Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर के बाद परमाणु दुर्घटना की चर्चाओं पर भारत का खंडन — “हमारी सैन्य कार्रवाई पारंपरिक सीमाओं में थी”..
ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान पर की गई सटीक और उच्च-स्तरीय सैन्य कार्रवाई के बाद सोशल मीडिया पर परमाणु दुर्घटना की अफवाहें फैलने लगीं। इस पर भारत ने स्पष्ट और सख्त प्रतिक्रिया दी है, जिसमें कहा गया है कि उसकी कार्रवाई पूरी तरह पारंपरिक दायरे में सीमित रही। मंगलवार को विदेश मंत्रालय (MEA) ने इन अटकलों को पूरी तरह बेबुनियाद करार दिया और कहा कि खुद पाकिस्तान का शीर्ष नेतृत्व भी इस कथित परमाणु कोण से इनकार कर चुका है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस वार्ता में कहा:
“भारत की ओर से की गई कार्रवाई पूरी तरह पारंपरिक थी। यह बात रक्षा मंत्रालय की ब्रीफिंग में भी स्पष्ट रूप से कही गई थी… पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने भी सार्वजनिक रूप से परमाणु एंगल को खारिज किया है।”
यह बयान तब आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम हुए चार दिन बीत चुके हैं।
सरकारी सूत्रों की मानें तो ऑपरेशन सिंदूर में की गई हवाई हमलों से पाकिस्तान की वायुसेना को गहरा झटका लगा है — उसकी करीब 20% हवाई ताकत तबाह हो गई है।
भारत ने 9 और 10 मई की दरम्यानी रात को पाकिस्तान के 11 एयरबेस पर निशाना साधा, जिससे वायुसेना के बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ। इस ऑपरेशन में 50 से अधिक लोगों की जान गई, जिनमें स्क्वाड्रन लीडर उस्मान यूसुफ जैसे वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे। यह कार्रवाई एक परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र के विरुद्ध अपने तरह की पहली सैन्य पहल मानी जा रही है।
विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान की ओर से की गई जल्दबाज़ी में “जीत” घोषित करने की कोशिश पर भी कटाक्ष किया। भारत ने याद दिलाया कि पाकिस्तान इतिहास में भी कई बार हार के बाद भी खुद को विजेता घोषित करता रहा है।
जायसवाल ने कहा:
“पाकिस्तान के लिए हार के बाद भी विजय का ढोल पीटना कोई नई बात नहीं है। 1965 में उन्होंने ऐसा किया, 1971 में दोहराया और 1999 के कारगिल युद्ध में भी यही राग अलापा। यह उनका पुराना स्वभाव है — हार मानना तो दूर, ढोल बजाना नहीं छोड़ते।”
प्रवक्ता ने बताया कि पाकिस्तान ने जब 10 मई की सुबह भारत की जवाबी कार्रवाई का सामना किया, तब जाकर उसने संघर्षविराम की बात मानी।
“9 मई की रात तक पाकिस्तान भारत को बड़े हमले की धमकी दे रहा था। लेकिन जब 10 मई की सुबह उसका प्रयास विफल हो गया और भारत की ओर से जबरदस्त जवाबी हमला हुआ, तो पाकिस्तान की भाषा ही बदल गई… हमारे हमलों से जब उनके एयरबेस निष्क्रिय हो गए, तभी पाकिस्तान का रुख बदल गया।”
भारत ने पूरे संघर्ष के दौरान अपना रुख साफ़ रखा — उसकी प्रतिक्रिया केवल 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले (जिसमें 26 लोग मारे गए थे) के जवाब में की गई थी और इसका उद्देश्य केवल आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करना था।
(अर्चना शेरी)