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ये सोचना अत्यंत आवश्यक है
कि जब हम देश में ही असुरक्षित हैं
तो कहाँ सुरक्षित हैं?
हमें ये पता है कि
हम पर हमला करने कौन आयेगा
लेकिन ये नहीं पता कि
हमको बचाने कौन आयेगा?
हमें ये तय करना होगा
कि हम इन्सान हैं या सामान?
यदि इन्सान हैं तो जानवर से कैसे लड़ पायेंगे?
सरकार हमें बचायेगी?
या हम खुद बचायेंगे खुद को?
देश में खुद को बचाने की क्या तैयारी है हमारी?
क्या हम अपने बच्चों के सारे जीवन की सुरक्षा पर गंभीर हैं?
क्या हम बच्चों को बतायेंगे कि हम जंग में हैं ?
और हमारे आसपास छुपे हुए दुश्मन बहुत हैं?
(सुमन पारिजात)