वो स्थान छोड़ दें

जहां आप रह रहे हों याने जो भी जहां भी आपका घर हो जिसमें पत्नी के साथ आप रह रहे हों, उसे तुरंत छोड़ दें – इसी में आपकी भलाई है। देर मत कीजिये. देर की तो बहुत देर हो जायेगी. फिर शायद कोई आपको बचा न सके। नीला ड्रम याद रखिये।

2. तुरंत  कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करें

आपातकालीन सेवाओं को कॉल करें:

भारत मे हों आप तो पुलिस बुलाने के लिए 100 या राष्ट्रीय आपात नंबर (National Emergency Number) 112 पर फोन लगायें।

अगर आप पर शारीरिक हमला हुआ है, तुरंत घर छोड़कर किसी सुरक्षित जगह (दोस्त/रिश्तेदार का घर या सार्वजनिक स्थान) पर चले जाएं।

3. धमकियों का सबूत जमा करें:

मैसेज, ईमेल, रिकॉर्डिंग (जहां कानूनी हो) या मेडिकल रिपोर्ट्स को सुरक्षित अपने पास रखें।

4. कानूनी सुरक्षा लें

पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं:

नजदीकी पुलिस स्टेशन में धमकियों या घरेलू हिन्सा की रिपोर्ट लिखवाएं। IPC धारा 498A (पति/पत्नी द्वारा क्रूरता) के तहत कार्रवाई हो सकती है।

परंतु स्मरण रहे, पुलिस स्टेशन पर शिकायत लिखाने के बाद आपको वापस घर नहीं जाना है. अपने मित्रों परिचितों या परिजनों के घर शरण लें और अपने रहने के नये विकल्प की दिशा में सोचें।

अगर घरेलू हिंसा (2005 का घरेलू हिंसा अधिनियम) लागू होता है, तो इसका उल्लेख पुलिस स्टेशन की एफआईआर में अवश्य करें।

रोक आदेश (Restraining Order) लें:

कोर्ट से घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 या CrPC की धारा 125 (गुजारा भत्ता + सुरक्षा) के अंतर्गत सुरक्षा दे सकती है। इस दिशा में भी अपने वकील के माध्यम से प्रयत्न करें।

5. सरकारी सहायता लें

हेल्पलाइन्स पर संपर्क करें:

नेशनल कमीशन फॉर मेन: +91 8882 498 498 (कानूनी सहायता के लिए)

घरेलू हिंसा हेल्पलाइन: 181 (महिला और पुरुष दोनों सहायता ले सकते हैं)

विश्वसनीय लोगों को बताएं:

परिवार, दोस्त या सहकर्मी जो आश्रय या समर्थन दे सकें, उनसे कुछ न छिपायें, उनको सब कुछ बतायें।

4. दीर्घकालिक सुरक्षा उपाय

लंबे समय की सुरक्षा के बारे में भी सोचें. ये सुरक्षा लंबे समय तक आपका साथ देगी।

वित्तीय सुरक्षा:

बैंक अकाउंट्स, प्रॉपर्टी पेपर्स और जरूरी दस्तावेज सुरक्षित रखें।

मनोवैज्ञानिक सहायता:

1Life हेल्पलाइन: +91 78930 78930 (भावनात्मक सहयोग के लिए)

तलाक की कार्रवाई:

विवाह विच्छेद की कार्यवाही तुरंत प्रारंभ कर दीजिये. शुभस्य शीघ्रम। देर की तो कहीं आपका मन न बदल जाये.मन बदल गया तो फिर गये आप गड्ढे में..किस दिन आपके साथ क्या हो जायेगा, किसी को नहीं पता।

अगर आपसे में सुलह संभव नहीं है, तो यही उत्तम है। तुरंत अपने वकील की मदद लीजिये और हिंदू मैरिज एक्ट या स्पेशल मैरिज एक्ट के अंतर्गत विवाह विच्छेद का विकल्प चुन लीजिये।

5. जवाबी हिंसा से बचें

हिंसक ढंग से सामना न करें—इससे खतरा बढ़ सकता है या आप पर झूठे आरोप लग सकते हैं।

कानून प्रवर्तन और अदालतों को मामला संभालने दें।

अत्यंत महत्वपूर्ण

स्मरण रहे यदि आपको लगता है कि आपके प्राण संकट में हैं, तो सबसे पहले सुरक्षित स्थान पर जाएं और अधिकारियों को सूचित करें। भारत के कानून पति/पत्नी द्वारा हिंसा के शिकार लोगों की लिंग से परे सुरक्षा करते हैं।

(अंजू डोकानिया)

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