Thursday, January 23, 2025
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एक-दूजे के वास्ते (Story By Anju Dokania)

 

मध्य रात्रि का पहर.. तेज़ बारिश…बेचैन अमृता बिस्तर पर करवटें बदल रही थी. एक साथ कितने ख्याल उसके ज़ेहन को कचोट रहे थे. किसने क्या कहा…? वो तंज…वो शब्दों की पैनी धार… वो चोट…. वो घाव….वो लगाव… वो निष्ठुरता….जीवन का कठोर सत्य…. अमृता के हृदय को हताहत कर रहा था. उसका गला सूखने लगा. तेज़ बारिश से पहाड़ी जगहों पर ठंडक और भी बढ़ जाती है

.अमृता उठी…अपना नर्म-मुलायम पुलोवर बदन पर डाला… फ्लास्क से पानी गिलास में उड़ेला और एक ही साँस में पी गई. तत्पश्चात आँखें बंद करके अंदर वाली कड़वी स्मृतियों को बाहर जाने का निर्देश दिया. अंदर से पूरी तरह रिक्त हो जाना चाहती थी वो. ऐसा गुल्लु (पीयूष) ने सिखाया था उसे. परंतु सफल नही हो पा रही थी आज.

वो फिर से उठी और कान्हा जी को अपने हृदय की सारी बात कह देने का निर्णय लिया… ये भी तो गुल्लु ने ही सिखाया था उसे. “लेकिन कान्हा जी तो… अभी सोए होंगे ना….”मन ही मन अमृता बुदबुदाई. “अभी उन्हें डिस्टर्ब करना ठीक नही होगा. सुबह पूजा के दौरान बात करूंगी कान्हा जी से. “

मन ही मन ये सोचते हुए उसे “गुल्लु” की याद आई. “जब भी परेशान हो मुझे बेधड़क फोन कर लेना “चिल्ली.”……
“उफ्फ….चिल्ली… मैं क्या मिर्च हूँ? “तुनक कर अमृता ने कहा था पीयूष को.

“हा हा हा… अरे नही तुम तीखी नही स्वीट चिल्ली हो स्वीटहर्ट. “
“हाँ…हाँ रहने दो… रहने दो… बातों में आपसे कोई नहीं जीत सकता. हम जा रहे हैं. ” अमृता ने रूठने के अंदाज़ में कहा था.

“अरे-अरे…. ना ना ना… ना पुष्पा ना.. .. कहाँ जाओगी इतनी रात को. आज यही रूक जाओ मेरे पास. औरतों को इतनी रात गए बाहर नही जाना चाहिए. ज़माना बहुत खराब है.” पीयूष (गुल्लु) ने अमृता को चिढ़ाते हुए कहा था.

“उफ्फ… दुष्टो छेले… आपको तो हर बात में मज़ाक सूझता है… जाओ मैं नही बात करती. “
“अरे क्या हुआ मीना कुमारी जी…क्यूँ परेशान हो.? तुम फिर बिंदिया गोस्वामी से मीना कुमारी बन गई ? हा हा हा… “

“हे प्रभु …हर वक्त मज़ाक… कभी सीरीयस भी होते हो तुम? “
“हाँ देवी जी तो फिर बताइए. क्या तकलीफ है आपको?”
“अब देवी जी कह कर बेगाना कर दिया? “
“अरे बाबा…यार मैं बस तुमको हँसाने का प्रयास कर रहा हूँ और एक तुम हो कि मान ही नही रही. तुमको पता है कि मेरे जीवन में भी बहुत-सी परेशानियाँ हैं जान परंतु मैं फिर भी खुश रहना चाहता हूँ… मुस्कुराना चाहता हूँ. तुम भी इतना टेंशन न लिया करो स्वीटहर्ट… “

सुबह के चार बजे रहे थे.अतीत की यादों से बाहर निकल आई थी अमृता. जिस परेशानी का निदान हमेशा पीयूष से बात करके ही होता था आज वो काम उसकी यादों ने कर दिया था. अब वह स्टेबल थी.

कितनी ही बार पहले उसने भरी नींद से पीयूष को जगाया है… कितनी दफा दफ्तर में फोन करके उसके काम में विध्न भी डाला होगा परंतु पीयूष ने उसे सदैव अपना समय दिया है, महत्व दिया है क्योंकि वो अमृता से बेहद प्रेम करता है और उसे खुश देखना चाहता है. अब अमृता का मन शांत हो गया. पलकें भारी हो रही थीं नींद से तभी मोबाइल की घंटी बज उठी.

“इस वक्त कौन होगा? “अमृता मन ही मन सोच रही थी. उसने फोन लिया “ओह पीयूष….इतनी सुबह फोन किया.?”यही सोचते हुए कॉल रिसीव किया अमृता ने.
“हलो.. हलो पीयूष.. हाँ बोलो. “
“हाँ अमृता कैसी हो अब? “
“मैं? मुझे क्या हुआ है? बिल्कुल ठीक हूँ मैं. क्यूँ ऐसा क्यू कहा तुमने गुल्लु?”
“जो पूछ रहा हूँ उसका उत्तर दो मुझे. “
“हाँ… हाँ गुल्लु मैं बिल्कुल ठीक हूँ. “
:झूठ ..अब ठीक हो पर कुछ देर पहले तुम डिस्टर्ब थी ना? बोलो.. बोलो… बोलो.. खाओ मेरी कसम.”
“अरे ये क्या बचपना है गुल्लु. हम नही खाते कसम-वसम. “
“हम्म… इसका अर्थ है कि तुम बात टाल रही हो. ठीक है मत बताओ. “
“अरेरेरे… गुल्लु तुम नाराज़ न हो. मैं… मैं बताती हूँ. “”हाँ मैं कुछ देर पूर्व थोड़ी अपसेट थी और पूरी रात जाग कर बिताई. फिर तुम आए ख्यालों में और सब कुछ ठीक कर दिया जैसे कोई जादू की छड़ी घुमा दी हो तुमने. “
“अच्छा तभी मैं सोचूँ कि मेरे हाथों पर ये काटने का निशान कहाँ से आया. “
“उफ्फ… गुल्लु मैं कोई प्यासी चुड़ैल नही जो तुम्हें काट खाऊँ या फिर तुम्हारा खून पी लूँ.”
“हा हा हा… ना ना ना.. तुम चुड़ैल नही मेरी Princess हो जो मेरे दिल में रहती है और बहुत प्यारी भी है… जिससे मैं बहुत प्रेम करता हूँ. “

“हाँ पीयूष तुम साथ थे.. मेरे ख्यालों में. तुमसे बात करके मन हल्का हो गया था. “
“ओहहह…. तब तो पार्टी बनती है न? “
“हाँ मेरे गुल्लु बिल्कुल सही कह रहे हो आप. बोलिए कब चाहिए पार्टी? “
“अभी… “
“अभी…? आप अभी आ रहे हो? अरे ऐसा मत करना गुल्लु. घर में सब जान जाएगें हमारे प्रेम के बारे में. “
“तो जानने दो ना. प्यार किया है चोरी नही की. हा हा हा… “
“उफ्फ… हर वक्त मज़ाक.. हर वक्त ठिठोली. चैन नही आता ना तुम्हें जब तक परेशान नही कर लेते मुझे. “
“हाँ ये सही कही तुमने… और तुम्हें ऐसी मुद्रा में जब मैं देखता हूँ ना तो. “
“बस.. बस हमें नही सुनना. “

“अरे कैसे नही सुनेगीं आप… हम हैं तुम्हारे होने वाले स्वामी तुम्हारे सपनों के राजकुमार. हमारे हुक्म की तामिल हो. “
“ओहो. राजकुमार जी कौन सी रियासत के राजकुमार हो आप.? हँसते हुए अमृता ने पूछा.

“रूप नगर… प्रेम गली… खोली नंबर 420 ..Excuse Me Please… .हा हा हा… आ जाता हूँ अपनी टू-व्हीलर फटफटिया लेकर तुमको ब्याहने. “

अमृता पीयूष के इस अंदाज पर हँस पड़ी.
“बस ऐसे ही हँसती-मुस्कुराती रहो मेरी प्रियतमा.”अब पीयूष थोड़ा गंभीर हो गया था.

अमृता एक अति संवेदनशील लड़की जो बातों को कुछ ज़्यादा ही गहराई से सोचने लगती है… इतना कि बिल्कुल डूब जाती है और पीयूष संवेदनशील है परंतु साथ ही साथ एक अच्छा तैराक जिसे भावनाओं के समंदर से ऊबरना भी आता है. तभी तो वो है बिल्कुल मस्तमौला मिजाज़. अमृता की संवेदनशीलता…उसकी विनम्रता…. सरलता और भोलापन पीयूष को भा गया था.

 

हर बात को बहुत गंभीरता से लेने वाली अमृता अब पीयूष की संगत में अपने दुखों को ले कर थोड़ी बेपरवाह होने लगी थी. जीवन के चैलेंजेज़ को जैसे सामने आए स्वीकारते हुए अपना बेस्ट देने का प्रयास करने लगी थी. कभी-कभी वो सोचती अपने अंदर इस बदलाव का कारण क्या है.. वजह सिर्फ पीयूष ही तो है जो चाहता है कि अमृता सदैव प्रसन्न रहे .पीयूष ने इन कुछ वर्षों में अमृता को इतना तराश दिया था कि अब वो पहले की तरह इंस्टेंट रिएक्शन नही देती थी. पीयूष जो उसके प्रेमी होने के साथ-साथ उसके guardian होने का रोल भी अदा कर रहे थे.

 

एक ज़िद्दी और गुस्सैल बच्ची जो अमृता के अंदर हमेशा से थी उसे बहुत प्यार और धीरज से पीयूष ने सँभाला. ये बदलाव अमृता में पीयूष के प्रेम की वजह से ही आया पर वैसे पीयूष के भीतर भी एक अल्हड़, चंचल, मस्तराम सा बच्चा छुपा है. मासूम ख्यालों वाली लड़की अमृता …दोनों को उस कान्हा जी ने ही तो जोड़ा है ना. जब भी मिलते या बातें करते… दोनों की बाल सुलभ प्रवृति अपने चरम पर होती. पीयूष ठहाका लगा कर अमृता को छेड़ते रहते और अमृता कभी रूठने, कभी गुस्सा होने का स्वांग करती तो दूसरे ही क्षण पीयूष की मज़ेदार परंतु अर्थपूर्ण बातें सुनकर ज़ोर-ज़ोर से हँसती. एक बात तो है पीयूष ने अमृता को खिलखिला कर हँसना सीखा दिया था.

“हाँ गुल्लु मैं इतनी परेशान थी परंतु तुम्हारे ख्याल और अब तुम्हारी बातों ने मुझे तरोताज़ा कर दिया है. तुम. तुम रहोगे ना मेरे साथ हमेशा पीयूष? “

“हाँ.. हाँ अमृता हमेशा साथ हूँ.. कोई भी बात हो बस इतना याद रखना “मैं हूँ ना”…क…. क….. क… किरन. ” अमृता की हँसी छूट गई.

“ये हुई ना कोई बात मेरी स्वीट चिल्ली. “”हाँ गुल्लु तुमने मेरे जीवन को खुशियों की मिठास से भर दिया है. “
“हमेशा ऐसा ही होगा… “ऑफ्टर ऑल हम हम हैं. “दोनों ज़ोर से खिलखिलाकर हँस पड़े.

.(अंजू डोकानिया)

Anju Dokania
Anju Dokania
Anju Dokania, from Kathmandu, Nepal, is a seasoned writer and presenter with extensive experience in journalism. Currently, she serves as the Executive Editor at Radio Hindustan and News Hindu Global, leveraging her expertise to deliver impactful and insightful content.

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